Friday, 14 July 2023

 


नोट :- इस किताब का उर्दू नाम "आईन ए करबला कूईज़" है.और इस किताब का  हिंदी नाम हम ने रखा है "रूदादे करबला*

             तस्नीफे लतीफ

अदीबे शहीर हज़रत मौलाना अलहाज मुहम्मद इदरीस रज़वी एम. ए सुन्नी जामा मस्जिद.पत्री पुल.कल्यान महाराष्ट्र 9869781566

उर्दू से हिन्दी :- तर्जुमा :- मुहम्मद अब्दुर्रहीम खान कादरी जमदा शाही बस्ती यू. पी खतीब व इमाम जामा मस्जिद राजगढ़ 454116 धार   मध्य प्रदेश 7415066579 -7860762579

पहला बाब (1)

हज़रत फातु म तुज्जहरा की औलाद

सवाल (1) हज़रत फातु म तुज्जहरा रदियल्लाहु अन्हा की शादी हज़रत अली (रदियल्लाहु अन्हु) से किस सन हिजरी में हुई?  

जवाब:-रमज़ान सन 2 हिजरी में

सवाल (2) हज़रत फातु म तुज्जहरा रदियल्लाहु अन्हा की शादी के वक़्त उन की उमर क्या थी?  

जवाब:- पंद्रह साल साढ़े पांच माह थी-

सवाल (3) और हज़रत अली (रदियल्लाहु अन्हु) की उमर शादी के वक़्त कितनी थी?

जवाब:- इक्कीस साल पांच माह थी-

सवाल (4)हज़रत फातु म तुज्जहरा रदियल्लाहु अन्हा की सब से पहली औलाद का नाम बताइए?

जवाब:- हज़रत इमामे हसन (रदियल्लाहु अन्हु )

सवाल (5) हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हु की तारीखे पैदाइश और सन किया है?

जवाब:- 15 रमज़ान सन 03 हिजरी

सवाल (6) हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हु की  कुन्नीयत बताइए?

जवाब:- अबू मुहम्मद

सवाल (7) हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हु की वफात किस सन मे हुई?  

जवाब:- सन 50 हिजरी में

सवाल (8) हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हु किस मुकाम पर दफन हैं?

जवाब:- जन्नतुल बकी कब्रस्तान मदीना मुनव्वरा में

सवाल (9) हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हु  सहाबी हैं या ताबिई?  

सवाल (10)हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हु  से हदीस में कितनी रिवायतें हैं?  

जवाब:- तेरह रिवायतें हैं

सवाल (11) हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हु  की अज़वाज (बीवियों) के नाम तारीख के सफहात पर मरकूम (लिखे हैं) बताईए?

जवाब:-हज़रत इमामे हसन (रदियल्लाहु अन्हु) की मँदरिजा ज़ेल अज़वाज (बीवियां) के नाम तारीख के सफहात पर लिखे हुए हैं.

(1) फातुमा बिनते अबू मसऊद उक़बा अंसारी.इन के शिकमे अतहर से हज़रत ज़ैद (रदियल्लाहु अन्हु) पैदा हुए-

(2) हज़रत खौला बिनते मंजूर रदियल्लाहु अन्हु.इन के बतने अतहर से हज़रत हसन मुसन्ना रदियल्लाहु अन्हु पैदा हुए

(3) हज़रत सलमा बिनते उमराउल कैस रदियल्लाहु अन्हा

(4) हज़रत उम्मे इसहाक बिन तुलैहा बिन उबैदुल्लाह रदियल्लाहु अन्हा

(5) हज़रत हबदा बिनते हबीरा मख्जूमी रदियल्लाहु अन्हा

(6) हज़रत आईशा बिनते हज़रत उस्मान गनी रदियल्लाहु अन्हा

(7) हज़रत उम्मे कुल्सूम बिनते फ़ज़ल बिन अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब रदियल्लाहु अन्हा

(8)हज़रत जअदा बिनते अशअस रदियल्लाहु अन्हा

सवाल (12) हज़रत इमाम हसन रदियल्लाहु अन्हु की औलाद में लड़के कितने हैं?

जवाब :- तारीख के सफ्हात पर किसी ने आठ और किसी ने बारा नाम लिखे हैं

सवाल (13) हज़रत इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हु की उन बारा औलाद का नाम किया है?

जवाब:- (1)हज़रत ज़ैद (2) हज़रत हसन मुसन्ना (3)हज़रत तलहा(4)हज़रत इस्माइल (5)हज़रत अब्दुल्ला (6)हज़रत हमज़ा (7)हज़रत याकूब (8)हज़रत अब्दुर्रहमान ((9) हज़रत अबू बकर (10) हज़रत हुसैन (11)हज़रत क़ासिम (12) हज़रत उमर रदियल्लाहु अनहुम

सवाल (14).हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की औलादों में साहबज़ादियां कितनी हैं और उन के नाम क्या क्या हैं बताइए?  

जवाब:-(1) हज़रत फ़ातमा (2) हज़रत उम्मे सलमा (3) उम्मे.अब्दुल्ला (4) हज़रत उम्मुल हुसैन (5) उम्मुल हसन रदि यल्लाहु अन हून्ना

सवाल (15) हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु  क़े उन बेटों का नाम बताइए जिन से हस्नी नस्ल चली?

जवाब:- हज़रत ज़ैद (बिन हसन)और हज़रत हसन मुसन्ना (बिन हज़रत हसन (रदि यल्लाहु अन्हु) इन दोनों से आप की नस्ल चली

सवाल (16)हज़रत हसन मुसन्ना रदियल्लाहु अन्हु की शादी किस की साहबजादी से हुई थी और उन का नाम किया था?

जवाब:- हज़रत हसन मुसन्ना रदियल्लाहु अन्हु की शादी हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की साहबज़ादी हज़रत फ़ातमा सुगरा रदियल्लाहु अन्हा से हुई थी

सवाल(17) हज़रत हसन मुसन्ना रदियल्लाहु अन्हु से हज़रत फातमा सोगरा रदियल्लाहु अन्हा को कितनी औलादें हुईं उन क़े नाम बताइए?    

जवाब:-(1) अब्दुल्लाह (2) इब्राहीम (3) हसन (4) ज़ैनब यानी तीन लड़के और एक लड़की पैदा हुई

सवाल (18) हज़रत हसन मुसन्ना रदियल्लाहु अन्हु की इन्हीं औलाद से चलने वाली नस्ल हस्नी हुसैनी कहलाती है.

जवाब:- हाँ

सवाल (19) हज़रत फातू म तुज्जहरा रदियल्लाहु अन्हा की दूसरी औलाद का नाम बताइए?    

जवाब:- हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु  (आप की जिंदगी की तफसीली हालात आगे आरहे हैं)

सवाल (20) हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु  मुख्तलिफ़ औकात में यक़े बाद दिग़रे  कितनी शादियां कीं. तादाद और बीबियों क़े दोनों लिखिए?  

जवाब:- सात  शादियाँ कीं.उन के नाम यह हैं.

(1) हज़रत लैला (इन को आमिना भी कहा गया है) बिनते अबी मुर्रा अरवा बिन मसऊद सक़फी-

(2) हज़रत शहर बानों

(3) हज़रत उम्मे इसहाक बिनते हज़रत तलहा रदियल्लाहु अन्हु

(4) हज़रत रबाब बिनते उमराउल कैस बिन अदी रदियल्लाहु अन्हु

(5) हज़रत हफ्सा बिनते अब्दुर्रहमान बिन अबू बकर रदियल्लाहु अन्हु

(6) हज़रत उम्मे जाफर

(7) बिनते अबू मसऊद अंसारी

सवाल (21) इन सात बीबियों से आप की कितनी औलाद हुईं .और उन के नाम बताइए?  

जवाब:-पांच साहबज़ादे और तीन साहबजादियां पैदा हुईं उन के नाम यह हैं.

(1) हज़रत अली अकबर .वालिदा का नाम हज़रत लैला (इन को आमिना भी कहाँ गया है)

(2) हज़रत अली औसत (इमाम जैनुल आबिदीन) वालिदा का नाम हज़रत शहर बानों

(3) फातमा कुबरा और (4) फातमा सोगरा.इन दोनों की वालिदा हज़रत उम्मे इसहाक बिनते हज़रत तलहा रदियल्लाहु अन्हु हैं.

(4) हज़रत सकीना बिनते हज़रत रबाब बिनते उमराउल कैस बिन अदी

(5) हज़रत मुहम्मद बिन हज़रत हफ्सा बिनते अब्दुर्रहमान बिन अबू बकर रदियल्लाहु अन्हु

(6) हज़रत अली असगर बिन हज़रत उम्मे जाफर

(7) बिनते अबू मसऊद अंसारी

सवाल(22) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की नस्ल उन के किस बेटे से चली?  

जवाब:- हज़रत अली औसत (इमाम जैनुल आबिदीन) से

सवाल (23) हज़रत फातू म तुज्जहरा रदियल्लाहु अन्हा की तीसरी औलाद का नाम बताइए?  

जवाब:- हज़रत मुह्सिन रदियल्लाहु अन्हु

सवाल(24) आप की तारीखे पैदाइश कया है?

जवाब:- आप तारीखे पैदाइश पर मुअर्रिखीन खामोश हैं.

(25)हज़रत मुह्सिन रदियल्लाहु अन्हु की वफात किस तरह से हुई?  

जवाब:- आप का इन्तिकाल हालते जनीन में सन 11 हिजरी में हज़रत फातमा रदियल्लाहु अन्हा के पहलू पर दरवाज़ा गिरने से हुआ.

सवाल(26) हज़रत फातु म तुज्जुहरा रदियल्लाहु अन्हा की चौथी औलाद का नाम बताइए?

जवाब:- हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा

सवाल (27) आप की सने विलादत लिखिए?

जवाब:-  सन 05 हिजरी

सवाल (28) हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा की शादी किस खलीफा के दौर में कितनी उमर में किस के साथ हुई?  

जवाब:- खिलाफते फ़ारूकी में.11- या 13 साल की उमर में अपने चचाजाद भाई हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने जाफर तय्यार के साथ हुई?  

  • सवाल (29) हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा के दो बेटों हज़रत औन और मुहम्मद (रदियल्लाहु तआला अनहुम) के तजकिरे सुनने को मिलते हैं कि आप बचपन में करबला में शहीद हुए.इन दोनों के इलावा हज़रत ज़ैनब की और भी औलाद हैं तो उन के नाम बताइए?  

जवाब:- (1) अली बिन अब्दुल्लाह बिन जाफर (रदियल्लाहु तआला अनहुम )

(2) हज़रत अब्बास बिन अब्दुल्लाह बिन जाफर (रदियल्लाहु तआला अनहुम )

(3) औन बिन अब्दुल्लाह बिन जाफर (रदियल्लाहु तआला अनहुम )

(4) मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन जाफर (रदियल्लाहु तआला अनहुम )

(5) उम्मे कुल्सूम बिन्त  अब्दुल्लाह बिन जाफर (रदियल्लाहु तआला अनहुम )

सवाल (30) हज़रत ज़ैनब (रदियल्लाहु तआला अन्हा )सहाबियात से थीं या ताबियात से थीं?  

जवाब:- हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा सहाबिया हैं

सवाल (31)हज़रत फातू म तुज्जुह रा रदियल्लाहु अन्हा की पांचवी औलाद का नाम बताइए ?  

जवाब:- हज़रत उम्मे कुल्सूम ((रदियल्लाहु तआला अन्हा )

सवाल (32) हज़रत उम्मे कुल्सूम (रदियल्लाहु तआला अन्हा)की साले विलादत बताइए?

जवाब:- सन 06 हिजरी

सवाल (33) हज़रत उम्मे कुल्सूम (रदियल्लाहु अन्हा) की शादी किस के साथ किस सन में हुई?  

जवाब:- सन 17 हिजरी में हज़रत उमर फारूक रदियल्लाहु तआला अन्हु के साथ हुई.

सवाल (34) हज़रत उम्मे कुल्सूम (रदियल्लाहु तआला अन्हा) को फारूक़े आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु से कितनी औलाद हुई?

जवाब:- दो औलाद

सवाल (35) दोनों क़े नाम बताइए?

जवाब:- एक साहबजादा हज़रत ज़ैद और एक साहबजादी हज़रत रुक़य्या रदियल्लाहु तआला अन्हुमा.

सवाल (36) हज़रत उमर फारूक रदियल्लाहु तआला अन्हु के इन्तिकाल के बाद हज़रत उम्मे कुल्सूम रदियल्लाहु तआला अनहा की शादी किस से हुई?

जवाब:- हज़रत औन बिन जाफर के साथ

सवाल (37) हज़रत औन बिन जाफर के इन्तिकाल के बाद हज़रत उम्मे कुल्सूम का निकाह किस के साथ हुआ?

जवाब:- औन के भाई मुहम्मद बिन जाफर क़े साथ हुआ.

सवाल (38) हज़रत मुहम्मद बिन जाफर के विसाल (इन्तिकाल) के बाद हज़रत उम्मे कुल्सूम किस की बीवी बनीं?

जवाब:- मुहम्मद बिन जाफर के भाई हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर की-

सवाल (39) हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर तय्यार की शादी तो हज़रत उम्मे कुल्सूम की बहन हज़रत ज़ैनब से थी?

जवाब:- हज़रत जाफर तय्यार के सात लड़के थे.इन में दो के नाम अब्दुल्लाह है मुअर्रीखों ने यह खुलासा नहीं किया है. कि किस अब्दुल्लाह के साथ शादी हुई थी. सात लड़कों के नाम यह हैं. (1)हज़रत अब्दुल्लाह (2) हज़रत औन(3) हज़रत मुहम्मद अकबर (4)हज़रत मुहम्मद असग़र (5) हज़रत हमीद (6) हज़रत हुसैन (7)हजरत अब्दुल्लाह असग़र.बाज़ तारीख (हिस्टरी) लिखने वालों ने यह लिखा है.हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर की शादी पहले हज़रत उम्मे कुल्सूम से हुई उन के इन्तिकाल के बाद हज़रत ज़ैनब से शादी हुई।

सवाल (40) हज़रत उम्मे कुल्सूम रदियल्लाहु अन्हा का शुमार सहाबियात में हुआ या ताबियात में?  

जवाब;-सहाबियात में

सवाल:- (41)हज़रत फातु म तुज्जहरा रदियल्लाहु

अन्हा की छटटी औलाद का नाम बताइए?

जवाब:- हज़रत रुक़य्या रदियल्लाहु तआला अन्हा (नोट:- आप बचपन में इन्तिकाल कर गईं)

सवाल (42)बताइए कि हज़रत फातु म तुज्जहरा रदियल्लाहु अन्हा का इन्तिकाल किस सन में हुआ और उस वक़्त आप की उमर शरीफ कितनी थी?

जवाब:-03 रमज़ान सन 11 हिजरी सह शम्बा (मंगल) को इन्तिकाल  हुआ.उस वक़्त आप की उमर 29 साल थी

दूसरा बाब (2)

सय्यदुश्शोह्दा की विलादत से करबला तक के हालात

सवाल (43)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की तारीखे विलादत.दिन. महीना व साल हिजरी के मुताबिक किताबों के हवालों और मुसन्निफ़ों के नाम के साथ लिखिए?

जवाब:-04 या 05 शाबानूल मुअज्जम सन 04 हिजरी सह शम्बा (मंगल) को हुई (13)

सवाल (44)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की विलादत के बाद आप को कपड़े में लपेट कर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की गोद में पेश करने वाली सहाबिया का नाम बताएं?

जवाब:- हज़रत असमा बिनते अमीस (14)

 

सवाल (45) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की पैदाइश के बाद आप के सीधे कान में अज़ान और बाएं कान में इकामत किस ने कही?

जवाब:- हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने

सवाल (46) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के वालिद हज़रत अली ने आप के लिए कौन सा नाम तजवीज़ किया था?

जवाब:- हर्ब

सवाल (47) हर्ब के माना बताइए?

जवाब:- लड़ाई.जंग

सवाल (48) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की कुन्नियत बताइए?

जवाब:- अबू अब्दुल्लाह

सवाल (49) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के दो अलक़ाब बताइए?

जवाब:-सिब्ते रसूल और रैहाने रसूल (17)

सवाल (50) सिब्त और रैहान के माना से आगाह कीजिए?

जवाब:-सिब्त के माना बेटी की औलाद-निवासा. और रैहान के माना खुशबू वाला फूल

सवाल (51) लफ्ज़े "रैहान " कुरआन मजीद के किस पारे में आया है. साथ ही आयत नंबर लिखिए?

जवाब:-पारा नंबर 27 आयत नंबर 12 दीखिये

सवाल (52)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की विलादत के कितने दिनों बाद आप का अकीका किया गया. और अकीका में दो कौन से जानवर जिबह किए गए?

जवाब:- सातवें दिन. दो मेँढे (18)दो बकरे (19)

सवाल (53) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के अकीका के वक़्त सर के बालों के बराबर सोना.चांदी.रूपया. और अनाज में कौन सी चीज़ खैरात की गई?

जवाब:- चांदी (20)

सवाल (54)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु का तअल्लुक किस खानदान और कबीला से था.

जवाब:- खानदाने बनू हाशिम और क़बीला क़ुरैश से

सवाल (55) आयते ततहीर क़ुरआने पाक के किस पारा में है और आयते ततहीर में सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु दाखिल हैं या नहीं?  

जवाब:- 22वें पारे में है.इस आयत में इमाम हुसैन दाखिल हैं

सवाल (56) रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया हसन और हुसैन यह दोनों दुनिया में मेरे दो फूल हैं यह हदीस बुखारी शरीफ में भी है और तिरमिज़ी शरीफ में भी है. बताइए बुखारी की हदीस के रावी कौन हैं और तिरमिज़ी के रावी कौन हैं?

जवाब:- बुखारी के रावी हज़रत अब्दुर्रहमान इब्न अबी नईम और तिरमिज़ी के हज़रत अब्दुल्लाह इब्न उमर  रदियल्लाहु अनहुमा हैं

सवाल (57) बताइए हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम किस को मुखातब कर के फरमाते थे. " अस्सलामु अलै  क या अबा रैहानैन?  

जवाब:- हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु को

सवाल (58) हज़रत अनस रदियल्लाहु अन्हु ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा कि अहलेबैत कि अहले बैत में आप को ज़्यादा प्यारा कौन है? तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने किस के नाम बताए?

जवाब:- हज़रत हसन और हज़रत हुसैन रदियल्लाहु अनहुमा के

सवाल (59) क़ा ल रसूलुल्लाहि सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हुसैनुम्मिँनी व अना मिन हुसैनि अहब्बुल्लाहि मन अहब्बा हुसैना.हुसैनुन सब्तु मिनल असबात.इस हदीस शरीफ का तर्जुमा कीजिए?

जवाब:- फरमाया रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कि हुसैन मुझ से हैं और मैं हुसैन से हूँ.अल्लाह उस से मुहब्बत करे जो हुसैन से मुहब्बत करे. हुसैन अस्बात में से एक सिबत हैं (21)

सवाल:-(60) हज़रत फातु म तुज्जुहरा जन्नती औरतों की सरदार .और हसन व हुसैन जन्नती जवानों क़े सरदार हैं. यह फरमान अल्लाह तआला का है. या इरशादे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम है?

जवाब:- इरशादे रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) है

सवाल (61) औलादे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में से उस शख्सियत का नाम बताइए जो " अज़ सर ता क़दम बिल्कुल हम शक्ले मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम थी?

जवाब:-हज़रत फातु म तुज्जुहरा रदियल्लाहु अन्हा (22)

सवाल (62) हज़रत हसनैन करीमैन में से एक भाई हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सर से सीना तक मुशाबा थे. दूसरे भाई सीना से पांव तक.कौन सीना तक मुशाबा थे.और कौन सीना से पांव तक मुशाबा थे. बताइए?

जवाब:-हज़रत हसन रदियल्लाहु सर से सीना तक और हज़रत हुसैन रदियल्लाहु अन्हु सीना से पांव तक मुशाबा थे (23)

सवाल (63) "आज यह आसमान वालों के नज़दीक तमाम ज़मीन वालों से ज्यादा महबूब है" यह बातें किस ने किस से किस लिए कही थीं?

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु से उन के लिए कही थीं (24)

सवाल (64) रसूल अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि" मेरी सुन्नत का पहला बदलने वाला एक शख्स बनू उमय्या का होगा" उस शख्स का नाम बताइए?

जवाब:- यज़ीद (25)

सवाल (65) यज़ीद का माना बताइए?

जवाब:- संग दिल. ज़ालिम. दौलत में बढ़ने  वाला.

सवाल (66) उमवी खलीफा हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ की महफिल में एक शख्स ने यज़ीद को अमीरूल मोमिनीन कहा तो आप ने उस शख्स को कोड़े लगवाए.बताइए कि खलीफा ने कितने कोड़े लगवाए?

जवाब:- 20 कोड़े लगवाए (26)

सवाल (67)हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में एक शख्स अपने  बेटा को लेकर तहनीक (कोई चीज़ चबाकर नरम कर के खिलाने ) के लिए लाया तो हुजूर ने फरमाया " हुवल वजउबनुल वजऊ "यह गिरगट का बेटा गिरगट है" बताइए वह शख्स कौन था और उस के बेटा का नाम किया था?

जवाब:- वह हकम और उस का बेटा "मरवान" था

सवाल (68) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की अज़वाज (बीबियाँ) की तादाद कितनी है ?

जवाब:-सात हैं

सवाल(69) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की सातों अज़वाज( बीबियों) के नाम बताइए?  

जवाब:- (1) हज़रत लैला (इन्हीं को आमिना भी कहा गया है) बिनते अबी मर्रा उरवह बिन मसऊद सकफी

(2)हज़रत शहर बानों

(3) हज़रत उम्मे इसहाक बिनते हज़रत तलहा रदियल्लाहु अनहुम

(4) हज़रत रबाब बिनते  उमराउल कैस बिन अदी

(5)हज़रत हफ्सा बिनते अब्दुर्रहमान बिन अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अनहुम

(6) हज़रत उम्मे जाफर

(7)हज़रत बिनते अबू मसऊद अंसारी (27)

सवाल (70) हज़रत शहर बानों के इस्लाम कबूल करने से पहले का नाम बताइए?

जवाब:-शहरान

सवाल (71)यज़ीद किस सन हिजरी में तख्त पर बैठा?

जवाब:- 60 हिजरी

सवाल (72) यज़ीद जब तख्त नशीन हुआ उस वक़्त मदीना मुनव्वरा का गवर्नर कौन था?

जवाब:- वलीद बिन उत्बा

सवाल (73) यज़ीद ने दमिश्क से वलीद  के नाम जो खत भेजा था. उस खत में मदीना मुनव्वरा के चार बुजरुगों से बैअत लेने की सख्त हिदायत थी. इन चार बुजरुगों के नाम लिखिए?

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर फारूक.अब्दुल्लाह बिन अब्बास.अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर. हुसैन बिन अली रदियल्लाहु अनहुम

सवाल (74)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु.जब मक्कतुल मुकर्रमा पहोंचे. तो उस वक़्त वहाँ का गवर्नर कौन था

जवाब:- हारिस बिन हुर्र

सवाल (76) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु.यज़ीद के लिए वलीद बिन उत्बा के हाथ पर बैअत से इनकार करने के बाद कितने  दिनों तक मदीना मनव्वरा में रहे?

जवाब:- 12 दिनों तक

सवाल (77) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु जब मक्कतुल मुकर्रमा में ठहरे रहे. फिर कूफा के लिए रवाना हुए?

जवाब:-सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु .चार महीने दस दिन मक्कतुल मुकर्रमा में ठहरे.फिर कूफा के लिए रवाना हुए.

सवाल (78)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु को कूफा बुलाने के लिए पहला मशवरा सुलेमान बिन सुरद खज़ाई के मकान में हुआ और हज़रत इमामे हुसैन को खत लिखा गया.लिहाज़ा पूछना यह है कि सुलेमान सहाबी थे या ग़ैरे सहाबी?

जवाब:- सहाबी थे

सवाल (79) हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सुलेमान ने हदीसें रिवायत भी की है?

जवाब:- हाँ! उन की हदीसें सहीहीन वग़ैरह में मरकूम हैं

सवाल (80) फिर क्या वजह है कि सुलेमान बिन सूरद खजाइ ने हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु का साथ नहीं दिया?  

जवाब:- उस की वजह यह बयान की गई है कि इब्ने ज़्यादा ने कूफा में आकर जिस तरह दार व गीर शुरू कर रखी थी. और खौफ व दहशत का समां पैदा कर के हर तरफ से जो नाका बंदी कर दी थी उस मे सही वाकिआत का मुख्लिसीन को भी बर वक़्त इल्म न हो सका जो वह मौका पर पहोंच कर हजरत हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की मदद को आते और न इस अम्र का पहले अंदाजा था. यह अश्किया हज़रत हुसैन रदियल्लाहु अन्हु को राह ही में रोक कर बे दरदी से शहीद कर डालेंगे (29)

सवाल (81)इस बात पर सुलेमान बिन सुरद को अफसोस था या नहीं?  

जवाब:- था! यहाँ तक कि शोहदाए करबला का बदला लेने के लिए जब " तव्वाबीन " की जमाअत उठी तो आप सन 65 हिजरी में "अमीरुत्तव्वाबीन" बन कर चार हज़ार फिदाइयों को ले कर उबैदुल्लाह बिन ज़्यादा के लश्कर से लड़ते हुए 24 जमादिल अव्वल सन 65 हिजरी को जामे शहादत नोश किया

सवाल(82) शहादत के वक़्त सुलेमान बिन सुरद की उमर कितने साल थी?  

जवाब:- तिरानवे (93) साल की थी (30)

सवाल (83) कूफा वालों की तरफ से पहला खत सय्यदुश्शोह्दा की खिदमत में लाने वाले दोनों कासिदीन के नाम लिखिए?

जवाब:- अब्दुल्लाह बिन सुबअ हम्दानी और अब्दुल्लाह बिन दाल

सवाल (84) दोनों कासिद सय्यदुश्शोह्दा की खिदमत में जब पहोंचे तो सन हिजरी की कौन सी तारीख थी कौन सा महीना था साथ में सन भी लिखिए?  

जवाब:- 10 रमज़ान सन 60 हिजरी

सवाल (85) आखिरी खत लाने वाले कासिदों के नाम बताइए?  

जवाब:- हानी बिन हानी सुबैई और सईद बिन अब्दुल्लाह हनफी

सवाल (86) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के पास कूफियों के जब खूतूत आरहे थे उस वक़्त कूफा के गवर्नर कौन थे?

जवाब:- हज़रत नोमान बिन बशीर अंसारी रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (87) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु को अपना नाईब बना कर सब से पहले कूफा भेजा सय्यदुश्शोह्दा का उन से किया रिश्ता था?

जवाब:-  चचाज़ाद भाई का

सवाल(88) हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु के दादा का नाम बताइए?

जवाब:- अबू तालिब

सवाल (89) हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु के साथ उन के दो लड़के भी थे इन दोनों लड़कों के नाम लिखिए?  

जवाब:- हज़रत मुहम्मद व इब्राहीम रदियल्लाहु अनहुमा

सवाल (90) हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु किस तारीख.माह.व सन  में कूफा पगोँचे थे?  

जवाब:- यकुम जुल हज्जा सन 60 हिजरी में (31)

सवाल (91) हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु कूफा पहोंच कर किस के मकान में ठहरे थे?

जवाब:- मुख्तार बिन अबू उबैदा के मकान पर

सवाल (92)हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु कूफा से सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के पास दो शख्सों के हाथों खत भेजा था उन दोनों का नाम बताइए?  

जवाब :- हज़रत कैस और हज़रत अब्दुर्रहमान रदियल्लाहु अनहुमा के हाथों (32)

सवाल (93) हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु के हाथों पर कूफा में कितने लोगों ने बैअत की?

जवाब:- इस तअल्लुक से मुख्तलिफ़ रिवायतें हैं 12000 - 18000-25000-40000 की रिवायतें बयान की गईं हैं

सवाल (94) मज़कूरह बाला तज़ाद  तहकीक की ततबीक़ कैसे होगी?

जवाब:-उस की ततबीक इस तरह से होगी कि हज़रत रदियल्लाहु अन्हु जिस दिन कूफा में पहोंचे तो सिर्फ 07 घंटे में 12000 - हज़ार लोगों ने बैअत की.उस के बाद फिर लोगों में हज़रत मुस्लिम के कूका पहोंचने की ख़बर आम होती गई.और लोग आकर बैअत होते गए यहाँ तक कि 18000 लोगों ने बैअत कर ली (33) इसी तरह बढ़ते बढ़ते चालिस हज़ार लोगों ने आप के हाथों पर बैअत की

सवाल (95)उबैदुल्लाह इब्न ज़्यादा बसरा का गवर्नर था यज़ीद ने जब उसे कूफा जाने के लिए खत भेजा तो इब्ने ज़्यादा ने  बसरा में अपना जा नशीन  किस को बनाया?

जवाब:- अपने भाई उस्मान बिन ज़्यादा को

सवाल (96) उबैदुल्लाह इब्न ज़्यादा के कूफा पहोंचने के बाद हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु किस के मकान में मुनतकिल हो गए?

जवाब:- हानी बिन उरवा के मकान में

सवाल (97) हज़रत नौमान बिन बशीर रदियल्लाहु अन्हु कूफा के बाद कहाँ के वाली मुकर्रर हुए?

जवाब:- " हिमस " के

सवाल (98) लफ्ज़ "हिमस-हुम्स" लिखना और बढ़ना दुरुस्त है या नहीं?

सवाल (99) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के वालिद हज़रत अली और हज़रत मुस्लिम रdi यल्लाहु अनहुमा के वालिद हज़रत अकील के दरमियान किया रिश्ता था?

जवाब:- भाई का

सवाल (100) हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु की तारीखे शहादत माह व साल के साथ लिखिए?

जवाब:- 03 ज़िलहिज्जा सन 60 हिजरी (34)

सवाल (101) हज़रत मुस्लिम रदियल्लाहु अन्हु  के साहबजादे हज़रत मुहम्मद और इब्राहीम रदियल्लाहु अनहुमा के कातिल का नाम बताइए?  

जवाब:- हारिस

सवाल (102) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु मक्कतुलमुकर्रमा से किस तारीख और माह व सन में कूफा के लिए रवाना हुए?

जवाब:- 03 ज़िल हिज्जा सन 60 हिजरी में (35)

सवाल (103) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के हमराह अहलेबैत के मर्द व औरत और मवाली व खुद्दाम समेत कुल कितने आदमी थे?

जवाब:- कुल बयासी 82 आदमी थे

सवाल (104) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु मक्कतुल मुकर्रमा से कूफा के लिए रवाना हुए तो कौन सा दिन था?  

जवाब:- "मंगल" (36) दोशँबा (37)

सवाल (105) 82 नूफूसे में कितने आदमी सवारी पर थे और कितने पैदल थे?

जवाब:- 72 आदमी सवारी पर थे और दस आदमी पैदल थे (38)

सवाल (106) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु को सब से पहले किस ने कहा था "या इब्ने रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) आप हरगिज़ कूफा न जाएं.कूफी बड़े मक्कार और दगाबाज़ होते हैं?  

जवाब:- उमरू बिन अब्दुर्रहमान बिन अल हर्ष

सवाल (107) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु से किस ने कहा कि" आप कूफा वालों को जानते पहचानते हुए फिर वहाँ जा रहे हैं?

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु अनहुमा

सवाल (108) सवालिया अंदाज़ में किस ने पूछा कि " यह सच है आप कूफा जारहे हैं?

जवाब:- अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रदियल्लाहु अनहुमा ने

सवाल (109)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु  से किस ने कहा कि "अफ़सोस यह है कि वह (कूफी)अपने आप को मुसलमान कहते हैं. लेकिन उन के अफआल का इस्लाम से दूर का भी वास्ता नहीं. आप बहोत सीधे हैं उन के झांसा में आए जाते हैं?

जवाब :-हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (110) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु और आप के रफीकों ने पहली मंजिल पर किस जगह क़याम फरमाया उस जगह का नाम बताइए?

जवाब :- "तनईम"

सवाल (111) यमन का गवर्नर कुछ क़ीमती तोहफे तहाईफ देकर चंद लोगों को एक काफिला की शकल में यज़ीद के पास रवाना किया "मुकामे तनईम में उन लोगों की मुलाकात सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु से हुई और बग़ैर लड़ाई के उन लोगों ने वह सारा माल सय्यदुश्शोह्दा के हवाले कर दिया.यमन के उस वाली क़ा नाम बताइए?

जवाब:- बुहीर बिन ऐसानी

सवाल (112) सय्यदुश्शोह्दा की किस मुकाम पर "फरज़दक़ " शायर से मुलाकात हुई?

जवाब:- मुकामे सफ्फाह में

सवाल (114) "फरज़ दक़ " लक़ब या तखल्लुस था फरज़ दक़ का असली नाम किया था?

जवाब:- हम्माम बिन गालिब (40)

सवाल (115)सय्यदुश्शोह्दा के भांजे और हज़रत ज़ैनब के लड़के  हज़रत और हज़रत मुहम्मद रदियल्लाहु अनहुमा अपने वालिद गेरामी का खत ले कर सय्यदुश्शोह्दा से किस मुकाम पर मुलाकात की?

जवाब:- मुकामे सफ्फाह में

सवाल (116) हज़रत औन व मुहम्मद रदियल्लाहु अनहुमा के वालिद का नाम बताइए?

जवाब:- अब्दुल्लाह बिन जाफर तय्यार

सवाल:-तय्यार का माना और हज़रत रदियल्लाहु अन्हु के नाम के साथ तय्यार की अजाफत की वजह  बताइए?  

जवाब:- "तय्यार" क़ा माना उड़ने वाला परिंदा जो खूब उड़ सके. बहोत खूब उड़ने वाला.तेज़ फ़हम.लक़ब.जाफर बिन तालिब का इस लिए कि वह बहिश्त में फरिश्तों के साथ उड़ते फिरते हैं

सवाल(118) सय्यदुश्शोह्दा किस मुकाम से खत लिख कर कैस बिन मसहरी को दे कर कूफा के लिए रवाना किया था?

जवाब:-हाजिर से

सवाल (119) हज़रत कैस किस मुकाम पर किस के हाथों गिरिफ्तार हो गए?

जवाब:-मुकामे "कादिसिया" में हसीन बिन नमीर के हाथों .

सवाल (120) हसीन बिन नमीर कौन था?  

जवाब:- फौजी अफसर या पोलिस का हाकिमे आला

सवाल(121) हसीन का माना क्या होता है?  

जवाब:- मोह्कम.इस्तवार. मजबूत

सवाल (122)हज़रत कैस को गिरिफ्तार कर के कहाँ भेजा और आप का हाल किया हुआ?

जवाब:- इब्ने ज़्यादा के पास और आप शहीद कर दिए गए .

सवाल (123) मुकाम "ज़र वद" में सय्यदुश्शोह्दा की एक ऐसे शख्स से हुई जो अपनी जौजा (बीवी) को तिलाक दे कर इमामे हुसैन के साथ कूफा को रवाना हो गए उन क़ा नाम बताइए?

जवाब:- हज़रत ज़बीर बिन क़ैन बज्ली

सवाल (124) ज़बीर और क़ैन दोनों लफ़्ज़ों के माना लिखिए?

जवाब:- जबीर का माना खिला हुआ.ताबां .रोशन- और क़ैन का माना आहन गर. और लोहार होता है

सवाल (125) मुक़ाम "ज़र वद" में दो अश्खास हुसैनी काफिला में शरीक हुए थे इन दोनों क़ा नाम लिखिए?

जवाब:- अब्दुल्लाह बिन सलीम और मज़री बिन मुशआमिल असदी

सवाल(126) हज़रत मुस्लिम इन के दोनों लड़के और हानी बिन उरवा की शहादत की ख़बर जब सय्यदुश्शोहदा को मिली तो आप किस मुक़ाम पर खीमाज़न थे?

जवाब:- मुक़ाम "सअलबिया" में

सवाल (127) हज़रत मुस्लिम की शहादत की ख़बर देने वाले का नाम बताइए?  

जवाब:- बकर असदी

सवाल (128) सय्यदुश्शोह्दा ने इस ख़बर को अपने रूफ्क़ा पर ज़ाहिर नहीं किया.बताइए किस मुक़ाम पर पहोंच कर आप ने अपने साथियों से बताया कि हज़रत मुस्लिम शहीद कर दिए गए?

जवाब:- मुकामे "ज़बाला " में

सवाल (129) सय्यदुश्शोह्दा के भेजे हुए कासिद हज़रत क़ैस और अब्दुल्लाह बिन बकतर की शहादत की ख़बर किस मुक़ाम पर मिली?

जवाब:- मुक़ामे "ज़बाला" के मुक़ाम पर

सवाल (130) किस मुक़ाम पर पहोंच कर हज़रत जैनुल आबिदीन की तबीअत ज़्यादा अलील हो गई जिस की वजह से सय्यदुश्शोह्दा को मज़ीद एक दिन उस मुक़ाम पर रुकना पड़ा?  

जवाब:- बतन उक़बा के मुक़ाम पर

सवाल (131) हज़रत जैनुल आबिदीन का असली नाम बताइए?  

जवाब:- अली बिन हुसैन

सवाल (132) मुकामे "वाक़िसा" के बाद हज़रत इमाम आली मुक़ाम ने किस जगह पर मंजिल की?

जवाब:- मुकामे "शराफ या शरफ़ " में

सवाल (133)मुकामे "वाकिसा" से मुक़ाम "शराफ या शरफ़ " की दूरी बताइए?

जवाब:-दो मील

सवाल (134) यकुम मुहर्रमुल हराम साठ हिजरी को सय्यदुश्शोह्दा एक पहाड़ के दामन में खीमा ज़न हुए थे. उस पहाड़ का नाम बताइए?  

जवाब:- कोहे दह सम

सवाल (135) जब हुर्र बिन यज़ीद  सय्यदुश्शोह्दा को गिरिफ्तार करने आये थे उस वक़्त हुर्र के साथ कितने फ़ौजी थे?  

जवाब:-एक हज़ार

सवाल (136) मुकाम" वाकिसा  और अज़ीब " के दरमियान इमाम आली मुक़ाम ने किस जगह क़याम किया?  

जवाब:- मुक़ाम "बैजा" में  

सवाल (137) सय्यदुश्शोह्दा मुक़ाम अज़ीब और कसरे बनी मकातिल होते हुए  मुकामे नैनवा में दाखिल हुए थे.नैनवा का दूसरा नाम किया था?

जवाब:- शित्तुल फरात

सवाल (138) "शित " क़ा माना बताइए?  

जवाब:- नदी. नहर. दरिया का किनारा

सवाल (139) सय्यदुश्शोह्दा अपने हमराहियों समेत किस तारीख माह व सन और किस दिन करबला में वारिद हुए थे?  

जवाब:- 02 मुहर्रमुल हराम सन 61 हिजरी पंजशम्बा (जुमेरात ) के दिन-

सवाल (140) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु अपने रूफ्का (साथियों) समेत कितने दिनों में करबला में पहोंचे?  

जवाब:- तीस दिनों में

सवाल (141) बअज़ लोगों ने लिखा है कि 23 दिनों में मक्का से करबला पहोंचे ?

जवाब:- हाँ ऐसी भी रवायतें लिखी गईं हैं

सवाल (142) करबला का दूसरा नाम बताइए?

जवाब:- मारिया या तिफ़ -

सवाल (143) 03 मुहर्रमुल हराम सन 61 हिजरी के दिन चार हज़ार  की तादाद में यज़ीदी  लश्कर किस की मा तहती में करबला पहोँचा?  

जवाब:- उमरू बिन साद की मा तहती में -

सवाल (144) उबैदुल्लाह इब्ने ज़्यादा ने  उमरू बिन साद को कहाँ की हुकूमत देने की लालच दी थी?

जवाब:- "रै " की हुकूमत

सवाल (145) मुहर्रमुल हराम की किस तारीख को हुर्र हुसैनी काफिला के खीमे के करीब नहरे फ़ुरात की तरफ मुकीम हुए?

जवाब:- 04 मुहर्रमुल हराम सन 61 हिजरी

सवाल (146) मुहर्रमुल हराम की किस तारीख को उमरू बिन सअद.सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में यज़ीद की बैअत करने के लिए कहने आया?  

जवाब:- 05 मुहर्रमुल हराम सन 61 हिजरी

सवाल (147) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने बैअत से इनकार कर के तीन शरतें उमरू बिन सअद के सामने पेश कीं.वह तीन शरतें उमरू बिन सअद के सामने पेश कीं .वह तीन शरतें किया थीं?

जवाब:- (1) जहाँ से आया हूं वहीं मुझे वापस जाने दो (2) मुझे किसी सरहदी मुक़ाम पर ले चलो वही रह कर वक़्त गुज़ार लूंगा (3) मुझे सीधे यज़ीद के पास जाने दो

सवाल (148) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शरतें उमरू बिन सअद और उबैदुल्लाह इब्ने ज़्यादा को

पसंद आईं.तीसरा वह कौन शख्स था जिसे यह शर्तें पसंद न आईं और उबैदुल्लाह बिन ज़्यादा को सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के खिलाफ जंग करने के लिए उकसाया?  

जवाब:- शिमर ज़िलजोशन -

सवाल (149) करबला में यज़ीदी फौज की तादाद कितनी थी ?

जवाब :- 22000( बाइस हज़ार )

सवाल (150) हजरत अली रदियल्लाहु अन्हु के चार लड़के जो सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के सौतीले भाई और शिमर ज़िलजोशन के भांजे थे. मैदाने करबला में सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के साथ में लड़ते हुए शहीद हुए .उन के नाम लिखिए ?

जवाब:- (1)अब्दुल्लाह (2) अब्बास (अलम्दार) (3)जाफर (4) उस्मान

सवाल (151) इन चारों भाईयों की मां का नाम बताइए?  

जवाब:- उम्मुल बनीन

सवाल (152)उमरू बिन सअद ने किस की मइय्यत में पांच सौ सवार सिपाहियों को फरात पर हुसैनी काफला पर पानी की बंदिश के लिए मु त अय्यन किया?

जवाब:- उमरू बिन हज्जाज

सवाल (153)हुसैनी काफिला के अलमबरदार हज़रत अब्बास रदियल्लाहु अन्हु थे.यज़ीदी लश्कर का अलमबरदार कौन था?  

जवाब:- उमरू बिन सअद का गुलाम "जुवैद"

सवाल (154) उमरू बिन सअद ने मैमना और मैसरा क़ाईम कर के उमरू बिन हज्जाज जैदी और शिमर ज़िलजोशन को मुकर्रर किया .बताइए दोनों में से मैमना पर किस को और मैसरा पर किस को मुकर्रर किया?  

जवाब:- "मैमनां" पर "उमरू बिन हज्जाज" और "मैसरा" पर शिमर ज़िल जोशन .

सवाल (155) मैमना.और मैसरा का माना बताइए?  

जवाब;-"मैमना " के माना जानिब दस्त रास्त .दाहने हाथ की तरफ (ओर) फौज जो लड़ाई के वक़्त बादशाह की दाहिनी  तरफ खड़ी हो.

"मैसरा" के माना तरफ "दस्ते चुप" बाइं तरफ .वह फौज जो लड़ाई के वक़्त बादशाह के बाइं हाथ की तरफ रहती है

सवाल (156) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने मैमना पर किस को और मैसरा पर किस को मुक़र्रर किया था?

जवाब:- "मैमना" पर हबीब बिन मज़हर - और "मैसरा" पर ज़हीर बिन  कैन को

सवाल (157) हुसैनी काफिले पर पहला तीर किस ने छोड़ा?

जवाब:- उमरू बिन सअद ने

सवाल (158) मैदाने करबला में अब्दुल्लाह बिन उमैर सब से पहले शहीद हैं. आप का तअल्लुक़ किस क़बीले से था और आप की बीवी जो करबला में मौजूद थीं.उनका नाम किया है?  

जवाब:- आप का तअल्लुक "बनू कलब" से और आप की बीवी का नाम "उम्मे वहब " था.

सवाल(159) करबला में हुसैनी खीमे से  पांच ख्वातीन यज़ीदियों पर हमला या एतेराज करने की ग़रज़ से बाहर आईं.उन के नाम लिखिए?

जवाब:- उम्मे बहब जौजा अब्दुल्लाह कलबी (2) उम्मे क़मर वालिदा हज़रत अब्दुल्लाह कलबी (3)हज़रत ज़ैनब (4) कनीज मुस्लिम बिन औसजा असदी (5) मादरे उमरू बिन जुनादह-

सवाल (160)मैदाने करबला में बरीर बिन हजीर मौजूद थे जो बड़े इबादत गुज़ार थे.आप का लक़ब किया था? जवाब:- सय्यदुल कुर्रा

सवाल (161) उमरू बिन फरत और हज़रत हुर्र की शहादत के बाद हज़रत हुर्र के भाई और उन के बेटे और उन के गुलाम शहीद हुए इन तीनों के नाम बताइए?

जवाब:- भाई मसअब/बेटा अली/गुलाम अजजा

सवाल (162)हज़रत हुर्र बिन यज़ीद रयाही दौराने जंग जब घोड़े से गिरे तो उन के क़रीब इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु पा प्यादा गए या घोड़े पर सवार हो कर गए?  

जवाब:-घोड़े पर सवार हो कर गए (बअज़ मुअर्रिखीन ने लिखा है कि पा प्यादा गए)

सवाल (163) मैदाने करबला में सय्यदुश्शोह्दा इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के रूफ्का या अक़रबा में से जब कोई जंग करते हुए मैदान में गिर जाते थे तो इमाम आली मुक़ाम उन को उठा कर लाते और खीमे के क़रीब रखते.यज़ीदी फौज का जब कोई सिपाही गिरता था तो कौन उठाता था?

जवाब:- कोई नहीं- जो जहाँ गिरता था वहाँ पर ही मर जाता और उस की नअश (लाश) वहाँ पर ही पड़ी रहती

सवाल (164) मैदाने करबला में मुस्लिम बिन औसजा की शहादत के बाद हज़रत सुलेत जामे शहादत नोश फरमाते हैं.बताइए हज़रत सुलेत का तअल्लुक किस क़बीला से था?  

जवाब:- क़बीला मज़हज से

सवाल(166) हज़रत सुलेत के क़रीब  इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु पा प्यादा गए या घोड़े पर सवार हो कर गए-?

जवाब:- घोड़े पर सवार हो कर गए

सवाल (167) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु हज़रत सुलेत को मैदान से उठा कर खीमे के क़रीब कैसे लाए?

जवाब:- घोड़े पर रख कर लाए

सवाल (168) सय्यदुश्शोह्दा इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु मैदान में गिरने और शहीद होने वाले अपने तमाम रूफक़ा और अक़रबा के क़रीब घोड़े पर जाते और उन को घोड़े पर रख कर लाते थे. बताइए कि कितने शोहदा ke क़रीब पा प्यादा गए हुए थे?  

जवाब :- सिर्फ सात शोहदा के क़रीब पा प्यादा और उन को कांधे पर उठा कर लाए -

सवाल (169) उन सातों अशखास के नाम बताइए?  

जवाब:-(1) मुस्लिम बिन औसजा (2) वाज़ेह रूमी (3) जौन (4) हज़रत अब्बास अलमदार (5) हज़रत अली अकबर (6)हज़रत क़ासिम (7) और बअज़ मु अर्रीखों ने हज़रत हुर्र का भी नाम लिखा है

सवाल (170) मैदाने करबला में हजरत अली रदियल्लाहु अन्हु के आठ फर फ़र्ज़न्द सय्यदुश्शोह्दा के साथ थे और आठों भाईयों ने शहादत पाई.उन आठों भाईयों के नाम बताइए?  

जवाब:- (1) अब्बास बिन अली (2) उस्मान बिन अली (3) अब्दुल्लाह बिन अली (4) मुहम्मद बिन अली (5)जाफर बिन अली (6)उबैदुल्लाह बिन अली (7)अबू बकर बिन अली (7)यहया बिन अली  

सवाल (171) मैदाने करबला में सय्यदुश्शोह्दा हज़रत  इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु  के हमराह हज़रत हसन रदियल्लाहु अन्हु के चार साहबज़ादे शहीद हुए थे. इन चारों के नाम लिखिए?

जवाब:- (1)क़ासिम बिन हसन (2)अब्दुल्लाह बिन हसन (3) उमर बिन हसन (4) अबूबकर बिन हसन  रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (172) मुहम्मदुल असग़र.मुहम्मदनिल औसत. और मुहम्मदनिल अकबर रदियल्लाहु अनहुम.सय्यदुश्शोह्दा हज़रत  इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के कौन थे?  

जवाब:- सौतेले भाई

सवाल (173) मैदाने करबला में शहीद होने वाले हज़रत औन व मुहम्मद रदियल्लाहु अनहुमा की माँ उन के वालिद और दादा का नाम बताइए?  

जवाब:- माँ का ज़ैनब. वालिद का नाम हज़रत अब्दुल्लाह.दादा का नाम जाफर

सवाल (174) हज़रत मुस्लिम बिन अकील के उन तीनों भाइयों के नाम लिखिए जो करबला में शहीद हुए थे?  

जवाब:- (1)हज़रत अब्दुल्लाह बिन अकील (2) हज़रत. अब्दुर्रहमान बिन अकील (3) हज़रत जाफर बिन अकील

सवाल (175) हज़रत मुस्लिम रdi यल्लाहु अन्हु के उस साहबज़ादे का नाम बताइए.जो करबला में मौजूद थे?

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह

सवाल(176) हज़रत ज़ैनब (बिनते अली) की उस बहन का नाम बताइए.जो करबला में मौजूद थीं?  

जवाब:- हज़रत उम्मे कुल्सूम

सवाल (177)हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन रदियल्लाहु अन्हु मैदान में आए तो "बख्तरी"जो पांच सौ सवारों पर अफसर था. अपने सवारों को ले कर हज़रत अब्दुल्लाह पर यलगार कर दी. उस वक़्त हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत अब्दुल्लाह की मदद के लिए तीन आदमियों को भेजा इन तीनों अशखास के नाम लिखिए-?

जवाब:- (1) मुहम्मद बिन अनस (2) असद बिन अबी रोजाना (3) और अपने गुलाम पीरोजान.

सवाल (178) मैदाने करबला में हज़रत क़ासिम बिन हसन ने नामी पहलवान और उस के चार बेटे को क़त्ल किया था उस पहलवान का नाम बताइए?

जवाब:- अरज़क़  

सवाल (179) हज़रत अब्बास अलम्दार का एक बाजू नोफिल बिन अरज़क़ ने काटा था. दूसरा बाजू काटने वाले का नाम लिखिए?  

जवाब:- ज़रराह

सवाल (180)मैदाने करबला में हज़रत अली अकबर बिन हुसैन की उमर कितने साल की थी?  

जवाब:- 18 अट्ठारह साल

सवाल (181) करबला में कितने शोहदा की वालिदा ने अपने बेटों को अपनी आंखों से शहीद होते देखा?  

जवाब:- नौ (9)शोहदा की वालिदा ने अपने बेटों को शहीद होते देखा

सवाल (182) उन नौ शहीदों और उन की वालिदा का नाम लिखिए?  

जवाब:- (1) हज़रतअली अकबर (बिन हुसैन रदियल्लाहु अनहुमा) वालिदा का नाम हज़रत लैला रदियल्लाहु अनहुमा-

(2) हज़रतअली असग़र(बिन हुसैन रदियल्लाहु अनहुमा) वालिदा का नाम हज़रत रबाब रदियल्लाहु अनहुमा-

(3)हजरत औन(4) हज़रत मुहम्मद( रदियल्लाहु तआला अनहुमा) वालिदा का नाम उम्मे कुल्सूम रदियल्लाहु तआला अनहुमा (7) हज़रत क़ासिम (बिन हसन रदियल्लाहु अनहुमा) वालिदा का नाम रम्ला (8) अब्दुल्लाह (बिन मुस्लिम रदियल्लाहु अनहुमा) वालिदा का नाम रुक़य्या बिनते अली रदियल्लाहु तआला अनहुमा (9) अब्दुल्लाह र दियल्लाहु अन्हु (बिन उमैर कलबी) वालिदा का नाम उम्मे क़मर रदियल्लाहु अनहुमा

सवाल (183) करबला की जंग दौरान यज़ीदियों ने कितने हूसैनियों का सर काट हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की तरफ उछाल कर कहा था कि लो तुम्हारे बहादुर को शहीद कर दिया?  

जवाब:- तीन हुसैनियों को

सवाल (184) इन तीनों के नाम बताइए?  

जवाब :- (1)अब्दुल्लाह बिन उमैर कलबी (2) उमरू बिन जुनादह(3) आबिस बिन अबी शबीब शाकरी

सवाल (185) हज़रत इमाम जैनुल आबिदीन.उमर बिन हसन. मुहम्मद बिन उमर बिन अली.में से कौन कौन कैदी बनाए गए?  

जवाब:- तीनों क़ैदी बनाए गए

सवाल (186) हज़रत असग़र रदियल्लाहु अन्हु.किस बद बख्त के तीर से शहीद हुए?  

जवाब:- हुर्मिला बिन काहिल के तीर से

सवाल (187) करबला में कितने ना बालिग़ शहीद हुए?  

जवाब:- पांच ना बालिग़ शहीद हुए

सवाल (188) इन पांचों के नाम बताइए?  

जवाब:- हज़रत अली असग़र शीर ख्वार बिन इमाम हुसैन (2) हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन (3)मुहम्मद बिन अबी सईद बिन अकील (4)क़ासिम बिन हसन (5) उमर बिन जुनादा अंसारी

सवाल (189) क्या हज़रत क़ासिम ना बालिग़ थे?

जवाब:- हाँ ! आप की उमर सिर्फ तेरह साल थी

सवाल (190) हज़रत अली की वालिदा का नाम बताइए?

जवाब:-फातमा बिनते असद

सवाल (191) सय्यदुश्शोह्दा इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के हमराह मैदाने करबला में आप की दो लड़कियां थीं एक का नाम सकीना था.और दूसरी का नाम बताइए?  

जवाब:- फातमा

सवाल (192) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु मैदाने करबला में जो अबा पहने और अमामा बांधे हुए थे वह अबा कहाँ का बना हुआ था और अमामा आप को किस से मिला था?  

जवाब:- मिस्र का. जिस को अबाए मिसरी कहा जाता और अमामा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से मिला था.

सवाल(193)सय्यदुश्शोह्दा इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु मैदाने करबला में जिस तलवार से लड़रहे थे उस का नाम किया था?  

जवाब:- जुलफ़क़ार

सवाल (194) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के जिस्म पर मैदाने करबला में मजमूई तौर पर तीरों.नेजों. और तलवारों के कितने ज़ख्म थे ?

जवाब:- बहत्तर (72) ज़ख्म (41)

सवाल (195) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु का सर तन से जुदा कर के सनान बिन अनस नखफी ने किस के हवाले किया?  

जवाब:- खूली बिन यज़ीद के हवाले

सवाल (196)   सय्यदुश्शोह्दा हज़रत  इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु का सर खूली बिन यज़ीद ने किस को दिया?  

जवाब:- शिमर लईन को

सवाल (197) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की शहादत के वक़्त कूफा का गवर्नर कौन था?

जवाब:- उबैदुल्लाह बिन ज़्यादा

सवाल (198) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की नअश (लाश ) पर किस के हुकुम से घोड़े दौड़ाए गए?  

जवाब:- उमरू बिन सअद के हुक्म से

सवाल (199)  सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के जिस्म पाक पर कितने सवारों को घोड़े दौड़ाने के लिए मु त अय्यिन किया गया?  

जवाब:- दस सवारों को

सवाल (200) शोहदाए करबला के सरों को यज़ीदी लश्कर नेज़े पर उठा कर जब करबला से चले तो उस का अफसर कौन था?  

जवाब:- उमरू बिन सअद

सवाल (201)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की उमर शहादत के वक़्त कितने साल. कितने महीने और कितने दिन की थी?  

जवाब:- 56 साल पांच महीने.पांच दिन (42)

सवाल(202) साँ ह ए करबला के बाद कहाँ के लोगों ने शहीदाने करबला की नअशो (लाशों) को दफन किया?  

जवाब:- मुकामे "गाज़िरियह" के लोगों ने

सवाल (203) 10 मुहर्रमुल हराम सन 61 हिजरी जुमा के दिन करबला वकूअ पज़ीर हुआ सन ईस्वी की तारीख माह व सन बताइए?  

जवाब:- 10 अक्टूबर सन 680 ईस्वी

सवाल(204) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु करबला में कितने दिन क़याम फरमाया?  

जवाब :- आठ दिन

सवाल(205)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु ने मदीना में यज़ीद की बैअत से इनकार करने के कितने दिनों बाद शहीद हुए?  

जवाब:- 175 दिनों बाद शहीद हुए

सवाल(206) रसूले कायनात सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विसाल के वक़्त हज़रत इमामे हुसैन की उमर कितने साल की थी?  

जवाब:- तकरीबन सात साल की

सवाल(207) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु से विला वास्ता  रिवायतें हैं?  

जवाब:- हैं

सवाल (208) इन बिला वास्ता रवायतों की तादाद कितनी है?  

जवाब:- सात या आठ

सवाल(209) बिल वास्ता आप ने किन लोगों से रिवायतें की हैं?

जवाब:- अपने वालिदैन करीमैन हज़रत अली मुरतज़ा और हज़रत फ़ातमा ज़हरा रदियल्लाहु अन्हा.अपने खाल हिंद अबी हाला .और और अमीरूल मोमिनीन उमर फारूक रदियल्लाहु अन्हु से-

सवाल (210)आप से किन किन लोगों रवायतें ली हैं?  

जवाब:- आप के भाई हज़रत सय्यदना हसन.हज़रत अबू हुरैरा. आप के साहबज़ादे हज़रत इमाम जैनुल आबिदीन.आप की साहबज़ादियां फ़ातमा सोगरा और सकीना. आप के पोते इमाम बाकर.नीज़ शअबी व अकरमा.शेबानुद्दौली व करजुत्तमीमी वगैरहुम ने

सवाल (211) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की किसी तस्नीफ का नाम लिखिए?

जवाब:- आप अपने बेटे हज़रत जैनुल आबिदीन की इलतेमास पर एक किताब"मिरातुल आरीफीन" तालीफ़ फरमाई थी (43)

सवाल (212) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की मुहर की अंगूठी पर कौन सा जुमला लिखाया था?  

जवाब:- लिकुल्ली अ ज लिन किताब

सवाल (213) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु.यज़ीद की बैअत को ज़लालत समझते थे या बिदअत?  

जवाब:- ज़लालत समझते थे

सवाल (214) किस किताब में यह बात लिखी है तो बताइए?  

जवाब: अल फसल फिल मलल वल अहवाऊन्नहल " की जिल्द 4 - सफाह 105 दीखिये

सवाल (215) मज़कूरा किताब के इलावह किसी और किताब का नाम बताइए?

जवाब:- हज़रत शाह वलियल्लाह रहमतुल्लाह अलैह की किताब "हुज्जतुल बालिगह" में बातें मिलेंगी (45)

सवाल (161) उमरू बिन फरत और हज़रत हुर्र की शहादत के बाद हज़रत हुर्र के भाई और उन के बेटे और उन के गुलाम शहीद हुए इन तीनों के नाम बताइए?

जवाब:- भाई मसअब/बेटा अली/गुलाम अजजा

सवाल (162)हज़रत हुर्र बिन यज़ीद रयाही दौराने जंग जब घोड़े से गिरे तो उन के क़रीब इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु पा प्यादा गए या घोड़े पर सवार हो कर गए?  

जवाब:-घोड़े पर सवार हो कर गए (बअज़ मुअर्रिखीन ने लिखा है कि पा प्यादा गए)

सवाल (163) मैदाने करबला में सय्यदुश्शोह्दा इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के रूफ्का या अक़रबा में से जब कोई जंग करते हुए मैदान में गिर जाते थे तो इमाम आली मुक़ाम उन को उठा कर लाते और खीमे के क़रीब रखते.यज़ीदी फौज का जब कोई सिपाही गिरता था तो कौन उठाता था?

जवाब:- कोई नहीं- जो जहाँ गिरता था वहाँ पर ही मर जाता और उस की नअश (लाश) वहाँ पर ही पड़ी रहती

सवाल (164) मैदाने करबला में मुस्लिम बिन औसजा की शहादत के बाद हज़रत सुलेत जामे शहादत नोश फरमाते हैं.बताइए हज़रत सुलेत का तअल्लुक किस क़बीला से था?  

जवाब:- क़बीला मज़हज से

सवाल(166) हज़रत सुलेत के क़रीब  इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु पा प्यादा गए या घोड़े पर सवार हो कर गए-?

जवाब:- घोड़े पर सवार हो कर गए

सवाल (167) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु हज़रत सुलेत को मैदान से उठा कर खीमे के क़रीब कैसे लाए?

जवाब:- घोड़े पर रख कर लाए

सवाल (168) सय्यदुश्शोह्दा इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु मैदान में गिरने और शहीद होने वाले अपने तमाम रूफक़ा और अक़रबा के क़रीब घोड़े पर जाते और उन को घोड़े पर रख कर लाते थे. बताइए कि कितने शोहदा ke क़रीब पा प्यादा गए हुए थे?  

जवाब :- सिर्फ सात शोहदा के क़रीब पा प्यादा और उन को कांधे पर उठा कर लाए -

सवाल (169) उन सातों अशखास के नाम बताइए?  

जवाब:-(1) मुस्लिम बिन औसजा (2) वाज़ेह रूमी (3) जौन (4) हज़रत अब्बास अलमदार (5) हज़रत अली अकबर (6)हज़रत क़ासिम (7) और बअज़ मु अर्रीखों ने हज़रत हुर्र का भी नाम लिखा है

सवाल (170) मैदाने करबला में हजरत अली रदियल्लाहु अन्हु के आठ फर फ़र्ज़न्द सय्यदुश्शोह्दा के साथ थे और आठों भाईयों ने शहादत पाई.उन आठों भाईयों के नाम बताइए?  

जवाब:- (1) अब्बास बिन अली (2) उस्मान बिन अली (3) अब्दुल्लाह बिन अली (4) मुहम्मद बिन अली (5)जाफर बिन अली (6)उबैदुल्लाह बिन अली (7)अबू बकर बिन अली (7)यहया बिन अली  

सवाल (171) मैदाने करबला में सय्यदुश्शोह्दा हज़रत  इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु  के हमराह हज़रत हसन रदियल्लाहु अन्हु के चार साहबज़ादे शहीद हुए थे. इन चारों के नाम लिखिए?

जवाब:- (1)क़ासिम बिन हसन (2)अब्दुल्लाह बिन हसन (3) उमर बिन हसन (4) अबूबकर बिन हसन  रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (172) मुहम्मदुल असग़र.मुहम्मदनिल औसत. और मुहम्मदनिल अकबर रदियल्लाहु अनहुम.सय्यदुश्शोह्दा हज़रत  इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के कौन थे?  

जवाब:- सौतेले भाई

सवाल (173) मैदाने करबला में शहीद होने वाले हज़रत औन व मुहम्मद रदियल्लाहु अनहुमा की माँ उन के वालिद और दादा का नाम बताइए?  

जवाब:- माँ का ज़ैनब. वालिद का नाम हज़रत अब्दुल्लाह.दादा का नाम जाफर

सवाल (174) हज़रत मुस्लिम बिन अकील के उन तीनों भाइयों के नाम लिखिए जो करबला में शहीद हुए थे?  

जवाब:- (1)हज़रत अब्दुल्लाह बिन अकील (2) हज़रत. अब्दुर्रहमान बिन अकील (3) हज़रत जाफर बिन अकील

सवाल (175) हज़रत मुस्लिम रdi यल्लाहु अन्हु के उस साहबज़ादे का नाम बताइए.जो करबला में मौजूद थे?

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह

सवाल(176) हज़रत ज़ैनब (बिनते अली) की उस बहन का नाम बताइए.जो करबला में मौजूद थीं?  

जवाब:- हज़रत उम्मे कुल्सूम

सवाल (177)हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन रदियल्लाहु अन्हु मैदान में आए तो "बख्तरी"जो पांच सौ सवारों पर अफसर था. अपने सवारों को ले कर हज़रत अब्दुल्लाह पर यलगार कर दी. उस वक़्त हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत अब्दुल्लाह की मदद के लिए तीन आदमियों को भेजा इन तीनों अशखास के नाम लिखिए-?

जवाब:- (1) मुहम्मद बिन अनस (2) असद बिन अबी रोजाना (3) और अपने गुलाम पीरोजान.

सवाल (178) मैदाने करबला में हज़रत क़ासिम बिन हसन ने नामी पहलवान और उस के चार बेटे को क़त्ल किया था उस पहलवान का नाम बताइए?

जवाब:- अरज़क़  

सवाल (179) हज़रत अब्बास अलम्दार का एक बाजू नोफिल बिन अरज़क़ ने काटा था. दूसरा बाजू काटने वाले का नाम लिखिए?  

जवाब:- ज़रराह

सवाल (180)मैदाने करबला में हज़रत अली अकबर बिन हुसैन की उमर कितने साल की थी?  

जवाब:- 18 अट्ठारह साल

सवाल (181) करबला में कितने शोहदा की वालिदा ने अपने बेटों को अपनी आंखों से शहीद होते देखा?  

जवाब:- नौ (9)शोहदा की वालिदा ने अपने बेटों को शहीद होते देखा

सवाल (182) उन नौ शहीदों और उन की वालिदा का नाम लिखिए?  

जवाब:- (1) हज़रतअली अकबर (बिन हुसैन रदियल्लाहु अनहुमा) वालिदा का नाम हज़रत लैला रदियल्लाहु अनहुमा-

(2) हज़रतअली असग़र(बिन हुसैन रदियल्लाहु अनहुमा) वालिदा का नाम हज़रत रबाब रदियल्लाहु अनहुमा-

(3)हजरत औन(4) हज़रत मुहम्मद( रदियल्लाहु तआला अनहुमा) वालिदा का नाम उम्मे कुल्सूम रदियल्लाहु तआला अनहुमा (7) हज़रत क़ासिम (बिन हसन रदियल्लाहु अनहुमा) वालिदा का नाम रम्ला (8) अब्दुल्लाह (बिन मुस्लिम रदियल्लाहु अनहुमा) वालिदा का नाम रुक़य्या बिनते अली रदियल्लाहु तआला अनहुमा (9) अब्दुल्लाह र दियल्लाहु अन्हु (बिन उमैर कलबी) वालिदा का नाम उम्मे क़मर रदियल्लाहु अनहुमा

सवाल (183) करबला की जंग दौरान यज़ीदियों ने कितने हूसैनियों का सर काट हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की तरफ उछाल कर कहा था कि लो तुम्हारे बहादुर को शहीद कर दिया?  

जवाब:- तीन हुसैनियों को

सवाल (184) इन तीनों के नाम बताइए?  

जवाब :- (1)अब्दुल्लाह बिन उमैर कलबी (2) उमरू बिन जुनादह(3) आबिस बिन अबी शबीब शाकरी

सवाल (185) हज़रत इमाम जैनुल आबिदीन.उमर बिन हसन. मुहम्मद बिन उमर बिन अली.में से कौन कौन कैदी बनाए गए?  

जवाब:- तीनों क़ैदी बनाए गए

सवाल (186) हज़रत असग़र रदियल्लाहु अन्हु.किस बद बख्त के तीर से शहीद हुए?  

जवाब:- हुर्मिला बिन काहिल के तीर से

सवाल (187) करबला में कितने ना बालिग़ शहीद हुए?  

जवाब:- पांच ना बालिग़ शहीद हुए

सवाल (188) इन पांचों के नाम बताइए?  

जवाब:- हज़रत अली असग़र शीर ख्वार बिन इमाम हुसैन (2) हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन (3)मुहम्मद बिन अबी सईद बिन अकील (4)क़ासिम बिन हसन (5) उमर बिन जुनादा अंसारी

सवाल (189) क्या हज़रत क़ासिम ना बालिग़ थे?

जवाब:- हाँ ! आप की उमर सिर्फ तेरह साल थी

सवाल (190) हज़रत अली की वालिदा का नाम बताइए?

जवाब:-फातमा बिनते असद

सवाल (191) सय्यदुश्शोह्दा इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के हमराह मैदाने करबला में आप की दो लड़कियां थीं एक का नाम सकीना था.और दूसरी का नाम बताइए?  

जवाब:- फातमा

सवाल (192) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु मैदाने करबला में जो अबा पहने और अमामा बांधे हुए थे वह अबा कहाँ का बना हुआ था और अमामा आप को किस से मिला था?  

जवाब:- मिस्र का. जिस को अबाए मिसरी कहा जाता और अमामा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से मिला था.

सवाल(193)सय्यदुश्शोह्दा इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु मैदाने करबला में जिस तलवार से लड़रहे थे उस का नाम किया था?  

जवाब:- जुलफ़क़ार

सवाल (194) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के जिस्म पर मैदाने करबला में मजमूई तौर पर तीरों.नेजों. और तलवारों के कितने ज़ख्म थे ?

जवाब:- बहत्तर (72) ज़ख्म (41)

सवाल (195) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु का सर तन से जुदा कर के सनान बिन अनस नखफी ने किस के हवाले किया?  

जवाब:- खूली बिन यज़ीद के हवाले

सवाल (196)   सय्यदुश्शोह्दा हज़रत  इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु का सर खूली बिन यज़ीद ने किस को दिया?  

जवाब:- शिमर लईन को

सवाल (197) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की शहादत के वक़्त कूफा का गवर्नर कौन था?

जवाब:- उबैदुल्लाह बिन ज़्यादा

सवाल (198) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की नअश (लाश ) पर किस के हुकुम से घोड़े दौड़ाए गए?  

जवाब:- उमरू बिन सअद के हुक्म से

सवाल (199)  सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के जिस्म पाक पर कितने सवारों को घोड़े दौड़ाने के लिए मु त अय्यिन किया गया?  

जवाब:- दस सवारों को

सवाल (200) शोहदाए करबला के सरों को यज़ीदी लश्कर नेज़े पर उठा कर जब करबला से चले तो उस का अफसर कौन था?  

जवाब:- उमरू बिन सअद

सवाल (201)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की उमर शहादत के वक़्त कितने साल. कितने महीने और कितने दिन की थी?  

जवाब:- 56 साल पांच महीने.पांच दिन (42)

सवाल(202) साँ ह ए करबला के बाद कहाँ के लोगों ने शहीदाने करबला की नअशो (लाशों) को दफन किया?  

जवाब:- मुकामे "गाज़िरियह" के लोगों ने

सवाल (203) 10 मुहर्रमुल हराम सन 61 हिजरी जुमा के दिन करबला वकूअ पज़ीर हुआ सन ईस्वी की तारीख माह व सन बताइए?  

जवाब:- 10 अक्टूबर सन 680 ईस्वी

सवाल(204) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु करबला में कितने दिन क़याम फरमाया?  

जवाब :- आठ दिन

सवाल(205)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु ने मदीना में यज़ीद की बैअत से इनकार करने के कितने दिनों बाद शहीद हुए?  

जवाब:- 175 दिनों बाद शहीद हुए

सवाल(206) रसूले कायनात सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विसाल के वक़्त हज़रत इमामे हुसैन की उमर कितने साल की थी?  

जवाब:- तकरीबन सात साल की

सवाल(207) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु से विला वास्ता  रिवायतें हैं?  

जवाब:- हैं

सवाल (208) इन बिला वास्ता रवायतों की तादाद कितनी है?  

जवाब:- सात या आठ

सवाल(209) बिल वास्ता आप ने किन लोगों से रिवायतें की हैं?

जवाब:- अपने वालिदैन करीमैन हज़रत अली मुरतज़ा और हज़रत फ़ातमा ज़हरा रदियल्लाहु अन्हा.अपने खाल हिंद अबी हाला .और और अमीरूल मोमिनीन उमर फारूक रदियल्लाहु अन्हु से-

सवाल (210)आप से किन किन लोगों रवायतें ली हैं?  

जवाब:- आप के भाई हज़रत सय्यदना हसन.हज़रत अबू हुरैरा. आप के साहबज़ादे हज़रत इमाम जैनुल आबिदीन.आप की साहबज़ादियां फ़ातमा सोगरा और सकीना. आप के पोते इमाम बाकर.नीज़ शअबी व अकरमा.शेबानुद्दौली व करजुत्तमीमी वगैरहुम ने

सवाल (211) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की किसी तस्नीफ का नाम लिखिए?

जवाब:- आप अपने बेटे हज़रत जैनुल आबिदीन की इलतेमास पर एक किताब"मिरातुल आरीफीन" तालीफ़ फरमाई थी (43)

सवाल (212) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की मुहर की अंगूठी पर कौन सा जुमला लिखाया था?  

जवाब:- लिकुल्ली अ ज लिन किताब

सवाल (213) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु.यज़ीद की बैअत को ज़लालत समझते थे या बिदअत?  

जवाब:- ज़लालत समझते थे

सवाल (214) किस किताब में यह बात लिखी है तो बताइए?  

जवाब: अल फसल फिल मलल वल अहवाऊन्नहल " की जिल्द 4 - सफाह 105 दीखिये

सवाल (215) मज़कूरा किताब के इलावह किसी और किताब का नाम बताइए?

जवाब:- हज़रत शाह वलियल्लाह  रहमतुल्लाह अलैह की किताब "हुज्जतुल बालिगह" में बातें मिलेंगी (45)

तीसरा बाब(3)

करबला में अपनों की अपनों से गुफ्तगू

सवाल (262) करबला में ज़ेल (नीचे) क़े जुमले किस ने किस से कहे थे?

"इस वीराना जंगल से चलो मुझे यहां वहशत होतो है"

जवाब:- हज़रत उम्मे कुल्सूम रदियल्लाहु अनहुमा ने अपने भाई हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु से

सवाल (263) करबला में यह तवील गुफ्तगू किस ने किस से की थी?  

" तुम मुझे इस जगह घोड़े से गिरता देखो और मेरा जिस्म तीर.तलवार और नेजों से चूर पाओ तो खबरदार  हरगिज़ हरगिज़ सर बरहना न करना.छाती माथा न कूटना कि जद्दे अमजद मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है. (जिस ने रुखसार पीटे और ग्रीबान चाक किया और जहालत क़े जुमले ज़बान से निकला वह हम में न रहा.)लिहाज़ा इस मुसीबत को निहायत इस्तेक्लाल से बर्दाश्त करना कि यह मुसीबत तुम्हारे और हमारे लिये नेअमत है

जवाब:- हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत शहर बानो रदियल्लाहु अन्हा से (62)

सवाल (264) करबला में यह बातें किस ने किस से कही थीं?  

"मई तुम को क़सम देता हूं.मेरी इस क़सम को पूरा करना.मैं शहीद हो जाऊं तो मेरे ग़म में ग्रीबान को चाक न करना.मुंह को न पीटना.हलाकत व मौत को न पुकारना"

जवाब:-हज़रत इमाम आली मुक़ाम ने हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा

सवाल:- (265) बताइए ज़ेल की बातें किस क़े लिये किस ने किस से कहीं  ?

" मेरे बच्चे ने रो रो कर आँखें सुजा लीं.उन क़े दिल में रह रह कर होक सी उठती है.कहते हैं कि बराबर क़े भाई और छोटे छोटे बच्चे बाज़ी ले गए "

जवाब:- हज़रत अली अकबर रदियल्लाहु अन्हु क़े लिये हज़रत शहर बानो ने हज़रत इमाम हुसैन रदिय्ल्लाहू अन्हु से कहीं (64)

सवाल (266) यह जुमले किस ने किस से कहे थे?

" अपने ऊपर.मुझ पर और ज़ैनब पर रहम करो "

जवाब:-सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत शहर बानो रदियल्लाहु अन्हा से

सवाल(267) मैदाने करबला में किस को देख कर यह बातें किस ने कही थीं?  

" अकबर को माँ  बाप गले लगा कर रुखसत करें और ज़ैनब बालायें ले कर "

जवाब:- हज़रत अली अकबर को देख कर हज़रत ज़ैनब ने कही थीं -

सवाल (268) मैदाने करबला में यह दर्द भरी आवाज़ किस की किस क़े लिये थी?  

"जाओ बेटा मैदान में जाओ.मगर आज हुसैन को नामूसे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम क़े माना मलूम हो जाएंगे"

जवाब:- यह आवाज़ हज़रत ज़ैनब की हज़रत अली अकबर क़े लिये  कही थी  (65)

सवाल (269)जोश व जज़्बा और मुमताज़ से पुर.यह पुर दर्द बातें मैदाने करबला में किस ने किस से कही हैं?  

" औन व मुहम्मद की मौत आंखों की ठंडक थी.उस वक़्त भी खुश थी और उस वक़्त भी खुश हों कि क़यामत क़े रोज़ इज्ज़त से उठूंगी और आजिज़ी से अम्मा और अब्बा से लिपट लिपट कर रोउंगी कि हुसैन की मुसीबत पर उमर भर की कमाई यही दोनों लाल थे जो निसार कर दिये मगर क्या करूं तुम्हारी जान से दूर तुम्हारा बाल भी बेका हुआ तो क़यामत बपा कर दूंगी"

जवाब :- हज़रत ज़ैनब ने हज़रत अली अकबर से (66)

सवाल (270) बताइये मैदाने करबला में यह जुमले किस ने किस से कहे थे?  

"तुम्हें भेज कर खीमा क़े दर पर खड़ी कुदरत का तमाशा देखूँगी "

जवाब:- हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा हज़रत अली अकबर रदियल्लाहु अन्हु से -(67)

सवाल (271) यह जुमले किस ने किस से किस की तरफ इशारा कर क़े कहा था?  

"जब तेरी लाश को मेरी माँ जाया उठाएगा तो उस की कमर टूट जाएगी"

जवाब:- हज़रत ज़ैनब ने हज़रत अली अकबर से हज़रत इमाम हुसैन की तरफ इशारा कर क़े कहा था

सवाल (272) करबला में सब्र का दामन थाम कर यह अल्फ़ाज़ किस ने किस से कहे थे?  

" जा मेरे चाँद मैं तुझ को इजाज़त देती हूं "

जवाब:- हज़रत ज़ैनब ने हज़रत अली अकबर से

सवाल(273) मैदाने करबला में यह अँदोहनाक जुमले किस की ज़बान से अदा हुए थे?  

" तेरी जवानी ऐसी नहीं जिसे तलवारों क़े सुपुर्द किया जाए "

जवाब:- सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की ज़बान से

सवाल (274) यह बातें मैदाने करबला में किस से किस ने कही थीं?

"में तेरे लिये इस्तिकामत की दुआ करता हूं तू मेरे लिये इस्तिकामत की दुआ कर"

जवाब:-सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत अली अकबर रदियल्लाहु अन्हु से

सवाल (275)  बताइये मैदाने करबला में ज़ेल क़े दुआईआ कलिमात किस की ज़बान से अदा हुए थे?  

"खुदा वंदे करीम हम दोनों को इस इम्तिहान में कामियाब करे"

जवाब:-सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की ज़बान से

सवाल (276)करबला में यह नसीहत किस ने किस से की थी?

"खुदा हाफिज़ ! जाओ.नामूसे रिसालत की हिफाज़त करते जाओ"

जवाब:- सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत अली अकबर रदियल्लाहु अन्हु से

सवाल (277) करबला में यह बशारत किस ने दी थी?

"हम सब की हौज़े कौसर पर मुलाक़ात होगी"

जवाब:- सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने (68)

सवाल(278) करबला में हज़रत इमामे हुसैन से यह बातें किस ने कही थीं?  

"मैं भी कर्ज़ दार व अयाल दार हूं. लेकिन जब कोई लड़ने वाला न रहे तो मुझे वापस जाने की इजाज़त दे दीजियेगा.फिर में आप की तरफ से क़ताल भी करूंगा अगर देखो कि मेरा नुसरत करना आप क़े लिये नाफेअ है.और आप की मुसीबत को दफा कर सकता हूं"

जवाब:- हज़रत ज़हाक रदियल्लाहु अन्हु ने (69)

सवाल (279) करबला में हज़रत इमामे हुसैन से यह गुफ्तगू किस ने की थी?

"वल्लाह ! जब तक मेरी बरछी उन लोगों क़े सीना में टूट कर न रह जाए.जब तक कब्ज़ा मेरे हाथ में है तलवारें उन की मार लूँ.मैं आप से जुदा न हूँगा"

जवाब:- हज़रत मुस्लिम बिन औसजा रदियल्लाहु अन्हु ने

सवाल(280) करबला में सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु  से अकीदत व मुहब्बत भरी यह गुफ्तगू किस ने की ?

"वल्लाह ! हम आप को छोड़ कर न जाएं.खुदा यह तो देख ले कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की गैबत में हम ने आप की कैसी हिफाज़त की "

जवाब:-हज़रत सअद बिन अब्दुल्ला रदियल्लाहु अन्हु ने

सवाल (281) करबला में अपनी जान कुरबान करने का तहिय्या कर क़े हज़रत इमाम आली मुक़ाम क़े सामने  यह बातें किस ने कीं?  

" वल्लाह! मैं तो यह चाहता हूं कि क़त्ल किया जाऊं फिर जिंदा किया जाऊं.फिर क़त्ल किया जाऊं.इसी तरह हज़ार दफा क़त्ल हों कि खुदा आप को और आपके अहले बैत में उन नौजवानों को बचाले "

जवाब:- हज़रत ज़हीर बिन क़ैन रदियल्लाहु अन्हु ने

सवाल (282) हज़रत इमामे हुसैन से यह गुफ्तगू किस ने की?

"या इब्ने या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में आप पर फिदा हो जाऊं ! कहिए तो उसे तीर मारूं.मेरी ज़द पर है.तीर खता न करेगा. यह फासिक बहोत बड़े जब्बारों में से है"

जवाब:-हज़रत मुस्लिम बिन औसजा रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (283) करबला में हज़रत इमामे हुसैन को मुखातब कर क़े यह गुफ्तगू किस ने की थी?  

"या अबा अब्दुल्लाह ! मेरी जान आप पर फिदा.यह लोग आप से. क़रीब आ गए.और वल्लाह जब तक आप की नुसरत में मैं क़त्ल न हो जाऊं.इन शा अल्लाह आप क़त्ल न होंगे.मेरा दिल यह चाहता है कि नमाज़ का वक़्त क़रीब है.उस नमाज़ क़े बाद हक़ तआला से मुलाक़ात करूं" (69)

जवाब:- हज़रत अबा समामा साईदी रदियल्लाहु अन्हु ने

सवाल (284)  जोश व जज़्बा से पुर ज़ेल की बातें किस ने किस से कही थी?  

"हाँ मैं कुरबान.जल्दी जलदी इन शकिय्यों को जहन्नम पहोँचा कर और इन सुथरे पाकीज़ा नबी ज़ादों पर सदक़े हो जा"

जवाब:- अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु अन्हु से उस की बीवी उम्मे वहब रदियल्लाहु अन्हा ने कही थी -

चौथा बाब (4)

करबला क़े बाद के वाकिआत

सवाल (285) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हा की शहादत के बाद आप के सर से अमामा उतार कर किस ने ले लिया?  

जवाब:- उमरू बिन यज़ीद ने -

सवाल (286) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शहादत के बाद आप के जिस्म पर से अबा किस ने उतार लिया?  

जवाब:- क़ैस बिन मुहम्मद बिन अशअत ने

सवाल (287) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शहादत के बाद आप का पायजामा किस ने उतार लिया?  

जवाब:- बुहर बिन कअब ने

सवाल (288) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शहादत के बाद आप की नअलैन किस ने ले ली?  

जवाब:- असवद बिन खालिद ने

सवाल (289) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शहादत के बाद आप की चादर किस ने अपने कब्ज़ा में कर ली?  

जवाब:- तारीख तिबरी ने चादर लेने वाला का नाम कैस बिन अशअत लिखा है है फलसफा ए शहादत इमाम हुसैन के मुसन्निफ ने लिखा है कि "यज़ीद बिन शुबल ने चादर ले ली

सवाल (290)सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हू  की शहादत के बाद आप की जिरह और अंगूठी किस ने उतार ली?  

जवाब;-

सनान बिन अनस नखफी

सवाल (291) सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शहादत के बाद आप की तलवार अपने  कब्ज़ा में ली वह शख्स किस कबीला का आदमी था?  

जवाब:- तारीख तिबरी में है कि " बनी नहशी" के एक शख्स ने ले ली.उस के बाद यह तलवार हबीब बिन बुदेल के खानदान में आ गई -

सवाल (292) जिस वक़्त सय्यदुश्शोह्दा के जिस्म को घोड़े की टापों से पामाल किया जा रहा था उस वक़्त क़हरे इलाही की शकल में किस चीज़ का नुजूल हुआ?  

जवाब:- मअरका ए करबला में है कि "आंधी का तूफान आया"  

सवाल (293) अहले बैत के खीमे लूटने के लिये यज़ीदी असर के बाद निकले थे या मगरिब के बाद?  

जवाब:- अस्र के बाद (मा र क ए करबला)

सवाल (295) शिमर ज़िल जोशन ने खीमा के अंदर हज़रत जैनुल अबिदीन रदियल्लाहु अन्हु को क़त्ल करना चाहा तो जिस शख्स ने क़त्ल से रोका उस शख्स का नाम तारीखे तिबरी और इब्ने असीर की रोशनी में बताइये?  

जवाब:- हमीद बिन मुस्लिम

सवाल (296) हमीद बिन मुस्लिम की ताईद में किस ने अपनी ज़बान खोली?  

जवाब:- उमरू बिन साद ने-

सवाल (297) उमरू बिन साद ने जो कहा उसे तारीखे तिबरी के हवाले से लिखिये उस ने किया कहा?  

जवाब:- उस ने कहा देखो औरतों के खीमा में हरगिज़ कोई न जाए और उस उस बीमार लड़के से कोई तअरूज़ न करे.और जिस ने उन का सामान लूटा हो वापस करदे लेकिन किसी ने सामान वापस नहीं की

सवाल (298) यज़ीदियों ने अहले बैत का सारा सामान लूटने के बाद खीमे को यूं ही छोड़ दिये या उन में आग लगा दी?  

जवाब:- आग लगा दी

सवाल (299) खीमे लूटने के बाद रात देर गए उमरू बिन सअद ने अहले बैत के लिये एक ऐसी खातून की मारिफत खाना और पानी भेजा जिन के शौहर सय्यदुश्शोह्दा की हिमायत में लड़ते हुए शहीद हो चुके थे आप बता सकते हैं कि वह किस शहीद की बेवह थीं?  

जवाब:- "सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु और ज़ैनब " के सफा 40 पर तहरीर है कि वह औरत हज़रत हुर्र रदियल्लाहु अन्हु की बेवह थीं -

सवाल (300) उमरू बिन साद का भेजा हुआ पानी सब से पहले किस ने नोश किया?  

जवाब:- "सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु और ज़ैनब" के सफा चालिस पर है कि सब पहले हज़रत सकीना रदियल्लाहु अन्हा ने पिया

सवाल (301) गाज़िरिया वाले तमाम शोहदा ए करबला को एक जगह और दो को अलग अलग कब्र में दफन किया?

जवाब:- "अनासिरुशशहादतैन * के मुस्न्नीफ ने किताब के सफा 273 पर तहरीर किया है की सय्यदुश्शोह्दा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु और हज़रत अब्बास अलम्दार रदियल्लाहु अनहुम को अलग अलग दफन किया

सवाल (302) इन दोनों में. से एक वह. हैं कि उन्हों ने जहाँ पर शहादत पाई वहीं पर दफन हुए उन का नाम बताइए ?  

जवाब:- "अनासिरुशशहादतैन * के मुस्न्नीफ ने किताब के सफा 273 पर तहरीर है कि वह हज़रत अब्बास अलमदार रदियल्लाहु अन्हु हैं-

सवाल (303) करबला से कितनी दूरी पर कूफा वाक़ेआअ था?

जवाब:- " सय्यिदिना इमाम हुसैन और ज़ैनब " के सफा 62 पर तहरीर है कि 15 किलो मीटर की दूरी पर है

सवाल (304) असीराने अहले बैत और उन के शोरका के नाम बताइये?  

जवाब:- कई एक मुअर्रिख ने 12- कई ने 15 और कई ने 16 बताए हैं

सवाल (305) असीराने अहले बैत और उन के शोरका के नाम बताइए?  

जवाब:- (1)हज़रत उम्मे लैला (2)हज़रत उम्मे रबाब (3)हज़रत शहर बानो रदियल्लाहु अन्हून्ना यह तीनों हज़रत इमाम हुसैन की  जौजा (बीवी ) थीं.हज़रत शहर बानो की "खुर्रम शहर" में तुरबत की ज़ियारत की है

(4) हज़रत ज़ैनब (5) हज़रत उम्मे कुल्सूम रदियल्लाहु अन्हून्ना यह दोनों हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की हम्शीरा (बहन) हैं (6)फ़ातमा बिनते अली बयान करती हैं जब हम लोग यज़ीद के सामने ले जा के बिठाए गए तो उसे तरस आ गया और हमारे बाब में किसी चीज़ का उस ने हुकुम दिया और हम पर मेहरबान हुआ " अब मज़कूरह 6 क़ैदी हो गए (7) हज़रत जैनुल आबिदीन (8) हज़रत फातमा कुबरा (9) हज़रत सकीना रदियल्लाहु अन्हून्ना यह आली मुक़ाम के एक साहब ज़ादे और दो साहबज़ादियां थी. फातमा कुबरा के मु त अल्लिक अल्लामा अबुल हसनात सय्यद मुहम्मद अहमद कादरी "औराक़े ग़म" के सफा 354 पर  लिखते हैं. फातमा कुबरा की उमर ग्यारह साल  की थी .और दयारे शाम मे इन्तिकाल फरमाया और हज़रत सकीना की उमर मुबारक सात साल की थी और आप मदीना मुनव्वरा तक हमराह कारवां अहले बैत तशरीफ लाइं और मुसअब बिन ज़ुबैर से आप का निकाह हुआ

(10) हज़रत खौला जौज ए हसन रदियल्लाहु अन्हु .हज़रत खौला और हज़रत हसन के साहबज़ादे (11) हसन बिन हसन.इन के मु त अल्लिक अल्लामा अबी जाफर मुहम्मद बिन जरीर तिबरी अपनी किताब के सफा 294 पर लिखते हैं कि हसन बिन हसन कम सिन समझे गए .उन की माँ खूला बिनते मंजूर फराज़ी थीं और (12) उमरू बिन हसन भी कम सिन समझे गए इन की माँ कनीज थीं.यह दिनों साहबज़ादे क़त्ल से बच गए.इन्ही की माँ का नाम गालिबन फरडा या रमला था-

(13) सय्यदा हमीदा बिनते इमाम मुस्लिम रदियल्लाहु (14) हज़रत शीरीं खादिमा हज़रत शहर बानो (15) हज़रत फिज्जा यह हज़रत इमाम हुसैन की घरेलू खादिमा थीं और हज़रत वहब की वालिदा (16) उम्मे क़मर को शामिल कर लें तो सोला नाम होते हैं और शहीद इब्ने शहीद के मुसन्निफ ने लिखा है कि करबला में हज़रत अब्बास की वालिदा (17) हज़रत उम्मुल बनीन रदियल्लाहु अन्हा भी मौजूद थीं तो अब सत्तरह नाम हो गए .(18) हज़रत फातमा बिनते हज़रत हसन.मिरातुल असरार के मुताबिक आप की शादी हज़रत इमाम जैनुल आबिदीन से हुई थी और (19)आप के शिकम से हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र पैदा हुए जो वाक़िए करबला के वक़्त तीन साल के थे

सवाल (306) असीराने अहले बैत जब करबला से जब रवाना हुए तो उन के आगे तेरह शहीदों के सरों को किस क़बीला के लोग नेज़े पर उठाए हुए चल रहे the?  

जवाब:- तारीखे तिबरी ने यह बताया है कि "बनू कनदा" वाले 13 सरों को लिये हुए आए. उस का सरदार क़ैस बिन अशअत था .

सवाल (307) बीस सरों पर किस क़बीला वालों का कब्ज़ा था?

जवाब:- बनू हवाज़न वालों का और उस का सरदार शिमर ज़िल जोशन था.

सवाल (308) सत्तरह सरों को किस क़बीला के लोग अपने कब्ज़े में लिये हुए थे?  

जवाब:- बनू तमीम के लोग

सवाल:- (309) छः सर किस क़बीला वालों के पास थे?  

जवाब:- बनू असद के पास

सवाल (310) सात सरों को लिये किस कबीला वाले चल रहे थे?  

जवाब:- बनू मजहज़ वाले

सवाल (311) सात सर किस के पास थे?  

जवाब :- लश्कर के दूसरे लोगों के पास थे (यह सारी तफसील तारीखे तिबरी से माखूज है)

सवाल (312) कूफा मे किसी तरह का फसाद न हो उस को रोकने के लिये उबैदुल्लाह इब्ने ज़्याद ने कूफा की गलियों में .कूचों. बाजारों. और शाहराओं पर कितनी फौजों को तअय्युनात किया था?

जवाब:- अनासिरुश्शहादतैन के सफा 275 की तहरीर के मुताबिक दस हज़ार फौजों को तअय्युनात कर रक्खा था-

सवाल:- (314) उबैदुल्ला इब्ने ज़्याद जब सय्यदुशशोहदा के सर के साथ गुस्ताखी कर रहा था उस वक़्त उस को उस की गुस्ताखी पर किस सहाबि ए रसूल ने टोका या रोका था?

जवाब:- हज़रत ज़ैद बिन अरक़म रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (315) सरे मुबारक सय्यदुशशोहदा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के साथ उबैदुल्लाह इब्ने ज़्यादा जब गुस्ताखी कर रहा था उस वक़्त वहाँ पर एक और सहाबि ए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मौजूद थे उन का नाम बताइए?  

जवाब:- शामे करबला 212 पर है कि हज़रत अनस बिन मालिक रदियल्लाहु अन्हु थे

सवाल (316) उबैदुल्लाह ने गवर्नर हाउस से निकल कर कूफा की जामा मस्जिद में अपनी तकरीर सुनाने के लिये लोगों को इकट्ठा किया . दौराने तकरीर वह सय्यदुशशोहदा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु  की शान में नाज़ेबा कलमे बक रहा था.उस पर उस को एक शख्स ने तम्बीह की और इब्ने ज़्यादा ने उस शख्स को क़त्ल करवादिया उस शख्स का नाम बताइए?  

जवाब:- अब्दुल्लाह बिन अफीफ अज़वी

सवाल (317) उबैदुल्लाह का यज़ीद से क्या रिश्ता था?

जवाब:- चचाज़ाद भाई का

सवाल (318) उबैदुल्लाह की दादी का नाम क्या था?  

जवाब:- सुमय्या

सवाल (319) यज़ीद की दादी का नाम क्या था?

जवाब:- हिंद या हिनदा

सवाल (320) उबैदुल्लाह की दादी किस की लौंडी थी?  

जवाब :- हारिस इब्न कलदा की-

सवाल (321) हज़रत फारूक़े आज़म रदियल्लाहु ने उबैदुल्लाह के बाप ज़्यादा को क्या खिताब दिया था?

जवाब:- अल खतीबुल मिसक़अ का-

सवाल (322) मिसक़अ का माना किया है?  

जवाब मरदे फसीह व बलीग

सवाल (323) सय्यदुशशोहदा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के वालिदे ग्रामी हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने अपने अहदे खिलाफत में उबैदुल्लाह के बाप ज़्यादा को किस मुल्क के गवर्नर के उहदे पर फाईज़ किया था?

जवाब:- ईरान।के

सवाल (324) हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु की शहादत के बाद हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु से जब ज़्याद ने यह ख्वाहिश ज़ाहिर की कि मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनव्वरा कि की हुकूमत भी मुझे दी जाए तो एक बुजरुग दुआ करते थे "ऐ परवर दिगार ज़्यादा की मुसीबत में हम लोगों को मत मुबतला फरमा"   और लोग आमीन कहते थे वह बुजरुग कौन थे?  

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहु अनहुम

सवाल (325) कूफा में एक आबिद व जाहिद मुत्तकी थे उन का लोगों में काफी असर व रूसूख था. ज़्यादा जब कूफा में आया तो उन को घर से निकलने और मस्जिद में नमाज़।पढ़ने से मना किया कि आप अपने घर में ही नमाज़ पढ़ें वह न माने और ज़्यादा ने उन को क़त्ल करवा दिया उन का नाम लिखिये?

जवाब:- अबुल मुगीरा

सवाल (326) ज़्यादा के मरने से पहले उस का बेटा उबैदुल्लाह अपने बाप क़े कफन के लिये कितने थान कपड़े इकट्ठा किया था?  

जवाब:- 60 थान

सवाल (327) ज़्यादा कूफा के जिस कब्रस्तान में दफन किया गया उस कब्रस्तान का नाम किया है?  

जवाब:- तोया

सवाल (328) ज़्यादा की मौत की ख़बर सुन कर किस बुजरुग़ ने कहा था "सुमय्या के बेटे ले न दुनिया ही तेरे लिये बाकी रही और न आखि़रत ही पा सका?  

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहु अन्हु ने

सवाल (329) ज़्यादा ने कितने साल हुकूमत की?  

जवाब:- (5) साल

सवाल (330) शकिय्युल कल्ब ज़ालिम ज़्याद का ज़ालिम  बेटा असराने अहले बैत को कितने दिनों तक कैद में रक्खा?  

जवाब:- "सय्यिदिना इमाम हुसैन और ज़ैनब" के सफा 45 पर

तहरीर है कि 34 दिनों तक कैद में रक्खा

सवाल (331) असराने  अहले बैत को उबैदुल्लाह ने सफर की किस तारीख को दमिश्क के लिये रवाना किया?

जवाब:- मज़कूरा बाला किताब के इसी सफा पर है की सफर की 18 तारीख को रवाना किया

सवाल (332) असराने अहले बैत के हमराह कितने फ़ौजी आदमियों को दमिश्क रवाना किए गये?

जवाब:- अनासिरुश्शहादतैन के सफा 281 पर लिखा है कि पांच हज़ार को

सवाल (333) इन फौजियों की बाग डोर किस के हाथ में थी?  

जवाब:- मज़कूरा बाला किताब के इसी सफा पर है कि शिमर ज़िल जोशन के हाथ में थी -

सवाल (334) असराने अहले बैत को दमिश्क ले जाते हुए यजीदी फौजियों ने रास्ते में कितनी मंजिलें कीं?

जवाब:- "सय्यिदिना इमाम हुसैन और ज़ैनब" के सफा 45 पर तहरीर किया गया है (19) मंजिलें कीं

सवाल (335) कूफा से दमिश्क कितने मील का सफर था?  

जवाब:- "सय्यिदिना इमाम हुसैन और ज़ैनब" के सफा 45 पर तहरीर है कि (800) मील का

सवाल (336) उबैदुल्लाह ने शहीदाने करबला के कितने सरों को दमिश्क भेजा?  

जवाब:- शामे करबला सफा 206 पर है कि 73 सरों को दमिश्क भेजा

सवाल (337) अहले बैत का लुटा पिटा काफला जब दमिश्क पहुंचा और उन लोगों को जहाँ ठहरा गया था उस जगह का जो नाम है अल्लामा अहमद यार खां नईमी रहमटुल्लाह अलैह ने अपने सफरनामा में लिखा है .वह नाम लिखिये?  

जवाब:-नईमी सफरनामे के सफा 288 पर उस जगह का नाम "सजन अहले बैत" बयान किया गया है

सवाल (338) यज़ीद ने अहले बैत को कितने दिनों तक क़ैद में रक्खा?

जवाब:-शिय्या रिवायत के मुताबिक एक साल नौ दिनों तक

सवाल (339) करबला की जानिब  रवाना हुसैनी काफ्ला के नमाज़े पंजवक़्ता के मुअज्जिन कौन थे?  

जवाब:- हजाया या हज्जाज बिन मरवक़ हनफी

सवाल(340) करबला में जब हुसैनी काफला पर पानी बंद कर दिया गया तो काफला से कौन सी हस्ती उमरू बिन साद के पास पहोंच कर कहा कि आले रसूल के लिये फरात से पहरा हटा लो?  

जवाब:- हज़रत बरीर इब्न हुजैर हमदानी रदियल्लाहु अन्हु ने

सवाल (341) दमिश्क में ही यज़ीद मरदूद की कब्र है जहाँ एक शख्स सीसा पिघलाने की भट्टी बना रखी . उस कब्र के ऊपर आग है अंदर भी आग है यह इबारत अल्लामा अहमद यार खां नईमी रहमतुल्लाह अलैह ने लिखी है बताइये अल्लामा ने यज़ीद की कब्र को किस तारीख और किस सन में देखा था?  

जवाब;- नईमी सफर नामे के सफा 288 पर तहरीर है कि 15 मुहर्रम 1384 हिजरी 26 मई 1964 ईस्वी नंगल को

सवाल(342) शिय्या हज़रात जश्न रबीउशशहादह की छः रोज़ा  तकरीब किस महीने में मनाते हैं?  

जवाब :- शाबानूल मु अज्जम के महीने में

सवाल (343) नजफ अशरफ से करबला की दूरी कितने किलो मीटर है?  

जवाब :- (90) किलो मीटर

सवाल (344) नहरे फरात किस बादशाह ने खुदवाई

जवाब :- अलक़मा नाम के बादशाह ने

सवाल :- (345)शहरे इराक़ के लोगों को पीने के लिये किस नहर का पानी सप्लाई किया जाता है?  

जवाब:- नहरे फरात का -

सवाल(346) मौजूदा दौर में करबला में जलसों और कांफ्रेंसों के लिये एक हाल बनाया गया है उस हाल का नाम बताइये?

जवाब:- खातिमुल अंबिया हाल (70)

सवाल (347) करबला में शहीद होने वाले अब्दुल्लाह बिन उमेर कल्बी कूफी थे या मक्की ?  

जवाब:- कूफी थे (71)

सवाल (348) करबला में अब्दुल्लाह बिन उमेर कल्बी के हाथों क़त्ल होने वाले यसार और सालिम किस के गुलाम थे?  

जवाब:- उबैदुल्लाह बिन ज़्यादा के (72) या यसार ज़्यादा का और सालिम उबैदुल्लाह का

सवाल (349) करबला में शीस बिन रबीई और हजाज बिन अल जीर हुसैनी काफ्ला में थे या यज़ीदी फौज में?  

जवाब:- यज़ीदी फौज में (73)

सवाल (350) करबला में जो जोज़ह जब खंदक में गिरा और जल कर मर गया उस का हश्र देख कर यज़ीदी लश्कर के किस शख्स ने कहा था कि अब मैं अहले बैत से नहीं लडूंगा?  

जवाब:-मशरूक़ बिन आईल हज़रमी ने (74)

सवाल (351) यज़ीदी फौज में शामिल कैस बिन अशअत कहाँ के रहने वाला था?  

जवाब:- कूफा का (75)

सवाल (352) करबला में ज़ैद बिन हारिस यज़ीद की तरफ से लड़ रहा था या अहले बैत का साथ दे रहा था?  

जवाब :- यज़ीदी की तरफ से लड़ रहा था (76)

सवाल (353) ज़हीर बिन कैन.हबीब बिन मुतहर और बरीर बिन हुजेर यह तीनों आले रसूल की जानिब से या यज़ीद की तरफ से?  

जवाब:- आले रसूल की जानिब से (77)

सवाल (354) हज़रत मुस्लिम (बिन अकील ) की  ज़ोजा का नाम मअ वल्दियत के लिखिये?  

जवाब:- हज़रत रुक़य्या बिनते अली रदियल्लाहु अन्हा (78)

सवाल (355) हज़रत मुस्लिम की जौजा की माँ का नाम लिखिये?  

जवाब:- उम्मे हबीबा (79)

सवाल (356)करबला में किस खातून ने कहा था.(मेरे माँ बाप तेरे कुरबान ! कत्ताल कर उन सुथरे पाकीज़ा नबी जादों के लिये ) मुखातिब और मुखातब दोनों का नाम लिखिये?  

जवाब:- बी बी उम्मे वहब ने अपने शौहर अब्दुल्लाह को मुखातब कर के कहा था

(357) करबला में एक खातून ने अपने शौहर से कहा था (मैं तुझ से कभी बात न करूंगी तू ने फातमा के लख्ते जिगर के होते हुए दुश्मन को मदद दी) वह शख्स कौन था?  

जवाब:-कअब बिन जाबिर अज़वी (80)

सवाल(358) करबला में हज़रत बरीर बिन हुजेर किस की तलवार से शहीद हुए थे?  

जवाब:- कअब बिन जाबिर अज़वी की तलवार से (81)

सवाल (359)/हज़रत मुस्लिम हज़रत इमाम हुसैन के चचाज़ाद भाई थे. इन दोनों के दरमियान एक दूसरा रिश्ता भी था . इस रिश्ते के लिहाज़ से हज़रत मुस्लिम हज़रत इमाम हुसैन के क्या लगते थे?  

जवाब:- बहनूई (83)

सवाल (360) हज़रत रुक़य्या बिनते अली और हज़रत ज़ैनब बिनते अली दोनों सगी बहनें थीं या सौतेली?

जवाब:- सौतेली (83)

सवाल (361) दोनों बहनों की माँ का नाम लिखिये?  

जवाब:- (1) हज़रत ज़ैनब बिनते फातमा (2) हज़रत रुक़य्या बिनते उम्मे हबीबा

सवाल (362) हज़रत अली औसत जैनुल आबिदीन की माँ का नाम लिखिये?  

जवाब:- शहर बानो (84)

सवाल (363)अशर ए मुबश्शिरह में शामिल हज़रत तलहा रदियल्लाहु की वह बेटी जिस से हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने निकाह किया था- उन का नाम बताइए?

जवाब:- हज़रत उम्मे इसहाक़ (85)

सवाल (364) करबला में उमर बिन क़रज़हा अंसारी यज़ीदी फ़ौज के साथ थे या इमाम हुसैन के हमराह?  

जवाब:- इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के हमराह (86)

सवाल (365) करबला में यज़ीद बिन सुफ़यान किस के हाथों से क़त्ल हुआ?  

जवाब:- हज़रत हुर्र  रदियल्लाहु अन्हु के हाथों से (87)

सवाल (366) करबला में मज़ाहिम बिन हरीस किस की तलवार से मारा गया था?  

जवाब:- हज़रत नाफेअ बिन हिलाल मुरादी की तलवार से (88)

सवाल:- (367) हज़रत फातमा सोगरा बिनते अली की माँ का नाम लिखिये?

जवाब:- हज़रत उम्मे इसहाक़ (89)

सवाल(368) हज़रत इमाम हुसैन मदीना मुनव्वरा से हिजरत फरमाते वक़्त अपने खानदान वालों में से दो आदमियों को मदीना  में ठहरा दिया था उन दोनों के नाम बताइये?  

जवाब:- हज़रत सोगरा और मुहम्मद बिन हनफिया को (90)

सवाल (369) हज़रत मुस्लिम बिन औसजा र दियल्लाहु अन्हु यज़ीदी फ़ौज के हाथों शहीद हुए-बताइये कि आप का तअल्लुक किस कबीला से था?  

जवाब:- असदी कबीला से (91)

सवाल(370) करबला में मौजूद शीष बिन रबई कूफी यजीदी था या हुसैनी?  

जवाब:- यज़ीदी था (92)

सवाल:(371) हज़रत फातमा सोगरा के पहले शौहर का नाम मअ वल्दियत के लिखिये?  

जवाब:- हसन बिन हसन इब्न अली रदियल्लाहु अनहुमा (93)

सवाल (372) हज़रत फातमा सोगरा के पहले शौहर के इन्तिकाल के बाद दूसरी शादी किस से हुई थी?

जवाब:- अब्दुल्लाह इब्न उमरू इब्न उस्माम रदियल्लाहु अनहुमा से (94)

सवाल (373)हज़रत फातमा सोगरा का शुमार सहाबियात में होता है या ताबियात में?  

जवाब :- ताबियात में (95)

सवाल (374) हज़रत सकीना की वालिदा का नाम बताइये?  

जवाब:- हज़रत रबाब (96)

सवाल (375) हज़रत  अबू बकर सिद्दीक़ की उस पोती का नाम लिखिये जिस की शादी हज़रत इमाम हुसैन से हुई थी?

जवाब:- हज़रत हफ्सा (97)

सवाल (376) हज़रत इमाम हुसैन की मज़कूरह अहलिया का हज़रत आईशा रदियल्लाहु अन्हा से क्या रिश्ता था?  

जवाब:- सगी भतीजी का (98)

सवाल (377) हज़रत इमाम हुसैन की मज़कूरा बीवी के वालिद का नाम बताइये?  

जवाब:- अब्दुर्रहमान (99)

सवाल:- हज़रत इमाम हुसैन की शरीके हयात के वालिद सहाबि ए रसूल सल्लल्लाहु सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम थे या ताबिई?  

जवाब:- सहाबी थे (100)

सवाल (379) करबला में अबू अजजा किस की तरफ से लड़ रहा था?

जवाब;- यज़ीद की तरफ से (101)

सवाल(380) करबला में हज़रत अबू  समामा अल साईद रदियल्लाहु अन्हु   नमाज़े जोहर पढ़ने के बाद शहीद हुए या पहले?

जवाब:-नमाज़े जोहर पढ़ने के बाद (102)

सवाल(381) मअर क ए करबला के वक़्त हज़रत सकीना रदि यल्लाहु अन्हा की उमर कितने साल की थी?  

जवाब:- सात  साल की (103 )  

सवाल (382) बअज़ रवायतों के मुताबिक सां हए करबला के बाद अरसा तक हज़रत सकीना हयात रहीं और आप की शादी

भी हुई .बताइये आप का निकाह किस के साथ हुआ था?

जवाब:- मुसअब बिन ज़ुबैर के साथ (104)

सवाल (383) हज़रत सकीना से रवायतें भी मनकूल हैं .बताइये आप ने रिवायतें किस से ली हैं ?  

जवाब:- अपने वालिद हज़रत इमामे हुसैन से (105)

सवाल (384) करबला की ज़मीन पर शहीद होने वाली उस खातून का नाम बताइये -जिस की शादी हुए सिर्फ सत्तरह (17) दिन हुए थे ?  

जवाब:- हज़रत उम्मे वहब रदियल्लाहु अन्हा

सवाल (385) करबला के उस शेर दिल सिपाही का नाम बताइये जो तीरों पर अपना नाम कुन्दा कराकर ज़हर में बुझाया था ?  

जवाब:- हज़रत नाफेअ बिन हिलाल रदियल्लाहु अन्हु (106)

सवाल (386) करबला एक बूढ़े सहाबिए रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत इमाम हुसैन के साथ लड़े.उस बूढ़े सहाबी का नाम बताइये?  

जवाब:- अरवह गफ्फारी रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (387) करबला में अरवह गफ्फारी रदियल्लाहु अन्हु के दो बेटे भी शरीक थे उन दोनों के नाम लिखिए?  

जवाब:- हजरत अब्दुल्लाह हज़रत अब्दुर्रहमान रदियल्लाहु अनहुमा (107)

सवाल (388) करबला में हज़रत नाफेअ बिन हिलाल रदियल्लाहु अन्हु ने कितने शक़ी को मार गिराया था?  

जवाब:- बारह शक़ी को (109)

सवाल (389) हज़रत इमामे हुसैन की बीवी "जअदा" के बाप का नाम बताइये ?  

जवाब:- अशअत बिन क़ैस (109)

सवाल (390) कूफा में हज़रत मुस्लिम बिन अकील को गिरिफ्तार करने वाला जअदह का कौन था और उस का नाम किया था?  

जवाब:- भाई था और उस का नाम मुहम्मद बिन अशअत था (110)

सवाल (391)सय्यदुश शोहदा के बाद आप के जिस से अबा उतारने वाला जअदह का कौन था ?  

जवाब:- भाई था (111)

सवाल (392) जअदह का तअल्लुक किस कबीला से था?  

जवाब:- कंदी कबीला से था

सवाल (393) उस कनीज का नाम बताइये जिस के कहने पर जअदह ने हज़रत इमाम हसन को ज़हर दिया था?

जवाब:- इसूइया रूमिया

सवाल:- (394) हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु से किस ने कहा था " कूफे का अज़म न फरमाइये वह बड़ा बे ढंगा शहर है " उस का नाम बताइये ?  

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुतीअ (113)

सवाल (395) हज़रत मुस्लिम बिन अकील के उन दोनों भाइयों के नाम लिखिये जो करबला में मौजूद थे?  

जवाब:- हज़रत अब्दुर्रहमान व जाफर (114)

सवाल (396) हज़रत अली अकबर रदियल्लाहु अन्हु की माँ का नाम बताइए?  

जवाब:- हज़रत लैला बिनते अबी मर्रा (115)

सवाल (397) करबला में सय्यदुश शोहदा के काफ्ला में "एक माँ के दो बेटे और बाप के तरफ से चचाज़ाद थे. के नाम मअ वलिदियत लिखिये?  

जवाब:-सैफ बिन हारिस और मालिक बिन अब्द (116)

सवाल( 398) करबला में सय्यदुश शोहदा हज़रत इमामे हुसैन का खीमा फरात से कितने कोस की दूरी पर एसतादह था?

जवाब:- तीन कोस की दूरी पर (117)

सवाल (399) करबला में सय्यदुश शोहदा हज़रत इमामे हुसैन के क़ाफला पर जब पानी बंद कर दिया गया तो आप ने कुँवाँ खोदने का हुक्म सादिर फरमाया आप के रुफ्का (साथी ) कितने हाथ कुँवाँ खोद कर छोड़ दिया कि पानी निकलता नहीं है?  

जवाब:- सत्तर हाथ खोद कर छोड़ दिया (118)

सवाल (400) करबला में सय्यदुश शोहदा हज़रत इमामे हुसैन के काफला के " सक़ा" का नाम बताइये?  

जवाब:- हज़रत अब्बास अलमदार रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (401) करबला मे हज़रत अब्बास अलमदार रदियल्लाहु अन्हु जब फरात से पानी लाने गए तो आप के हमराह कितने आदमी साथ गए थे?

जवाब:- (32) आदमी हमराह गए थे (22) आदमी शहीद हो गए .दस (10) वापस आए (119)

सवाल (402) हज़रत अब्बास अलमदार रदियल्लाहु अन्हु की माँ का नाम लिखिये?  

जवाब:- हज़रत उम्मुल बनीन रदियल्लाहु अन्हा

सवाल (403)करबला में हज़रत अब्बास अलमदार रदियल्लाहु अन्हु की वालिदा मौजूद थीं या नहीं?  

जवाब:- मौजूद थीं (120)

सवाल (404) करबला में हज़रत क़ासिम (इब्न हसन रदियल्लाहु अन्हु) की वालिदा गईं थीं या नहीं?  

जवाब:- गईं थीं

सवाल (405) करबला में.मैं ने सय्यदुश शोहदा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के खीमा के अंदर जा कर देखा कि मुसल्ला (जा नमाज़) बिछाए तिलावत में मशगूल हैं और आप के आंखों से जारी है .तहज़ीबुत तहज़ीब में उस के ऐनी रावी कौन हैं?

जवाब:- जाफर बिन सुलेमान (122)

सवाल (406) करबला में स्य्यदुशशोहदा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के दो भाई शरीक नहीं हुए थे.दोनों भाइयों के नाम बताइए?  

जवाब:- हज़रत मुहम्मद बिन हन्फिया और उमरू बिन अली रदियल्लाहु अनहुम

सवाल (407) करबला में हुर्र सय्यदुश शोहदा से जब आ मिले तो उमरू बिन सअ द ने हज़रत हुर्र को समझा कर वापस लाने के लिये हज़रत हुर्र के पास किस को भेजा था?  

जवाब:- सुफवान को (124)

सवाल (408) करबला में हज़रत हुर्र को समझाने के लिये "सफवान" का क़त्ल किस ने किया?  

जवाब:- हज़रत हुर्र रदियल्लाहु अन्हु ने. (124)

सवाल (409) करबला में हुसैनी काफले के जो बहत्तर (72)  अफ़राद पहुंचे थे उन में कितने आदमियों के पास सवारियां थीं और कितने पैदल थे?  

जवाब:- (32) अफ़राद सवारी पर और चालिस पैदल थे (125)

सवाल (410) करबला में जंग के दौरान एक शख्स ने हज़रत हुर्र के सीना में नेज़ा मारा था  बदले में आप ने उस को तलवार मारी और वह मर गया उस शख्स का नाम बताइए?  

जवाब:- कसूर इब्ने कनाना

सवाल (411) करबला में हज़रत क़ासिम के. सीना पर शीष नाम का शख्स नेजा मारा था यह शख्स उमरू बिन सअद का कौन था?  

जवाब:- बेटा था

सवाल (412) करबला में लड़ते हुए हज़रत क़ासिम ने कितने ज़ख्म खाए थे?  

जवाब:- 27 ज़खम (126)

सवाल (413) करबला में हज़रत अबूबकर बिन अली मुरतज़ा को कितने ज़ख़्म लगे थे ?  

जवाब:- 21 ज़खम लगे थे (127)

सवाल (414) करबला में हज़रत अली अकबर ने तलहा नामी शख्स को क़त्ल कीया था तलहा के बाप का नाम बताइये?  

जवाब:- तारिक़

सवाल (415) करबला में खूली बिन यज़ीद का एक भाई भी लड़ रहा था उस का नाम बताइये?  

जवाब:- शुबुल बिन यज़ीद

सवाल (416)खूली बिन यज़ीद का घर कूफा से कितने कोस की दूरी पर था?

जवाब:- एक कोस की दूरी पर (128)

सवाल (417) करबला के बाद मैं अपने घर में कुरआन की तिलावत कर रहा था जब इस आयत "अम हसिब त अन्ना असहाबल कहफि वर्रकीम" पर पहुंचा तो कोई इमाम हुसैन के सर को नेज़े पर चढ़ा कर मेरे घर के पास से गुजरा.आप के कटे हुए सर से आवाज़ आई"अन्ना हाली अअजब" इस बात की शहादत देने और रिवायत करने वाली मोहतरम और अज़ीम हस्ती का नाम बताइये?

जवाब:- हज़रत ज़ैद बिन अरक़म रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (418)करबला से कूफा और कूफ़ा से दमिश्क जाते हुए मुकामे हिरान में सय्यदुश शोहदा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के सर की करामत देख कर मुसलमान होने वाले शख्स का नाम लिखिये -?

जवाब:- यहया हिरानी (129)

सवाल (419) मुक़ामे हिरान में हिरान में जैनुल आबिदीन रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में कपड़े और दिरहम की नज़र पेश करने वाले अकीदत मंद का नाम बताइये?  

जवाब:-यहया हिरानी (130)

सवाल (420) मुकामे हिरान में यज़ीदी फ़ौजोँ से जंग कर के पांच फौजों को क़त्ल कर के खुद भी शहीद होने शहीद का नाम लिखिये ?

जवाब:- यहया हिरानी (131)

सवाल (421) मुकामे हल्ब में ईमान लाने वाले वालि ए हल्ब का नाम बताइये?  

जवाब:-अज़ीज़ बिन हारून (132)

सवाल(422) मुक़ामे हल्ब में हज़रत शहर बानो रदियल्लाहु अन्हा की लौंडी शीरीं का निकाह किस के साथ हुआ था?  

जवाब:- अज़ीज़ बिन हारून के साथ (133)

सवाल (423) मुकामे हल्ब हज़रत जैनुल आबिदीन रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में हदिये और नज़राने पेश करने वाले शख्स का नाम लिखिये?  

जवाब:-अज़ीज़ बिन हारून (134)

सवाल (424) दमिश्क के सफर में अबुल खन्नूक़ कूफी शामिल था या नहीं?  

जवाब:- था

सवाल (425) सय्यदुश शोहदा हज़रत इमाम हुसैन और हज़रत क़ासिम रदियल्लाहु अनहुम के इलावह देगर शोहदा के सर कहाँ दफन किए गए?  

जवाब :-दमिश्क में

सवाल (426) असीराने अहले बैत को जब यज़ीदी दमिश्क ले कर जारहे थे तो रास्ते में वह कौन सा शहर मिला जहाँ के बादशाह और अवाम ने यज़ीदियों को शहर में दाखिल नहीं होने दिया ?  

जवाब:- शहरे मोसिल के बादशाह और अवाम ने

सवाल (427) शहरे मोसिल के उस वक़्त के बादशाह का नाम किया था ?  अमादुद्दौला

सवाल (428) जब शहरे मोसिल के बादशाह और अवाम ने यज़ीदियों को शहर में दाखिल नहीं होने दिया तो वह लोग किस शहर में जाकर रुके?  

जवाब:- शहरे "नसीबैन" में

सवाल (429) शहरे "नसीबैन " में यज़ीदियों के ठहरने के बाद कौन सी बला आई कि आधा शहर बरबाद हो गया -?और यज़ीदी वहाँ से भाग निकले

जवाब:- आसमान से बिजली गिरने की बला आई थी (136)

सवाल (430) असनाए सफर में यज़ीदियों ने सय्यदुश शोहदा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के सर को एक पत्थर पर रक्खा तो एक कतरह खून आप के कटे हुए गले से टपका. अब्दुल मलिक बिन मरवान के ज़माना तक वह खून हर साल मुहर्रम में ताज़ा होता था.उस जगह पर "मशहद नुक़ता " के नाम से एक गुम्बद तामीर है और लोग उस की ज़ियारत करते हैं.बताइये वह गुम्बद किस शहर के क़रीब है?

जवाब:- शहरे मोसिल के क़रीब (137)

  • सातवाँ बाब (07)

बातिल के इवानों की ख्वातीन और मर्दों की सदाएँ (आवाज़)

सवाल (431) "उस ने सर पीट लिया और कहा: अफ़सोस ! सद अफसोस! तुम ने गज़ब किया ? हुसैन बिन अली जिगर बंदे मुस्तफा नूरे दीद ए जोहरा सरवरे सीना ए मुरतज़ा शेरे खुदा का क़त्ल और तुम्हारे हाथ से ? हैरत व तअज्जुब में डूब कर यह जुमले किस खातून ने किस से कही थी?  

जवाब :- उमर बिन सअद की छोटी बहन ने अपने भाई उमर बिन सअद से (138)

सवाल(432) " तू ने फरजनदे फातमा  रदियल्लाहु अन्हु के, मुकाबले में कमक की. तू ने सय्यदुल क़ारिईन को क़त्ल किया तू  कैसे अमरे अज़ीम का मुरतकिब हुआ. वल्लाह ! मैं तुझ से कभी बात न करूंगी "मैदाने करबला में यह बात किस खातून ने किस से कही थी?  

जवाब:- नवाज़ बिनते जाबिर.कअब बिन अज़वी से कही थी-

सवाल (433) नवाज़ बिनते जाबिर.कअब अज़वी की कौन थी?

जवाब:- बीवी या बहन थी

सवाल (434) " मालिक बिन नसीर कनदी ने इमाम आली मुक़ाम हज़रत हुसैन के सर पर तलवार मारी .कलाहे ब्रिँस आप पहने हुए थे.तलवार ब्रिँस को काटती हुई सर तक पहुंच गई.ज़ख़्म के खून से टोपी लबरेज़ हो गई आप ने कहा तुझे इस जरब का नफा खाना पीना नसीब न हो.खुदा तेरा हश्र जालिमों के साथ करे.यह कह कर आप ने टोपी को उतार डाला एक और टोपी मंगवा कर पहनी और अमामा बांधा ........कनदी ने आकर यह टोपी उठा ली .........टोपी का खून धोने बैठा ....तो एक औरत की सदा बुलंद हुई ..........हाय बिनते रसूलल्लाह के फ़र्ज़न्द की टोपी लूट कर तू मेरे घर में लाया है.ले जा इसे यहां से " किया आप बता सकते हैं कि वह औरत मालिक बिन नूसेर की कंदी की कौन थी और उस का नाम किया था?

जवाब:- वह औरत मालिक बिन नुसेर कंदी की बीवी थी और उस का नाम "उम्मे अब्दुल्लाह बिनते हुर्र था" (140)

सवाल (435) "जब वह (खूली) फर्श ख्वाब पर आया तो " नवाज़ "ने पूछा क्या ख़बर है तू क्या ले कर आया है. उस ने कहा तमाम दुनिया की दौलत तेरे पास ले कर आया हूं. तेरे खीमा में हुसैन का सर ले कर आया हूं" नवाज़ ने कहा तुफ है तुझ पर.लोग सोना चाँदी ले कर आये और तू रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फ़र्ज़न्द का सर लाया है.वल्लाह में और तू दोनों एक खीमा में अब न रहेंगे .नवाज़ यह कह कर बिस्तर से उठी और सीधी उसी घर में गई जहाँ आप का सर रक्खा हुआ था "बताइये " नवाज़  खूली की कौन थी?  

जवाब:- "नवाज़" खूली की बीवी थी -

सवाल (436) "सुबहानल्लाह ! अगर लोग कुफ्फार वीलम से होते और तुझ से यही सवाल करते तो?  वल्लाह तुझे कबूल कर लेना चाहिए " बताइये यह बातें किस बातिल ने किस बातिल से कही थीं ?

जवाब:-उमरू बिन हज्जाज जुबेदी ने उमर बिन सअद से (141)

सवाल (437) वह....... "कहता था अगर हुर्र मुझे अपने इरादह से मुत्तला करता तो वल्लाह मै भी हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के पास चला जाता " बताइये बातिल के ईवानों से यह किस की आवाज़ थी ?  

जवाब:- कररह बिन क़ैस की (142)

सवाल (438) "वल्लाह मैं अपने दिल से पूछ रहा हूँ कि दोज़ख में जाना चाहता  है या बहिश्त में और क़सम है खुदा की अगर मेरे टुकड़े उड़ा दिये जाएं और मैं जिंदा जला दिया जाऊं.जब भी मैं किसी शै के लिये बहिश्त नहीं छोड़ने का" करबला में यह सदाएँ किस की ज़बान से बुलंद हुई थीं और किस के सामने?  

जवाब:- यह हज़रत हुर्र रदियल्लाहु अन्हु की सदायें थीं .मुहाजिर बिन औस के सामने (143)

सवाल (439) "तुम को मौत आए अपने अज़ीजों को अपने ही हाथ से क़त्ल करते हो. गैरों के सामने खुद को ज़लील करते हो. मुस्लिम बिन औसजा जैसे शख्स को क़त्ल कर कर के खुश हो रहै हो.सुनो वल्लाह मुसलमानों में उन को बड़े बड़े जंगों में मैं ने बड़ी शान के साथ देखा है. आज़र बेजान के धारे मे मैं ने देखा है कि उन्हों ने छः (6) काफिरों को क़त्ल किया और भी मुसलमानों के सब सवार आने भी न पाए.भला ऐसा शख्स तुम में से क़त्ल हो जाए और तुम खुश हो रहे हो" बताइये ! बातिल के गोल से यह अफसोस भरी सदाएँ किस की थीं?

 जवाब:-शबस बिन रबई की- (144)

सवाल (440) "तुम उन से लड़ने को नहीं जाओगे ? उस ने कहा सुबहानल्लाह उस शख्स को जो कौम अरब और तमाम अहले शहर का बुजरुग हो उस से तुम चाहते हो कि तीर अंदाजों को ले कर जाए .तुम्हें कोई दूसरा नहीं मिलता जो इस काम की हामी भरे और मेरी जरूरत न हो" करबला में यह गुफ्तगू किस के सामने किस ने की?

जवाब:- उमरू बिन सअद के शबस बिन रबई ने (145)

सवाल (441) कूफ़ा को खैर व खूबी खुदा नसीब न करेगा.उन को कभी  राहे रास्त की तौफीक़ न देगा.तअज्जुब की बात है कि हम लोग़ पांच बरस तक अली बिन अबी तालिब के साथ फिर उन के फ़र्ज़न्द के साथ रह कर बनी उमय्या से कश्त व खून में मशगूल रहे हों.फिर हमें लोग औलादे मुआविया व पिसरे सुमय्या फाहेशा के साथ उन के दूसरे फ़र्ज़न्द से जो तमाम रूए ज़मीन के लोगों से अफ़ज़ल हो कश्त व खून करें.हाय गुमराही.हाय जयाँ का " तेज़ व तुंद और हक़ बात की यह सदा किस ने बुलंद की?  

जवाब:- शबस बिन रबई (146)

सवाल (442) "तू चाहता है दो दो गुनाह अपने सर ले. चाहता है इस किस्म का अज़ाब करे जो खुदा की ज़ात के साथ मखसूस है और इस तरह बच्चों को और औरतों को क़त्ल करे.वल्लाह मरदों को तेरा क़त्ल कर डालना अमीर को खुश कर देने को काफी है"करबला में किस बातिल के सामने बातिल गिरोह के किस शख्स ने यह सदा बुलंद की थी?  

जवाब:- शिमर इब्न ज़िल जोशन के सामने हमीद बिन मुस्लिम ने बुलंद की थी (147)

सवाल (443) "...... जो कलमा तेरी ज़बान से निकला उस से बद तर मैं ने तो नहीं सुना और जो हरकत तू करना चाहता है .उस से बद तर कोई बात नहीं हो सकती.अरे औरतों को धमकता है" बताइये यज़ीदी लश्कर में से किस फर्द ने किस को सुनाते हुए यह आवाज़ बुलंद की थी?  

जवाब:- शबस बिन रबई ने शिमर इब्न ज़िल जोशन के यह आवाज़ बुलंद की थी (148)

जानी.और खूनी रिश्ते के एतिबार से कौन किस के थे

सवाल (444)हज़रत अब्दुल मुत्तलिब हज़रत फातु म तुज्जोहरा रदियल्लाहु अन्हा के कौन थे ?  

जवाब:- पर दादा

सवाल (445) हज़रत अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु हज़रत फातु म तुज्जोहरा रदियल्लाहु अन्हा के कौन थे?  

जवाब:- दादा थे

सवाल (446) जनाब अबू तालिब हज़रत फातु म तुज्जोहरा रदियल्लाहु अन्हा के कौन थे?

जवाब:- हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु के रिश्ते से खुसर थे और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के रिश्ते से दादा थे

सवाल (447) करबला में शहीद होने वाले हज़रात औन व मुहम्मद रदियल्लाहु तआला अनहुम हज़रत फातु म तुज्जोहरा रदियल्लाहु अन्हा के कौन थे?  

जवाब:- निवासे थे

सवाल (448) फातुमा बिनते असद .हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की कौन थी?  

जवाब:-दादी

सवाल (449) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के दादा का असली नाम और कुन्नियत भी बताइये?

जवाब:-नाम इमरान कुन्नियत अबू तालिब

सवाल (450) करबला में शहादत पाने वाले हज़रत अबू बकर बिन अली मुरतज़ा हज़रत जैनुल आबिदीन के कौन थे? .

जवाब:- सौतेले चचा थे

सवाल (451)हज़रत अली (जैनुल आबिदीन ) बिन हुसैन.क़ासिम बिन मुहम्मद बिन अबू बकर.सालिम बिन अब्दुल्लाह बिन उमर आपस में कौन थे?  

जवाब:- खालाज़ाद भाई थे

सवाल (452) कैसे खालाज़ाद भाई थे .खुलासा कीजिए?

जवाब:-हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु के दौर में यज्द जर्द की तीन साहबज़ादियां गिरिफ्तार हो कर आईं.एक की शादी इमाम हुसैनी से हुई जिन से हज़रत जैनुल आबिदीन पैदा हुए .दूसरे की शादी  हज़रत मुहम्मद बिन अबू बकर से हुई उन से क़ासिम पैदा हुए .तीसरी की शादी अब्दुल्लाह बिन उमर से हुई जिन से हज़रत सालिम पैदा हुए.पस यह तीनों आपस में खालाज़ाद भाई हुए

सवाल (453) करबला में शहीद होने वाले हज़रत मुसअब हज़रत हुर्र के कौन थे?  

जवाब:- भाई

सवाल (454) करबला में शहीद होने वाले हज़रत हुर्र अली हज़रत हुर्र का कौन था?  

जवाब:- बेटा

सवाल (455) करबला में हज़रत हुर्र के साथ.शहीदे करबला हज़रत इमाम हुसैन की बारगाह में तौबा करने वाले हज़रत उरवह हज़रत हुर्र के कौन थे?  

जवाब:- गुलाम थे

सवाल (456) करबला  में शहीद होने वाले हज़रत अब्दुल्लाह (बिन मुस्लिम) की हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा कौन थीं?

जवाब:-खाला थीं

सवाल (457) करबला में शहीद होने वाले हज़रात औन व मुहम्मद रदियल्लाहु अनहुमा की हज़रत उम्मे कुल्सूम रदियल्लाहु अन्हा कौन थीं ?

जवाब:-खाला थीं

सवाल (458) करबला में शहादत पाने वाले हज़रत क़ासिम रदियल्लाहु अन्हु की हज़रत उम्मे कुल्सूम रदियल्लाहु अन्हा कौन थीं?

जवाब:- फूफी थीं

सवाल:-(459) करबला में फरात से पानी लाने की कोशिश करने वाले हज़रत अब्बास अलमदार हज़रत क़ासिम के कौन थे?  

जवाब:- सौतेले चचा थे

सवाल (460) करबला में शहीद होने वाले हज़रत वहब की माँ का नाम कया था?

जवाब:- क़मर

सवाल (461) करबला में हज़रत क़मर मौजूद थीं?

जवाब:- जी हाँ मौजूद थीं

करबला में शहादत पाने वाले शोहदा और उन के कातिल

सवाल: (462)हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमेर कलबी के कातिलों के नाम बताइये?

जवाब:-हानी बिन सबस हज़रमी व बकर बिन है तमीमी-

सवाल (463) हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमेर कलबी रदियल्लाहु अन्हु ने कितने को क़त्ल किया?

जवाब:-चार को. जिन में दो के नाम यह हैं :यसार व सालिम

सवाल (464) हज़रत मुस्लिम बिन औसजा रदियल्लाहु अन्हु के कातिलों के नाम बताइये?

जवाब:-मुस्लिम बिन अब्दुल्लाह ज़बाई और अब्दुर्रहमान बजली

सवाल (465)सय्यदुल कुररा हज़रत बरीर बिन हुजेर रदियल्लाहु अन्हु किस किस से लड़े उन के नाम बताइये?

जवाब:-यज़ीद बिन मअकल.रज़ी बिन मनफद अदी.कअब बिन जाबिर अज़दी से

सवाल (466) सय्यदुल कुररा हज़रत बरीर बिन हुजेर रदियल्लाहु अन्हु को किस ने शहीद किया?  

जवाब:- कअब बिन जाबिर अज़दी ने

सवाल (467) सय्यदुल  कुररा हज़रत बरीर बिन हुजेर रदियल्लाहु अन्हु ने किस को क़त्ल किया?

जवाब:- यज़ीद बिन मअक़ल को.

सवाल (468) हज़रत हुर्र रदियल्लाहु अन्हु की लड़ाई किस किस यज़ीदी से हुई?

जवाब:- यज़ीद बिन सुफियान.सफवान बिन हनज़ला को और उस के तीन भाईयों को. क़सूर बिन कनाना को

सवाल (469)हज़रत हुर्र रदियल्लाहु अन्हु ने किस किस को क़त्ल किया?

जवाब:- यज़ीद बिन सूफियाना.सफवान बिन हनज़ला को और उस के तीनों भाइयों को.क़सूर बिन कनाना को

सवाल (479) हज़रत हुर्र रदियल्लाहु अन्हु किस के तीर लगने से घोड़े से गिरे और शहीद हुए?  

जवाब:- क़सूर बिन कनाना के तीर लगने.से घोड़े से गिरे

सवाल (471) हज़रत सुलीत रदियल्लाहु अन्हु किस कबीला से थे?  

जवाब:- क़बीला बिन मज़हज से-

सवाल (472) हज़रत उम्मे वहब के कातिल का नाम बताइये?

जवाब:- गुलाम रुस्तम

सवाल (473) हबीब बिन मज़ाहिर रदियल्लाहु अन्हु को किस ने शहीद किया?  

जवाब:- हसीन बिन तमीम. और क़बीलए तमीमी से एक शख्स आप को शहीद किया?  

सवाल (474) हज़रत ज़हीर बिन कैन रदियल्लाहु अन्हु के कातिलों के नाम बताइए ?

जवाब:- कसीर बिन अब्दुल्लाह शाबी और मुहाजिर बिन औस -

सवाल:- (475) हज़रत नाफेअ बिन हिलाल जमली रदियल्लाहु अन्हु के कातिल का नाम लिखिए?

जवाब:- शिमर लईन -

सवाल (476) मैदाने करबला में हजरत आबिस बिन अबी शबीब को दुश्मनों ने किस तरह से शहीद किया?

जवाब:- दो सौ लोगों ने आप पर पथराव किया और दुश्मनों के पत्थरों से आप शहीद हुए

सवाल (477) इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के उस शैदाई का नाम बताइये.जिन्हों ने इमाम के सामने दो जानू टेक कर दुश्मनों पर सौ तीर चलया. पांच तीर खता हो गए और बाकी तीर दुश्मन को लगे और पांच मरे?  

जवाब:- अबू शअसा यज़ीद बिन ज़्यादा

सवाल (478) हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम रदियल्लाहु अनहुमा की लड़ाई किस किस जवानों से हुई?  

जवाब:- क़दामा बिन असद.सलामा बिन क़दामा.हमीर हुमेरी.कामिल बिन हुमेरी.सालेह बिन नसीर से

सवाल (479) हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम रदियल्लाहु अनहुमा ने किस किस को क़त्ल किया?

जवाब:- क़दामा बिन असद.सलामा बिन क़दामा.हुमेर हुमेरी.कामिल बिन हुमेरी.सालेह बिन नसीर को फिर आप ने मैमना पर हमला कर. के बीस यज़ीदी को मारा -

सवाल (480) हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम की शहादत किस तरह से हुई?  

जवाब:- खदाअ दमिश्क़ी ने पहले आप के घोड़े को मजरूह किया आप घोड़े से कूदे तो खुदाअ ने आप को तीर मारा जो आप की पेशानी मे लगा. उस ने फिर तीर मारा .और आप शहीद हो गए

सवाल (481) हज़रत जाफर बिन अकील रदियल्लाहु अन्हु के क़ातिल का नाम लिखिये और किस चीज़ से क़त्ल किया?  

जवाब:- अब्दुल्लाह बिन अज़रह खशअमी ने आप को तीर मार कर क़त्ल किया -

सवाल:- (482)हज़रत अब्दुर्रहमान बिन अकील रदियल्लाहु अन्हु के क़ातिलों के नाम बताइये?  

जवाब:- उस्मान बिन खालिद जहनी और बिशर बिन सौत हमदानी

सवाल (483) हज़रत औन व मुहम्मद रदियल्लाहु अनहुमा किस किस की तलवार से शहीद.. हुए?

जवाब:- हज़रत औन बिन अब्दुल्लाह बिन जाफर पर अब्दुल्लाह बिन क़तबा ताई ने हमला कर के आप को शहीद किया और हज़रत मुहम्मद रदियल्लाहु अन्हु को आमिर आमिर बिन नह्शल ने शहीद किया -

सवाल (484) हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन रदियल्लाहु अनहुमा की जंग किस किस से हुई?  

जवाब:- बहोत सारे दुश्मनों से लड़े और शीष बिन रबई.यूसुफ बिन अहजाज़ .तारिक़ बिन यूसुफ और फैहान बिन ज़ुबैर को मारा उस के इलावह और को मार के फैहान बिन ज़ुबैर की तलवार से शहीद हुए -

सवाल (485) हज़रत क़ासिम बिन हसन रदियल्लाहु अन्हु की जंग किस किस से हुई?

जवाब:- अरज़क़.और अरज़क़ के चार बेटों और दीगर दुश्मनों से. जंग के दौरान आप ने तीरों.तलवारों और नेजों के सत्ताईस ज़ख़्म खाए. शीष बिन उमरू ने सीना पर नेज़ा मारा जिस से ज़मीन पर गिरे.फिर उमरू बिन साद बिन नक़ील अज़वी ने आप को तलवार से शहीद किया

सवाल (486) हज़रत क़ासिम बिन हसन रदियल्लाहु अन्हु ने किस किस दुश्मन को मौत के घाट उतारा?  

जवाब:- अरज़क़.और अरज़क़ के चारों बेटों को -

सवाल (487)हज़रत इमामे हुसैन के गुलाम पीरूज़ान किस के हाथों से शहीद हुए?  

जवाब:- उस्मान मोसली के हाथों

सवाल (488) ग़ुलाम पीरूज़ान को उस्मान मोसली ने तलवार से शहीद किया या किसी और चीज़ से?

जवाब:- नेज़ा मार कर शहीद किया -

सवाल (489) हज़रत असद इब्न दोजाना रदियल्लाहु अन्हु किस की तलवार से शहीद हो गए?

जवाब:- चंद कूफियों ने मिल कर आप पर हमले किए और आप उसी हमले में शहीद हो गए

सवाल (490) हज़रत मुहम्मद बिन अनस रदियल्लाहु अन्हु कैसे शहीद हुए?  

जवाब :-कई कूफियों ने एक साथ मिल कर आप पर यलगार किया और उसी यलगार में आप शहीद हुए

सवाल (491) हज़रत अब्बास (बिन अली बिन अबी तालिब ) की तारीखे पैदाईश और सन बताइये?  

जवाब:- 04 शाबान सन 26 हिजरी 15 मई सन 647 ईस्वी है

सवाल (492) हज़रत अब्बास बिन अली बिन अबी तालिब के कातिलों के नाम लिखिये?  

जवाब:- नौफिल बिन अरज़क़ ने तलवार मारी.जिस से आप का एक हाथ कट गया.ज़ैद बिन अक़ाद जहनी और हकीम बिन तुफैल सनसी के तलवार से शहीद हुए

सवाल(493) हज़रत जाफर बिन अली रदियल्लाहु अनहुमा के क़ातिल का नाम तहरीर कीजिए?  

जवाब:- हानी हज़रमी

सवाल (494) हज़रत अब्दुल्ला बिन अली रदियल्लाहु अनहुमा का क़ातिल कौन है ?  

जवाब:- हानी हज़रमी

सवाल (495) हज़रत उस्मान बिन अली रदियल्लाहु अनहुमा को कैसे किस ने क़त्ल क्या?  

जवाब:-खूली बिन यज़ीद ने तीर मारा और बनी दारम के एक. शख्स ने क़त्ल किया

सवाल (496) मुहम्मद बिन अली रदियल्लाहु अन्हु को किस ने क़त्ल किया?  

जवाब;-  आप के तअल्लुक़ से कहा गया है कि कबील ए अबान के एक शख्स ने क़त्ल किया-

सवाल (497)हज़रत अली अकबर किस के नेज़ा मारने से शहीद हुए?  

जवाब:- मुररा बिन मुनक़ज़ अबदी या नमीर या इब्ने नमरह के नेज़ा से घोड़े से गिरे तो दुश्मनों ने तलवार मार मार कर शहीद कर दिया -

सवाल (498) हज़रत अली असग़र किस के तीर से शहीद हुए?

जवाब:- हुरमिला बिन काहिल के तीर से

सवाल (499) सय्यदुश शोहदा हज़रत हुसैन रदियल्लाहु अन्हु पर तीरों.तलवारों और नेजों से हमले करने वालों और कातिलों के नाम बताइये?  

जवाब:- हसीन बिन तमीम ने तीर मारा जो आप के मुंह पर लगा .....अबानी ने तीर मारा जो आप की ठोड़ी में पेवस्त हुआ .....हकीम बिन ताई ने तीर मारा जो आप के जदम पर लगा ....मालिक बिन नुसेर कनदी ने आप तलवार मारी.जिस से सर पर गहरा ज़ख़म आया...... ज़रआ बिन शरीक तमीमी ने आप के बाईं बाजू पर तलवार मारी जिस से आप लड़ खड़ा गए .....एक मुअर्रिख ने लिखा है की ज़रआ बिन शारिक़ बरछे का वार किया जिस से आप का बायां बाजू कट गया ....सनान बिन अबी उमरू बिन अनस नखफी ने आप को नेज़ा मारा जिस से आप ज़मीन पर गिर गये.घोड़े से गिरने के बाद शिमर बिन ज़िल जोशन ने आप की पुश्त पर नेज़ा मारा ....सनान बिन उमरू ने आप को जिबह किया उस में खूली बिन यज़ीद और शिमर भी शरीक थे ....ईन लोगों की गवाही तो तारीख के औराक़ देते हैं ...इज्तिमाइ तौर पर और जाने कितने बद बख्तों ने आप पर तीर और नेज़े बरसाए और तीरें चलाई ......उस को तो वही लोग जानते हैं .......लेकिन शहादत के बाद आप के जिस्म पर दुश्मनों ने गिनती की तो वह कहते हैं कि हज़रत हुसैन के जिस्म पर तैंतिस ज़ख़म तीरों के. तैंतिस ज़ख़म नेज़े के .चौंतिस ज़ख़म तलवार के मौजूद थे

सवाल (500) सय्यदुश शोहदा हज़रत हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शहादत में किस किस गुस्ताख ने  हिस्सा लिया?  

जवाब:- उमरू बिन सअद.उमरू बिन हज्जाज.शिमर बिन ज़िल जोशन.सनान बिन अनस.खूली बिन यज़ीद.कुसूम बिन नज़ीर जअफी. सालेह बिन वहब यज़नी.अब्दुर्रहमान बिन जअफी.ज़रह बिन शरीक तमीमी ने

सवाल (501) हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के कुछ अक़वाल जर्री बताइये?  

जवाब:- आप ने फरमाया: इंसान की निजात दीन में है.और उस की हलाकत दीन की मुखालिफत में है .आप से सवाल किया गया कि कमाले बंदगी किया है?  फरमाया बंदगी का कमाल यह है कि आदमी अपने इख्तियार को तर्क कर दे यानी ज़ाते हक़ में इस क़द्र ग़र्क़ हो कि अपने को न देखे (149)

सवाल (502) जंगे करबला के आखिरी शहीद का नाम बताइये?  

जवाब:- हज़रत सुवेद बिन उमरू रदियल्लाहु अन्हु हैं -

सवाल (503) हज़रत सुवेद बिन उमरू रदियल्लाहु अन्हु करबला के आखिरी शहीद कैसे हैं?

जवाब:- आप जख्मों से चूर हो कर कश्तों में पड़े थे.उन्हों ने लोगों को कहते सुना कि हज़रत इमाम हुसैन क़त्ल हो गये.आप ज़रा चौंके तो देखा कि उन की तलवार कोई ले गया है आप के हाथ में एक छुरी थी उसी से कुछ देर तक लड़ते रहे और लड़ते हुए. शहीद हो गये -

सवाल (504) हज़रत सुवेद बिन उमरू रदियल्लाहु अन्हु को किन लोगों ने क़त्ल किया?

जवाब:- उरवह बिन बतार तग़लबी और ज़ैद बिन वक़ार जनबी ने (150)

करबला के हमनाम शोहदा  व दिगर

सवाल (505) करबला में सअद नाम के तीन मुजाहिदीन ने अपनी जानें कुरबान कीं .तीनों के नाम उन के वालिद के नाम. के साथ लिखिये?  

जवाब:- (1)सअद बिन अब्दुल्लाह अतबक़ी (2)सअद बिन हनज़ला (3) सअद ग़ुलाम हज़रत अली रदियल्लाहु अनहुमा

सवाल (506) करबला में अब्दुल्लाह नाम के सात अशखास शहीद हुए थे ईन सातों के नाम साथ में उन के वालिद के नाम भी लिखिये?  

जवाब:-(1) अब्दुल्लाह बिन अली (2) अब्दुल्लाह बिन हसन (3) अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम (4) अब्दुल्लाह बिन उमेर कलबी (5) अब्दुल्लाह बिन अकील (6) अब्दुल्लाह बिन अब्दुल्लाह कदन ओजी (7) अब्दुल्लाह बिन उरवह रदियल्लाहु अनहुमा

सवाल (507) करबला में अब्दुर्रहमान नाम के तीन लोगों ने जामे शहादत नोश फरमाया था.तीनों क़े नाम क़े हमराह उन क़े वालिद के नाम रक़म कीजिए?  

जवाब:- (1)/अब्दुर्रहमान बिन  उरवह गफ्फारी (2)अब्दुर्रहमान बिन अब्दुल्लाह यज़नी (3) अब्दुर्रहमान बिन अकील रदियल्लाहु अन्हुमा

सवाल (508) करबला में उमरू नाम के चार अफराद ने राहे मौला में सर कटाया था ईन चारों के नाम मअ वल्दियत के दर्ज कीजिए?  

जवाब:- उमरू बिन अब्दुल्लाह मुजहजी (2)उमरू बिन खालिद (3)उमरू बिन मुताअ अल. जाफी (4) उमरू बिन हसन रदियल्लाहु अनहुमा (जिकरुश्शहादतैन मुसन्निफ मौलवी अहमद खां सूफी अकबराबादी )

सवाल (509) करबला में (एक रिवायत के मुताबिक ) हज़रत अब्बास अलमदार रदियल्लाहु अन्हु के वह बेटे शहादत की मंजिल पर फाईज़ हुए थे उन दोनों के नाम बताइये?

जवाब:- हज़रत अब्बास इब्नुल अब्बास और हज़रत क़ासिम  इब्न अब्बास रदियल्लाहु अनहुमा (151)

सवाल (510) करबला में शहीद होने वाले हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु के ग़ुलाम का नाम बताइये?  

जवाब:- हज़रत सअद रदि यल्लाहु अन्हु

सवाल (511) करबला में हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के ग़ुलाम ने भी जामे  शहादत नोश किया था .उन क़ा नाम लिखिये?  

जवाब:- हज़रत फैरोज़ रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (512) करबला में इमामे जैनुल आबिदीन रदियल्लाहु अन्हु के आज़ाद करदा ग़ुलाम भी शहादत के मरतबा पर फाईज़ हुए थे उन का नाम किया था?  

जवाब :- हज़रत कारी ग़ुलाम तुर्क रदियल्लाहु अन्हु

सवाल (513) करबला में हज़रत अबू ज़र गफ्फारी रदियल्लाहु अन्हु के आज़ाद करदा ग़ुलाम भी शहीदों की फहरिस्त में शामिल हैं उन का नाम लिखिये?  

जवाब:- हज़रत हररह या हरीर रदियल्लाहु अन्हु (152) बअज़ मु अर्रीखों ने आप क़ा नाम जून लिखा है

सवाल(514) सय्यदुश शोहदा हज़रत इमामे हुसैन के एक जाँ निसार मैदाने करबला में आप से कह रहा था " अल्लाह की क़सम ! मेरे जिस्म से बू आती है.मेरा हसब व नसब पस्त और रंग सियाह है.आप अपने तुफैल मुझे जन्नत का मुस्तहिक बना दीजिये की मेरी बू खुशबू से बदल जाए.मेरा हसब नसब बा वकार हो जाए और मेरा रंग सफेद हो जाए.ब खुदा मैं आप से जुदा न हूँगा.जब तक यह सियाह खून आप बुजरुगवार के नूरानी में मिल न जाए " ऐसा कहने वाले हज़रत इमामे हुसैन के जाँ निसार का नाम बतलाइए?  

जवाब:- हज़रत जून .ग़ुलाम हज़रत अबूज़र गफ्फारी रदियल्लाहु अनहुमा -

सवाल (515) करबला में शहीद होने वाले एक माँ के दो बेटे और बाप की तरफ से चचाज़ाद थे दोनों के नाम मअ वलदियत लिखिये?  

जवाब:- हज़रत सैफ बिन हारिस और हज़रत मालिक बिन अब्द

सवाल (516) हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु और आप के अहबाब व रूफक़ा की शान में उबैदुल्लाह इब्ने ज़्याद गुस्ताखियाँ कर रहा था . उस की उस गुस्ताखी पर बग़दाद के एक बुज़रुग ने उबैदुल्लाह बिन ज़्याद को रोका.उस बुज़रुग के रोकने की पादाश में उबैदुल्लाह इब्ने ज़्याद ने उन को क़तल करवादिया.क़तल होने वाले बुज़रुग़ हमेशा मस्जिद में अल्लाह की इबादत करते the. उन क़ा नाम बताइये?  

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह बिन अफीफ रदियल्लाहु अन्हु

सवाल(517) हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफर के साहबज़ादे औन व मुहम्मद की शहादत की ख़बर जब मदीने में आई तो एक शख्स ने हज़रत अब्दुल्लाह से कहा "यह मुसीबत हम पर हुसैन ने डाली है" हज़रत अब्दुल्लाह ने यह सुन कर उसे जूता खींच कर मारा.उस का नाम बताइये-?

जवाब:- अबुस्सलास

यज़ीद और यज़ीदियों के मु-त-अल्लिक सलफे सालिहीन.अइम्मा और उलमा के अक़वाल

सवाल (518) यज़ीद की हुकूमत किस तारीख को किस सन में क़ाईम हुई?  

जवाब:- 22 रजब सन 60 हिजरी में

सवाल (519) यज़ीद की हुकूमत कितने सालों तक रही?  

जवाब:- तीन साल आठ महीना और चंद दिन "ملک عبدا عبدا فاتخذھم تلدا गुलाम ने ग़ुलाम को हाकिम बना दिया. उस ने तमाम बंदगाने खुदा को अपना खानाज़ाद बना लिया.ऐ कौमे अरब आज से तुम सब ग़ुलाम हो गये.तुम ने फ़र्ज़न्दे फातमा रदियल्लाहु अन्हु को क़त्ल किया और पिसरे मरजाना को अपना हाकिम बना लिया कि वह नेक लोगों को तुम में से चुन चुन कर क़त्ल कर रहा है.और शरीर लोगों को ग़ुलाम बना रहा है .तुम ने ज़िल्लत को गवारा कर लिया.जिस ने ज़िल्लत को गवारह कर लिया खुदा उस को मारे " (153)

सवाल (520) मज़कूरह बाला अक़वाल किन के हैं ?

जवाब:- हज़रत ज़ैद बिन अरक़म रदियल्लाहु अन्हु के

सवाल (521) हज़रत ज़ैद बिन अरक़म रदियल्लाहु अन्हु सहाबी हैं?  

जवाब:- जी हाँ! आप सहाबी हैं

सवाल (522) मज़ कूरह बाला बातें आप ने कब कहा?  

जवाब:- उबैदुल्लाह बिन ज़्यादा के दरबार में जब उबैदुल्लाह इब्न ज़्याद हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु के सर पाक के साथ गुस्ताखी कर रहा था -

सवाल (523)हज़रत ज़ैद बिन अरक़म रदियल्लाहु अन्हु क़ा इन्तिकाल कहाँ और किस सन. मे हुआ?  

जवाब:- कूफ़ा में सन 66 ईस्वी में हुआ.क्यों कि आप ने कूफ़ा में ही सुकूनत इख्तियार कर ली थी

सवाल (524) जंगे करबला के बाद उबैदुल्लाह इब्ने ज़्याद कूफ़ा वालों को मस्जिद में जमा कर के खिताब करने के लिये खड़ा हुआ तो उस ने कहना शुरू कर दिया"अमीरूल मोमिनीन यज़ीद बिन मुआविया की और उन के गिरोह वालों की नुसरत की और कज्जाब इब्ने कज्जाब हुसैन बिन अली को और उन के गिरोह के लोगों को क़तल किया." उस के बाद एक शख्स उठा और कहा"ओ पिसरे मरजाना कज्जाब इब्ने कज्जाब तू और तेरा बाप और जिस ने तुझे हाकिम बनाया वह और उस क़ा बाप.ओ पिसरे मरजाना तुम लोग पैगम्बर के फ़र्ज़न्द को क़त्ल करते हो और रास्त बाजों का सा कौल मुंह से कह डालते हो " ऐसी हक़ और तल्ख बातें करने वाले क़ा नाम बताइये?  

जवाब:- अब्दुल्लाह बिन अफीफ अज़दी (154)

सवाल (525 ) "तुम्हीं हुसैन और नौजवानाने अब्दुल मुत्तलिब के क़ातिल हो.तुम्हारे सवारों ने तुम्हारे हुक्म से उन लोगों को खून आलूद मैदान में डाल दिया था. और उन के बदन में एक कपड़ा भी न था.पियास की हालत में उन को क़तल किया गया"

मज़कूरह बाला इबारत यज़ीद के पास भेजा गया एक खत की है.पूरा खत तारीख इब्ने कसीर जिल्द 04 सफा 51 पर दर्ज है.बताइये यह खत हज़रत अब्दुल्लाह इब्न अब्बास ने या हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर ने या हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर ने भेजा था?  

जवाब:- हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु अनहुमा ने भेजा था (155)

सवाल (526) हज़रत अब्दुल्लाह इब्न अब्बास रदियल्लाहु अनहुमा सहाबी हैं या ताबिई हैं ?

जवाब:- सहाबी हैं

सवाल (527)आप का इन्तिकाल किस सन में किस मुल्क में हुआ?  

जवाब:- सन 68 हिजरी में ताईफ में हुआ और वहाँ ही आप की कब्र शरीफ है

لھام مجنب الطف ادنی قرابة

من ابن زیاد العبد ذی الحسب الوعل

سمیة امسی نسلھا عددالحصی  

وبنت رسول اللہ کیس لھا نسل

यानी अहले लश्कर का लश्कर इब्ने ज़्याद के क़राबत दारों का जो कि खानदान का कमीना आदमी है सहराए तिफ के क़रीब मौजूद है.सुमय्या की नसल तो शुमार में संग  रेजों के बराबर हो गई और बिनते रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नसल बाकी न रही

सवाल (528) मज़कूरा बाला अशआर किस के हैं?  

जवाब:- यहया बिन हकम के

सवाल (529) यहया बिन हकम.मरवान का कौन था?  

जवाब:- भाई था (156)

"मेरे बाप ने हुकूमत संभाली तो वह उस का अहल ही न था.उस ने रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के निवासे से निज़ाअ की.आखिर उस की उमर घट गई और नसल ख़तम हो गई और फिर वह अपनी कब्र में अपने गुनाहों की जिम्मे दारी ले कर दफन हो गया.यह कह कर रोने लगे जो बात हम सब पर गिरां है वह यही है कि उस का अंजाम और बुरी आक़िबत हमें मालूम है.उस ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के क़राबत दारों को क़त्ल किया.शराब हलाल किया और बैतुल्लाह को वीरान.

सवाल (530) मज़कूरह बयान मुआविया बिन यज़ीद का है.बताइये यह बयान आप ने किस किताब से लिया?  

जवाब:- अल सवाईकुल मुहरक़ह सफा 134 (157)

" हज़रत हुसैन रदियल्लाहु अन्हु और अहले मदीना जिन्हों ने मुकामे हररह में जिहाद किया और वह तमाम अहले इल्म व दीन जो हज्जाज से बर सरे पैकार हुए.जिन का शुमार अहले हक़ में है और हक़ उन्हीं के साथ था"

सवाल (531) मज़कूरह तहरीर किस किताब की इबारत का तर्जमा है?

जवाब :- फतहुल बारी जिल्द 12 सफा 240 का

सवाल (532) फतहुलबारी किस की तस्नीफ है?  

जवाब:- हज़रत अल्लामा इब्ने हजर असक़लानी की -

"उस के साथ उस (यज़ीद) में शहवात की तरफ मैलान मौजूद था.कभी वह तारिकुस्सलात बन जाता था. नमाजों के मुआमेले में वह निहायत ला परवाही का शिकार था "

सवाल "मज़कूरह तहरीर " अल बिदाया वननिहायह" की एक इबारत का तर्जमा है.बताइये !"अल बिदाया वननिहायह" के मुसन्निफ कौन हैं?

जवाब:- अल्लामा इब्ने कसीर

"वलदुशशैतान सनान जब हुलकूमे नाज़ तराशने को आया तो उस पर इस कदर हैबत पड़ी कि भाग गया"

सवाल (534) मज़कूरह तहरीर किस बुजरुग़ आलिमे दीन की है और किस किताब की है?  

जवाब:- अल्लामा अबी इसहाक़ की है और उन की किताब "नूरूल ऐन" में है

"जो शख्स अल्लाह पर और आखि़रत के दिन पर ईमान रखता है वह यज़ीद को पसंद नहीं कर सकता"

सवाल (535) चारों इमामों से मज़कूरह कौल किस इमाम का है?

जवाब:- हज़रत इमाम अहमद बिन हम्बल का (158)

" उमरा की तलवारें हमारी जबानों से आगे बढ़ गई हैं. जब हम गुफ़्तगू करते हैं तो वह तलवार से जवाब देते हैं "

सवाल (536) मज़कूरह कौल किस का है?

जवाब:- हज़रत इमाम हसन बसरी रहमतुल्लाहि अलैह का

सवाल (537) हज़रत इमाम हसन बसरी  रहमतुल्लाहि  अलैह का शुमार सहाबी में है या ताबिई?  

जवाब:- ताबिई हैं

सवाल (538) आप की वफात किस माह और किस सन में हुई?

जवाब:- माहे रजब सन 110 हिजरी में हुई

"मुजतहिदाने उम्मते मुहम्मदिया पर हैरान हूं कि उम्मत के लोगों ने हुजूर आक़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बेटों को बे गुनाह क़त्ल कर दिया और फिर भी उन की मुसलमानी बाकी रह गई .हमारे ख्वाजगाने चिश्त के मलफूज़ात में अक्सर जगह हज़रत ख्वाजा फरीदुद्दीन गंज शकर और दिगर बुज़रुगान ने यही फरमाया है कि ऐ काफिरों ! तुम ने रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फ़र्ज़न्दान को क्यों बे गुनाह क़त्ल किया?  सवाल (539) मज़कूरह इरशादाते किस का है?  

जवाब:-हज़रत ख्वाजा बंदा नवाज़ गैसू दराज़ रहमतुल्लाह अलैह के (159)

" सलातीने बनू उमय्या ने फ़र्ज़न्दाने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को क़त्ल किया .और हज़रत अली.हसन और हुसैन पर लानत भेजते थे .और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अहले बैत पर किस्म किस्म के म ज़ालिम ढाते थे ......पस मैं उन को दुश्मन जानता हूँ और उन को मुसलमान नहीं कहता बल्कि  मुनाफिकों में शुमार करता हूं "  (160)

सवाल (540) मज़कूरह इरशाद किस के हैं?  

जवाब:- हज़रत मखदूम जहानियाँ शेख जलालुद्दीन बुखारी के

"यज़ीद सआदते तौफीक से महरूम और जुमरए फुस्साक में दाखिल है "

सवाल (541) मुजद्दिदों में से मज़कूरा तहरीर किस मुजद्दिद की है ?

जवाब:- मुजद्दिद अलिफ सानी रहमतुल्लाह अलैह की (161)

"गुमराही की दावत देने वाला शाम में यज़ीद और इराक मे मुख्तार था " सवाल (542) हज़रत शाह अब्दुर्रहीम .हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़.हज़रत शाह वलियल्लाह देहलवी इन तीनों बुजरुगों  में से मज़कूरा बयान किस बुज़रुग़ का है?  

जवाब:-हज़रत शाह वलियल्लाह रहमतुल्लाह का (162)

"बिल इजमा मुअर्रिखीन साबित है कि जब हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ने यज़ीद को बातिल पर जाना और लाईक़े इमामत के न देखा ......तो यज़ीद की बैअत कबूल न फरमाई यहां तक कि यज़ीद के लश्कर से लड़े और अपने असहाब समेत दरजे शहादत को पहोंचे '

सवाल (543) हज़रत शाह अब्दुर्रहीम .हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़.हज़रत शाह वलियल्लाह देहलवी इन तीनों बुजरुगों  में से मज़कूरा बयान किस बुज़रुग़ का है?  

जवाब:- हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह अलैह (163)

" एक रोज़ सय्यदा खातूने जन्नत अपने दोनों शहज़ादों को ले कर नबिय्ये करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में हाज़िर हुईं और अर्ज़ किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इन दोनों शहज़ादों को कुछ अता फरमाइये तो हुजूर सल्लल्लाहु अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि हसन को तो मैं ने अपना इल्म और अपनी हैबत अता की और हुसैन को अपनी शुजाअत और अपना करम बख्शा "

सवाल (544) आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां रहमतुल्लाहि अलैह ने मज़कूरा बातें किस किताब में लिखी हैं?  

जवाब:- अल अमनु वल उला में सफा 99 पर

"यज़ीद ने वालिए मुल्क हो कर ज़मीन मे फसाद फैलाया.हरमैन तय्यिबैन व खुद मक्का मुअज्जमा की सख्त बे हुरमतियां मस्जिदे नबवी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मे घोड़े बांधे.उन की लीद और पेशाब मिम्बरे अतहर पर पड़े.तीन दिन मस्जिदे नबवी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बे अज़ान व नमाज़ रही. मक्का व मदीना व हिजाज़ में हजारों सहाबा व ताबिईन बे गुनाह शहीद किये.मक्का मुअज्जमा पर पत्थर फेंके.गिलाफे काबा फाड़ा और जलाया.मदीना तय्यबा की पाक दामन पारसायें तीन शबाना अपने ख़बीस लश्कर पर हलाल कर दीं.रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जिगर पारे को तीन दिन बे आब व दाना रख कर मअ हमराहियों के तेगे जुल्म से पियासा जिबह किया.मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के गोद पाले हुए तने नाज़नीन पर बादे शहादत घोड़े दौड़ाए गए कि तमाम पस्लियां चूर हो गये.सरे अनवर कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का बोसा गाह था काट कर तीर पर चढ़ाया और मंजिलों फिराया. हरम मोहतरम महज़रात मशकूए रिसालत क़ैद किये गए और बे हुरमती साथ उस ख़बीस (यज़ीद) के दरबार में लाए गये.इस से बढ़ कर क़तअ रहम और ज़मीन फसाद किया होगा "

सवाल (545) मज़कूरा तवील इक्तीबास किस की तहरीर है और कौन सी किताब की है?

जवाब :-मज़कूरह तहरीर हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां बरैलवी की है और यह तहरीर आप की किताब "इरफ़ाने शरीअत में मौजूद है.

" वाक़िआ हररह ....... जो यज़ीद  मरदूद के ज़माना में बादे वाक़िए करबला हुआ कि यज़ीद ने मुस्लिम बिन उक़बा की सरकरदगी में एक लश्करे जर्रार से मदीना मुनव्वरा पर हमला कर दिया.तीन दिन या पांच दिन मदीना पाक में कत्ले आम कराया.मस्जिदे नबवी शरीफ में कई दिन अज़ान न हो सकी.मदीना मुनव्वरा की गली कूचों में हज़राते सहाबा व ताबिईन का खून पानी की तरह बहा. यहां से फिर उस लश्कर ने मक्का मुअज्जमा का रुख किया अभी यह लश्कर रास्ता में था कि मुस्लिम इब्ने उक़बा हलाक हुआ "

सवाल (546) मज़कूरा इक़तिवबास किस की तहरीर है और किस किताब में है?

जवाब:- अल्लामा अहमद यार खां नईमी की तहरीर है और आप की तहरीर की हुई शरह "मिरातुल मनाजीह .जिल्द 7 सफा 209पर है

" जब यज़ीद अलैह मा यसतहिक्कहू कत्ले इमाम हुसैन और हित्तके हुरमत अहले बैते अतहारे नबवी से फारिग हो चुका.दीन को दुनिया के वास्ते खो चूका.तब उस घमंड से शक़ावत और क़सावत उस शैतान की ज्यादा हो गई.तबीअत उस की और तरह के फित्ना व फसाद पर आमादा हो गई .चुनांचे बड़े बड़े फेअल जैसे भाई का अपनी बहन से बियाह और सौदा और शीर ख्वारी वग़ैरह मनहिय्यात  शरइय्या को उस ने अपने अहद में अलानिया रवाज दिया '

सवाल (547) मज़कूरह इक़तिबास किस किताब का किस सफा पर है?  

जवाब :- करबला का मंजर.सफा 457 पर है मुसन्निफ मालिक मुहम्मद अशरफ नक्शबंदी

"अमीर मुआविया (रादियल्लाहु अन्हु ) के इन्तिकाल के बाद यज़ीद ने हाथ पैर फैलाए और दिल व जान से बुराई में लग गया.बुराई का ऐलान शुरू कर दिया.नमाज़ छोड़ दी.पस बअज़ मुकद्दमाते गुज़िश्ता की बिना पर मअजूल कर देने के लाईक़ हो गया"

सवाल (548) मज़कूरा तहरीर किस की है?  

जवाब:- मौलाना क़ासिम नानोतवी की (164)

"मुरीद अपने शैख़ की मुहब्बत में बे इख्तीयाराना मजजूब हुआ करता है. सय्यदुश शोहदा सय्यिदिंना हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम हमारे शेख हैं.उन की मुहब्बत में बे इख्तियाराना तौर पर हम मजजूब हैं.जब हम मोलवी नजीर हुसैन साहब से मिलने गए .तो उन के हलक़ ए दर्स में उन के सामने एक शख्स ने.दूसरे शख्स से हज़रत इमाम हुसैन के बारे ब सिलसिला तकरीर कहा कि कि एक खलीफा के वक़्त में दूसरा अपने लिये बैअत ले.तो वाजिबुल क़त्ल है .(ब लिहाज़ अदब सब लफ्ज़ क़ाईल गुस्ताख के नहीं लिखे जा सकते ) मोलवी साहब ने यह गुफ्तगू सुनी.तो न मुमनिअत की. न तरदीद की.(कि हज़रत इमाम मज़लूम का इक़दाम .हरगिज़ किसी खलीफा ए बरहक़ वाजिबुल इताअत के खिलाफ खुरूज न था ) बल्कि खामोश रहे.यह मुआमिला हम पर निहायत शाक़ गुजरा.हम फौरन उठ कर चले आए.फिर दोबारा हम वहाँ नहीं गए.और उस दिन से हम ने ईन लोगों के पीछे नमाज़ पढ़ना (जिन का कुर्रतुलऐन रसूल.इमाम मज़लूम की शान में ऐसा गुस्ताखाना और बे अदबाना हो छोड़ दिया " (165)

सवाल (549) मज़कूरा बाला तहरीर किस बुजरुग़ की है?  

जवाब:- फखरूल आरिफीन हज़रत सय्यद मौलाना अब्दुल हई रहमतुल्लाह अलैह की -

"मुहर्रम का चाँद होते ही हमारी रूह में निहायत बे क़रारी आ जाती है.सर और जिस्म गरम.और  आँखें सुर्ख हो जाती हैं.अगर उंतिस्वी की रविय्यते माहे मुहर्रम.कभी अहयानन याद न रही.और वाक़िअन चाँद हो गया.तो यह आसार फौरन चाँद के होते ही हम में पैदा और ज़ाहिर होते हैं.इन से हम समझ लेते हैं कि मुहर्रम का चाँद हो गया"

सवाल (550) मज़कूरा बाला अपनी कैफियत किस बुजरुग ने लिखी है?  

जवाब:- फखरूल आरिफीन हज़रत सय्यद मौलाना अब्दुल हई रहमतुल्लाह अलैह ने  -

शहीदाने करबला और अहले बैत की तुरबतें

सवाल (551) हज़रत सकीना.हज़रत ज़ैनब और हज़रत उम्मे कुल्सूम रदियल्लाहु अनहुमा (बिनते सय्यदुश शोहदा हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु ) की तुरबतें कहाँ है?  

जवाब:- दमिश्क के कब्रस्तान में (166)

सवाल (552) हज़रत ज़ैनब बिनते अली की तारीखे पैदाइश बताइये ?  

जवाब:- 05 जमादिल ऊला सन 5 हिजरी मुताबिक़ 626 ईस्वी है

सवाल (553) ज़ैनब बिनते अली का नाम ज़ैनब किस ने रखा?  

जवाब:- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने -

(554) सय्यदुश शोहदा हज़रत इमाम आली मुक़ाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की बहन हज़रत ज़ैनब बिनते अली रदियल्लाहु अन्हा की कब्र कहाँ और किस मुहल्ला में है?  

जवाब:- दमिश्क से दस किलो मीटर दूर सबतिय्या (जुनूबिया) में है

,

सवाल (555) हज़रत ज़ैनब बिनते अली रदियल्लाहु अन्हा की कब्र पर कुबबा बना हुआ है?  

जवाब :- हाँ बना हुआ है (167)

सवाल (556) हज़रत ज़ैनब बिनते अली की तारीखे वफात बताइये?  

जवाब:- 15 रजब सन 62 हिजरी मुताबिक़ सन 681 ईस्वी -

सवाल (557) हज़रत रुक़य्या बिनते (इमामे हुसैन ) रदियल्लाहु अन्हा का मज़ार कहां और कैसा है?  

जवाब:- शहरे दमिश्क में दाखिल होते वक़्त छोटी सी कब्र निहायत खूबसूरत बनी है (168)

यज़ीद का ऐबी और बदनुमा किरदार

सवाल (579) यज़ीद की माँ का नाम बताइये?  

जवाब :- हारसा बिन खब्बाब बिन कलबी

सवाल (580) हारसा बिन खब्बाब कलबी के शिकम से और कोई औलाद हुई ?  

जवाब :- एक "उम्मतुल रब्बुल मशारिक" पैदा हुई जो बचपन में मर गई (178)

सवाल (581) किया यह सच है कि यज़ीद पलीद ने भाई का अपनी बहेन से निकाह को राईज किया था?  

जवाब :- जी हाँ तारीख तो यही  बताती है (179)

सवाल (582) किया यह सही है कि यज़ीद पलीद ने सौतीली माओं.बहनों और बेटियों.से निकाह की इजाज़त देता था ?  

जवाब :-जी हाँ ! तारीख नवेशो ने ऐसा ही लिखा है

सवाल (583) उस की तफसील बताइये -?

जवाब :-इमाम आली मुक़ाम हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु  की शहादत के बाद यज़ीद बद बख्ती में फिरऔनियत और कारूनियत ने मज़ीद रंग पकड़ा.उस की शैतनियत और बदकारी  में इज़ाफ़ा हो गया और नशा इक्तिदार में मज़ीद धुत हो गया.शराबी तो पहले से ही था लेकिन अब शराब नोशी की कोई हद न रही.बदकार तो पहले ही था लेकिन अब सौतेली माओं बहनों और बेटियों के साथ भी बदकारी पर उतर आया.अल ग़रज़ वह उयूब व नक़ाईस का मुजस्समा बन गया और उस का जुल्म व सितम इंतिहा को पहोंच गया इसी वजह से लोग खुसूसन अहले हिजाज़ उस के सख्त मुखालिफ हो गये और उन्हों ने यज़ीद की बदकारियों की वजह से उस की बैअत तोड़ दी "/(180)

सवाल (584) किया यह सच है कि यज़ीद पलीद के दौरे हुकूमत में ज़िना.लिवातत.हराम कारी.सूद और शराब अलानिया तौर पर राइज हो गये थे?  

जवाब :-जी हाँ ! यज़ीद ने मज़कूरा बाला हराम चीजों को अलानिया रवाज दिया था

सवाल (585) गवर्नर मदीना वलीद बिन उक़बा बिन सुफियान यज़ीद का कौन था?  

जवाब :- चचा ज़ाद भाई

सवाल (586) वलीद बिन उक़बा ने यज़ीद के लिये हज़रत इमाम हुसैन से बैअत नहीं ले सका तो उस को गवर्नर के ओहदा पर रखा या हटा दिया?  

जवाब :हटा दिया

सवाल :- (587) जंगे करबला के बाद यज़ीद ने मदीना के हाकिम वलीद बिन उक़बा को. माजूल कर के किस को हाकिम बनाया  ?

जवाब :- उस्मान बिन मुहम्मद बिन अबू सुफियान को

सवाल (588)उस्मान बिन मुहम्मद बिन अबू सुफियान.यज़ीद का कौन था?  

जवाब :-चचा ज़ाद भाई था

सवाल (58 9) उस्मान का किरदार कैसा था?  

जवाब :- यज़ीद की तरह मै नोश था

सवाल (590) उस्मान जब मदीना मुनव्वरा पहोँचा तो अहले मदीना तो अहले मदीना ने उस के साथ कैसा सुलूक किया?  

जवाब :- उस्मान को पकड़ कर क़ैद कर दिया

सवाल (591) जब अहले मदीना  ने उस्मान को क़ैद कर दिया तो उन का हाकिम कौन बना?  

जवाब :- उस्मान को क़ैद करने के बाद मदीना में आबाद क़ुरैश ने अब्दुल्लाह बिन मुतीअ को और अंसार ने अब्दुल्लाह बिन हनज़ला को अपना सरदार चुन लिया " (182)

सवाल (592) जंगे करबला के बाद यज़ीद ने मदीना पाक पर फ़ौज कशी की.उस की वजह किया है?  

जवाब:- उस की वजह यह है मअरका ए करबला के बाद अब्दुल्लाह बिन मुतीअ और अब्दुल्लाह बिन हनज़ला ने हज़रत जैनुल आबिदीन से कहा खिलाफत संभाल लें.आप ने इनकार कर दिया.लोगों ने जब ज़्यादा असरार किया तो आप एक गांव में जाकर रहाईश पज़ीर हो गये.उस के बाद अहले मदीना ने हामियाने यज़ीद को पकड़ कर क़ैद करना शुरू कर दिया.यज़ीद को इस की ख़बर हुई तो मुस्लिम बिन उक़बा को बारह हज़ार या बाईस हज़ार लश्कर दे कर मदीना मुनव्वरा मुनव्वरा भेजा

सवाल (593) अहले मदीना जब यज़ीदियों को गिरिफ्तार कर रहे थे.उस वक़्त वह कौन शख्स था जो यज़ीद को अपने घर में पनाह दे रहा था?  

जवाब :-मरवान (183)

सवाल (594) मारका ए करबला के बाद यज़ीद किस रंग तरंग में जिंदगी गुजारने लगा?  

जवाब :- "इमाम हुसैनी की शहादत के बाद यज़ीद शराब दवाम (हमेशा शराब खोरी ) में मुब्तिला हो गया और एक रिवायत में है कि उस ने कहा मैं दीने मुहम्मदी से बजार हूं.और ईसा बिन मरयम के मज़हब में दाखिल हूं (184)

सवाल (595) मुस्लिम बिन उक़बा के मा तहत फौजों ने मदीना पाक में कितने  दिनों तक लूट पोट और क़त्ल गारत गरी करते रहे?  

जवाब :- तीन दिनों तक

सवाल (596) इन तीन दिनों में उक़बा की फौजों ने कितने लोगों को शहीद किया?  

जवाब :- सात सौ सहाबी कुरैशी ख्वास और अवाम और लड़के को मिलाकर दस हज़ार आदमियों से ज़्यादा

सवाल (597) कहा जाता है कि यज़ीदी फौजों ने उम्मुल. मोमिनीन हज़रत उम्मे सलमा रदियल्लाहु अन्हा के घर को लूट लिया क्या यह बात सही है?  

जवाब :- हाँ यह बात सही है (185)

सवाल (598) किया मुस्लिम बिन उक़बा की सिपह सालारी में आई हुई यज़ीदी फौजों ने मस्जिदे नबवी के मिम्बर और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मज़ार शरीफ के दरमियान सतूनों में घोड़े बांधे थे?

जवाब :-जी हाँ ! घोड़े बांधे और उन घोडों ने वहाँ की पाक और मुकद्दस जगह को पेशाब और लीद ने नजिस की

सवाल (599) यज़ीदी फौजों ने तीन दिनों तक जो लूट मार की तो उन दूनों में मस्जिदे नबवी में अज़ान वा इकामत हुई या नहीं?  

जवाब :- इन तीन दिनों तक मस्जिदे नबवी ज़ाहिरी अज़ान व इक़ामत से खाली रही?  (186)

सवाल (600) इस बात की गवाही किस ने दी है?  

जवाब :- सईद इब्न मुसय्यिब रदियल्लाहु अन्हु ने

सवाल (601) सईद इब्न मुसय्यिब कौन हैं ?

जवाब :- ताबिइन हैं.आप का लक़ब सय्यदुत्ताबिईन है (187)

सवाल (602) उन दिनों में मस्जिदे नबवी में अज़ान व ईक़ामत के तअल्लुक से आप ने क्या कहा है?  

जवाब :- आप दीवानों की वज़अ इख्तियार कर के मस्जिदे नबवी में रहते और झाड़ू दिया करते थे.फरमाते हैं कि रोज़ाना नमाज़े पंजगाना की आवाज अज़ान व ईक़ामत हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की कब्र शरीफ से सुन लिया करता था और उसी अज़ान व ईक़ामत से अपनी नमाज़ मुकम्मल करता था

सय्यदुश शोहदा और आप के रूफक़ा के कातिलों का अंजाम

सवाल (603) सय्यदुश शोहदा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु को मैदाने करबला में अबानी (क़बीला बनी अबान का एक शख्स )ने तीर मारा वह तीर आप की थूडी के नीचे पैवस्त हो गया.उस तीर को आप खींच कर ज़ख़्म में दोनों चुल्लू लगा दिये. खून दोनों चुल्लू में भर गया.आप ने कहा खुदा वनदा ! तेरे पैगम्बर के निवासे के साथ जो सुलूक किया जाता है.उस की 6 मैं तुझी से करता हूं "बताइये उस " अबानी " का हाल किया हुआ?

जवाब:- मुअर्रिखीन लिखते हैं कि "बहोत कम ज़माना गुजरा था कि खुदा ने अबानी को  पियास में मुब्तिला किया.किसी तरह उस कि तिशनगई बुझती ही नहीं थी.पानी ठंडा किया जाता.उस में शकर डाली जाती थी.दूध के क़दमे भरे हुए थे.पानी के मट के.वह यही कहे जाता.अरे पानी पिलाओ.पियास मुझे मारे डालती है. एक मटकी या एक क़दह जिस से सारा घर छकाया छक हो जाए.उसे दिया जाता .गट गट सब पी लेता था.बरतन से ज़रा मुंह हटा लेता था कि फिर पुकारता.अरे पानी पिलाओ.  पियास मुझे मारे डालती है.क़ासिम इब्न असबग ने यह तमाशा देखा था वह कहते हैं.वल्लाह थोड़े ही दिनों में उस का पेट इस तरह तड़क गया जैसे ऊंट का पेट " (188)

सवाल (604) सय्यदुश शोहदा हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शहादत के बाद बहर बिन कअब ने आप का पायजामा उतार लिया था.उस ज़ालिम मरदूद का किया हाल हुआ?  

जवाब:- जिस दिन उस ने पायजामा उतारा उसी दिन से से उस के हाथ ऐसे हो गये थे कि जाड़ों में दोनों हाथों से पानी टपकता था और गरमियों में लकड़ी की तरह सूख जाते थे (189)

सवाल (605) सय्यदुश शोहदा हज़रत इमाम आली मुक़ाम के जिस्म की पामाली के वक़्त आप के जिस्म पर एक कुर्ता था.जिस्म पामाल करने वालों में एक "इसहाक बिन हैवह हज़रमी" भी था उस ने आप के जिस्म से कुरता उतार लिया.उस शख्स का अन्जाम बताइये कि क्या हुआ?  

जवाब :- "इसहाक बिन हैवह हज़रमी " मबरूस हो गया (190)

सवाल(606) "इसहाक बिन हैवह हज़रमी" के साथ "अहबश मुरसद हज़रमी.घोड़े दौड़ाने पर मामूर था.उस की मौत कब और कैसे हुई?

जवाब:-जब अहबश बिन मुरसद हज़रमी" घोड़े दौड़ा रहा था तो किसी यज़ीदी ने किसी पर तीर चलाया लेकिन वह वह तेरा "हबश बिन मुरशद हज़रमी" के दिल पर लगा और वहीं पर मर गया (191)

सवाल (607)"जाबिर बिन यज़ीद अज़दी ने आप का अमामा ले लिया था.उस का हाल बताइए?

जवाब:- "जाबिर बिन यज़ीद अज़दी" मखबूतुल हवास हो  (पागल पन) हो गया था. ऐसा पागल कि मोरयों से पानी पीता और गोबर खाता था और उसी तरह खाते पीते मर गया -

सवाल (608) जऊना हज़रमी उस ने आप का पैरहन मुबारक उतार कर पहना था.उस की हालत कैसी रही?

जवाब :- कोढ़ में मुब्तिला हो गया और सड़ सड़ कर मरा

सवाल (609) " अब्दुर्रहमान बिन हसीन का हाल बताइये?  

जवाब:- मबरूस (सफेद दाग ) होकर मरा

सवाल (610) "असवद बिन हनजला उस ने आप की तलवार ली थी.उस के हाल के बारे में सुनाइए?

जवाब :-यह कुत्ता भी जुज़ाम मैं गिरिफ्तार हो कर मरा

सवाल:-(611) मुख्तार सक़फी जब करबला के खातियों पर खुरूज तो वह किस मुल्क में भागे ?

जवाब:- वह लोग मौसिल में.मदाइन में. आरमीना में. आज़र बाईजान में.हलवान में जा कर छुप गए यहां तक हिंदुस्तान में भी भाग कर आए

सवाल (612) इन भगोड़ों को कैसे गिरिफ्तार और क़त्ल किया गया?  

जवाब:- मुख्तार ने मोसिल अब्दुर्रहमान बिन सईद बिन कैस को भेजा.मदाइन में इसहाक बिन मसऊद को.आरमीना में अब्दुल्लाह बिन अल हरस बिन अशतर को .आज़र बाईजान में मुहम्मद बिन उमेर अतारद को.हलवान में सअद बिन हुजैफा बिन ईसमान को फौज दे कर भेजा.इन फौजियों ने इन भगोड़ों से जंगें कीं.गिरिफ्तार किए.और क़त्ल कर के उन के नापाक जिस्म से ज़मीन को पाक किये

सवाल (613) यह वाक़िआत किस सन में वकूअ पज़ीर हुए?  

जवाब :- सन 66 हिजरी में

सवाल(614)"  शिमर बिन जिल जोशन कूफा से भागा तो कहाँ तो कहाँ जाकर छुपा और उस का किया हश्र हुआ?  

जवाब :- शिमर कूफा से जाकर "कलतानिया" में जा कर छुपा.वहाँ अबू उमरा ने उस को गिरिफ्तार कर के क़त्ल कर दिया. क़त्ल के वक़्त उस की सुवर की शक्ल हो गई.इब्ने खुलदून और तारीखे तिबरी में लिखा है कि शिमर को क़त्ल करने के बाद उस की लाश की बोटी बना कर कुत्तों को खिलाया गया

सवाल (615) खूली पर कैसा अज़ाब हुआ ?

जवाब :- उस की जिंदगी में उस पर मुअक्किलाने अज़ाब मुसल्लत हुए.जो रोज़ाना रात के वक़्त उस को औंधा मुंह लटकाते और नीचे आग जलाते उसी से उस का मुंह और चहरा काला हो गया था (192) मुख्तार के ज़माना में खूली कैद होकर क़त्ल हुआ.उस का सर मुख्तार के पास भेजा गया.मुख्तार ने उस के सर को जलवादिया.इस तरह वह अपने अंजाम को पहोंच गया

सवाल (616)करबला में "रफाअह बिन शद्दाद.अब्दुल्लाह बिन सईद बिन कईस.फरात बिन ज़हर बिन कैस उमरू बिन महनफ़.उमरू बिन बिन अल हज्जाज जुबैदी वगैरा ने इमाम आली मुकाम को खुतूत भी लिखे और करबला में शिरकत की थी.उन लोगों का हश्र किया हुआ?  

जवाब :- उमरू बिन अल हज्जाज जुबेदी तो ऐसा गायब हुआ कि उस का पता ही नहीं चला.बाकी को  मुख्तार सक़फी के दौर में इब्राहीम बिन मालिक अशतर  ने सब को क़त्ल किया

सवाल (617) उमरू बिन सअद और हफ्स बिन  उमरू को क़त्ल करने के बाद इन दोनों के सरों को मुख्तार ने किया किया?  

जवाब:- हजरत इमाम हसन के भाई हजरत मुहम्मद बिन हअबू नफिया के पास भेज दिया

सवाल (618) अब्दुल्लाह बिन असद जहनी.मालिक बिन नसीर कनदी.हमल बिन मालिक महारबी यह तीनों कूफा से भाग कर कहाँ पनाह लिए और उन का किया हाल हुआ?

जवाब :- यह तीनों भाग कर " कादिसिया " में पनाह लिए और तीनों क़त्ल हुए

सवाल (619) करबला में हजरत इमाम हुसैन के असबाब को लूटने वाले कौन कौन थे?  

जवाब :- ज्याद बिन मालिक बिन ज़बगी.इमरान बिन खालिद अशरी.अब्दुर्रहमान बिन अबी हशकारह बजली.अब्दुल्लाह बिन कैस खोलानी.अब्दुर्रहमान बिन तलहा.अब्दुल्लाह बिन वहब हमदानी.अबू असमा बशीर बिन सुमेत क़ानबी.खूली बिन यज़ीद असबही वगैरा

सवाल (620) इन लोगों का हशर किया हुआ?  

जवाब :- मुख्तार बिन सक़फी के खुरूज के ज़माना में यह सब क़त्ल हुए.क़त्ल करने के बाद मुख्तार ने सब की लाश को जलवादिया

हज़रत इमामे हुसैन की बारगाह में उलमा उदबा और शोअरा का खिराजे अक़ीदत

بـارحـمة للعـالـمـيـن آذر كـزيـن الـعـالـمـيـن

 اے رحمت عالم ازين العابدین کوسنجالیے

 مخبـوس أيدى الظالمين في الموكب والمزدحم

وہ ظالموں کے ہاتھوں میں گرفتار حیرانی و پریشانی میں ہے

सवाल (621) मज़कूरा शेअर हज़रत इमामे जैनुल आबिदीन रदियल्लाहु अन्हु का है.बताइए यह शेअर आप ने कब और कहाँ कहा था?  

जवाब :- आप यज़ीद की कैद में दमिश्क में थे तो यह शेअर कहा था -

اتـقـتـلهـم ظـلـمـوتـرجـواودادنـا

فـدع خـط ليـسـت لـنـابـمـلائـمـه

तर्जमा:- ! तू उन्हें ज़ुल्म व जोर से क़त्ल करे फिर हम से दोस्ती की उम्मीद रखे इस ख्याल को छोड़.हमारी खस्लत ऐसी नहीं

لعمـري لـقـدر اعتـمـونـابقتهم

فـكـم نـاتـم مـنـاعـلـيـكـم وتـاقـمـه

मैं क़सम खाकर कहूँगा उन को क़त्ल कर के तुम लोगों ने हम को ज़लील कर दिया.हमारे ज़न व मर्द के दिलों में तुम्हारी तरफ से कीना पैदा हो गया

सवाल (622)मज़कूरह बाला दोनों शेअर किस के हैं और कहाँ पर कहा था?  

जवाब :- उबैदुल्लाह बिन हुर्र के हैं और उन्हों ने वाकिआ ए करबला के चंद रोज़ बाद के बाद ही करबला में आ कर कहा था (193)

शाह हस्त हुसैन बादशाह हस्त हुसैन

दीन हस्त हुसैन दीन पनाह हस्त हुसैन

सर दाद. न दाद.दस्ते दर दस्ते यज़ीद

हक्का कि बना ए लाइला ह हस्त हुसैन

सवाल (623) हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शान में मज़कूरा अशआर किस बुज़रुग की जानिब मंसूब किए जाते हैं कि आप ने इमाम की शान में अशआर कहे हैं?  

जवाब:- हज़रत ख्वाजा मईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाहि अलैह की जानिब -

मअदूम न था साया शाहे सक़लैन

उस नूर की जलवा गाह थी ज़ाते हसनैन

तम्सील ने इस नूर के दो हिस्से किए

आधे से हसन बने आधे से हुसैन

सवाल (624) बताइए मजकूरा बाला अशआर किस के हैं?

जवाब : आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान बरैल्वी के हैं

نقش الاالــلـه بر صحرا نوشت

नक्शे इल्लल्लाह.बर सहरा नविश्त |

सतरे उनवाने निजाते मा नविश्त।  ||

तर्जमा:-और वह हुसैन रदियल्लाहू अन्हु.जिस ने अपने खून की सियाही से इल्लल्लाह दश्ते करबला में लिख दिया बल्कि हमारी निजात का परवाना लिख दिया -

सवाल:- (625)मज़कूरा बाला शेअर किस का है?

जवाब :- डाक्टर इकबाल का है

लगाया नार ए शब्बीर और सू ए फरात |

क़तअ करते हुए अशरार का दौरे हयात ||

सिपाही फौजे दुश्मन के जो गाज़ी से उलझते थे

वह तेगे तेज़ के हाथों जहन्नम में पहोँचते थे ||

सवाल (626)हजरत अब्बास अलम्दार रदियल्लाहु  के बहादुराना किरदार पर मजकूरा मज़कूरा बाला अशआर किस के हैं?  

जवाब:- हसन रज़ा बरैलवी के हैं

ऐ बारे इलाहा नूहा सुनाता फिरता |

ता रोज़े हश्र अश्क बहाना फिरता ||

इमदाद न करते अगर करबला में हुसैन |

इस्लाम   तेरा   ठोकरें खाता फिरता  ||

सवाल:- (627)मज़कूरा बाला इँकिलाबी अशआर किस के हैं ?

जवाब:- जोश मलीहाबादी के

दरबार में ज़मीर  की मिट्टी पलीद थी |

गोया बदी जहां में ब शक्ले यज़ीद थी ||

सवाल:- (628)किया आप बतासकते हैं?  

जवाब:-आशिक़ कैरानवी का है -

कत्ले हुसैन असल में मरगे यज़ीद है |

इस्लाम जिंदा होता है करबला के बाद ||

सवाल -(629)मज़कूरा शेअर किस मुजाहिदे आजादिये हिंदुस्तान का है?  

जवाब :-मौलाना मुहम्मद अली जौहर का है

संगे बारां से बचा जामे ब्लूरीं अपना |

ऐसे लोगों में जो पत्थर से हैं बद तर !न जा ||

गुले शादाबे नबी अपने चमन से न निकल  |

नाज़नीन फूल है तू ! कांटों के अंदर न जा ||

सवाल (630) आप बता सकते है कि मज़कूरह अशआर किस के हैं?  

जवाब :- बेदल के हैं

लौटा अजल ने शेरे इलाही के बाग़ को |

भाई के दिल से पूछिए भाई के दाग़ को ||

सवाल (631) यह किस शाएर का शेअर है?

जवाब :- मीर मोनिस का है

शैतान के आईन को शब्बीर न माने |

कुरआन के तौहीन को शब्बीर न माने ||

सवाल (632) मज़कूरह बाला शेअर के मु तअल्लिक़ बताइये कि उस के लिखने वाले कौन हैं?  

जवाब :- मौलाना साईम चिश्ती

खून से जिस के बिना ए शरअ मोहकम हो गई |

जिस की कुरबानी से तंजीमे दो आलम हो गई ||

बज़्मे बातिल जिस का नअरा सुन के बरहम हो गई |

जिस की खूनी आस्तीन मिल्लत का परचम हो गई ||

सवाल (633) बताइये कि यह अशआर किस के हैं?  

जवाब :- मुगीस फ़रीदी के हैं

मैं लाल रंग को यूं भी पसंद करता हूँ |

यह रंग कर्ब व बला है. कलर हुसैन का है ||

लहू लुहान है हर शाम आज भी सूरज

शफ़क़ यह आज भी देखो असर हुसैन का है ||

सवाल (634)सय्यदुश शोहदा इमाम आली मुक़ाम सय्यिदिना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शान में मज़कूरह मनक़बती अशआर किस के हैं?

जवाब :- डाक्टर तनवीर गौहर का है

ज़ख्मी जिगर लईनों ने तोड़ा हुसैन का |

बच्चा भी शीर ख्व़ार न छोड़ा हुसैन का ||

सवाल (635) बताइये यह  शेअर किस का है?  

जवाब :- मिरजा  तअश्क़ का है

लहू में ग़र्क़ खड़े थे कमर झुकाए हुए |

पिसर की नन्नहीं सी मय्यत गले लगाए हुए ||

लहू भरा हुआ दामन उढ़ाए हुए |

कफन की फिकर में मुंह खीमा को फिरा हुए ||

सवाल (636) मशहूर  मरसिया गो शाईर में मज़कूरह अशआर किस के हैं?

जवाब:- दबीर के हैं

कुछ खौफ था चहरे पे न तश्वीश जरा थी |

हर एक अदा मज़हरे तस्लीम व रज़ा थी ||

हर एक निग़ह ! शाहिद इक़रारे वफा थी ||

हर जुँबिशे लब ! मुँकिरे दस्तूरे जफ़ा थी ||

सवाल (637) यह इँकिलाबी अशआर किस के है ?

जवाब:- डाक्टर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के हैं

उलटूं अगर मैं गुस्से से  अब आस्तीन को |

सदके से शाहे दीन के उलट ज़मीन को ||

समझा रहा हूँ देर से मैं हर लईन  को |

दुनिया के वास्ते तू न खो अपने दीन को ||

है आशकारा बाजूए शाहे ज़मन हूँ मैं |

खैबरे शिकन का बेटा हूँ और सफे शिकन हूँ मैं ||

सवाल (638) मज़कूरह बाला रसाई अशआर किस के हैं?

जवाब :- गुलाम हुसैन दिलगीर के हैं

ऐसे लड़े कि खात्मा जंग कर दिया |

गुलगूं ने बागियों का अजब रंग कर दिया ||

आईना हसाम ने भी दंग कर दिया |

अरज़क़ के चार बेटों को चौ रंग कर दिया |

यूं सर उड़ा कि बात में भी फर्क आ गया ||

सवाल (639) हज़रत कासिम रदियल्लाहु अन्हु के तअल्लुक़ से मज़कूरह बाला रसाई अशआर किस के हैं?  

जवाब :- शमीम अमरोहवी के

शाम काली.अंधी शाम.खौफ अंगेज शाम|

बे ज़या.बे नूर.वहशतनाक.इबरत खेज़ शाम ||

शाम खूनी शाम.सूनी शाम.जुल्मत बार शाम |

खून चकां.खूँ रेज़ शाम.खून अंगेज शाम.और खूंखार शाम||

क़हरे आगीं.मातम.गमगीं.बला अंदोज शाम |

पुर अलम पुर दर्द .पुर ग़म.पुर नम.व पुर सोज़ शाम ||

सवाल(640) आशूरा की शाम की मंजर कशी के अशआर किस के हैं?  

जवाब :- सीमाब अकबराबादी के

नौजवानाने जन्नत का सालार है |

जिस का नाना दो आलम का सरदार है ||

जो सरापा ए महबूबे गफ्फार है |

जिस का सर दश्त में ज़ेरे तलवार है |

उस सदाकत के पैकर पे लाखों सलाम |

उस हुसैन इब्ने हैदर पे लाखों सलाम ||

मज़कूरह बाला सलाम के तहरीर करने वाले का नाम लिखिये?  

जवाब :- जियाउद्दीन अल क़ादरी

उस की नज़र में सिर्फ था इस्लाम का उरूज |

जो कुछ था पास सारा लुटाया हुसैन ने ||

कुरबान खानदान किया राहे इश्क़ में |

हम को जगा के खुद को मिटाया हुसैन ने ||

सवाल (642) इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शान में मज़कूरह बाला अशआर किस के हैं ?

जवाब :- साहिर शेवी के

ऐ ज़मीने करबला.कितने हवाले हैं तरे |

सब्र.इस्तक्लाल.हिम्मत.तिशनगी..दरिया. चिराग़.||

आज तक शामे गरीबाँ है. सियह पोशाक में |

याद में उस की.जो इक ख़ुर्शीद सामाँ था. चिराग़||

सवाल (643) मज़कूरह बाला अशआर किस शायर के हैं?  

जवाब:- सिराजुद्दीन सिराज के

बेटा अली का. सजदे में कुल   सर कटाएगा |

ज़हरा का चाँद.नेज़े पे सर को सजाएगा ||

नाना का दीन. नाना का दिलबर बचाएगा |

कुरआन.नेज़े पर भी.हर एक को सुनाएगा

सवाल (644) मज़कूरह बाला अशआर किस शाईर के हैं?  

जवाब :-अली आज़र के

करबला के मौजूअ पर लिखी गईं किताबें और उन की मुसन्निफीन

               आ

सवाल (645) किताब "आई न ए क़यामत " के मुसन्निफ का नाम बताइये?

जवाब:- उस्ताज़े ज़मन मौलाना हसन रज़ा खान बरैलवी

              *अलिफ*

सवाल (646) करबला के मौजूअ पर सब से पहली कौन सी  किताब  लिखी गई और किस ने लिखी?  

जवाब "किताब अबी अतीक़ हजर बिन अल अजाजूक़ी" नाम की किताब लिखी गई और उसी शख्स ने लिखी यानी "अबी अतीक़ हजर बिन अल अजाजूक़ी" ने

सवाल (547) वह शख्स कौन था?  

जवाब :-मुहम्मद हुसैन नज्फी जो अक़ीदतन शिय्या हैं. मजमऊन्नूरैन सफा 548 के हवाले से लिखा है कि "मज़कूरह शख्स करबला में उबैदुल्लाह इब्ने ज़्याद की तरफ से  सरकारी नामा निगार था. उस ने करबला के चश्मे दीद वाक़िआत दर्ज करने के साथ फौज अशक़िया के नाम भी दर्ज कर रक्खे थे.उस बयानात के और रिपोर्टों के मुताबिक मुख्तार सक़फी और इब्राहीम बिन मालिक अश्तर ने कातिलाने इमाम मज़लूम व शोहदा ए करबला को एक एक कर के गिरिफ्तार किया और सजाएं दी " (194)

सवाल (648) अल बिदायह वन्निहायह " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?  

जवाब :- हाफिज़ इब्ने कसीर

सवाल (649) "लि फसल फिल म-ल-लि वल अहवा न्नहल " के मुसन्निफ  का नाम बताइये?  

जवाब:- इमाम इब्न हज़म ज़ाहिरी

सवाल (650) किताब "औराके गम " के मुसन्निफ का नाम मअ वल्दीयत लिखिये?  

जवाब:- अबुल हसनात मौलाना सय्यद मुहम्मद अहमद नइमी कादरी वल्द इमामुल मुहद्दिसीन मौलाना सय्यद दीदार अली शाह

सवाल (651) किताब "औराक़े ग़म " के मुसन्निफ की जाए पैदाइश और साले वफात लिखिये?  

जवाब:- जाए पैदाइश "अलवर " और साले वफात 1380 हिजरी है

सवाल (652) किताब "इमाम पाक और यज़ीद पलीद" किस ने लिखी है?

जवाब :- मौलाना शफी औकाड़वी की

सवाल (653) किताब " इमाम पाक और यज़ीद पलीद " किस" किस किताब का जवाब है?

जवाब :- "खिलाफते मुआवियह और यज़ीद " का

सवाल (654) किताब " इमाम हुसैन " किन की लिखी हुई है?  

जवाब :- मुफ्ती फ़ैज़ अहमद अवेसी की

सवाल (655) वाक़िआते करबला से मुतअल्लिक़ "अनोखी लड़ाई " किन की तहरीर पर मब्नी किताब है?

जवाब :- बहरूल उलूम मुफ्ती अब्दुल मन्नान आज़मी की

                        ..       ता ..............

सवाल (656) किताब " ततहीरूल जिनान अलस्सवाकिल मुहर्रक़ा " किस ने लिखी है?

जवाब :- शेख शहाबुद्दीन अहमद बिन हजर हतीमी ने

सवाल (657)किताब " तारीखे करबला " तहरीर करने वाले का नाम तहरीर कीजिए?

जवाब :-मौलाना अमीनुल कादरी

सवाल (658) किताब "तारीखे करबला " किस किताब के जवाब में लिखी गई?  

जवाब :-"आओ मुहर्रम की हक़ीक़त तिलाश करें " के जवाब में

सवाल (659) किताब " तनक़ीहुश शहादतैन " किस ने लिखी है?

जवाब :- तिलाशे बसयार के बाद भी मुसन्निफ का नाम नहीं मिला.अगर किसी साहब को मालूम हो तो ज़रूर आगाह करें

   ................जीम...............

सवाल (660) किताब "जामे हुसैन " किस की काविश है?  

जवाब:- हज़रत मुहम्मद खादिम हसन शाह बाबा अजमेरी

सवाल (661)यह किताब नसर में है या नज़म में?

जवाब :-नज़म में

.,......,.....,............हे ...,,......................,..............

सवाल (662) किताब "हुसैन और यज़ीद " के मुरत्तिब का नाम बताइये?  

जवाब :- सय्यद खलीक़ अशरफ़

सवाल (663) किताब "हयातुश शोहदा वल मौता " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?  

जवाब :- मुसन्निफ का नाम राकिम को नहीं मिल सका

सवाल (664) किताब "हाद स ए करबला का पसे मंजर " किस ने लिखी है?

जवाब:- मौलाना अब्दुर्रशीद नोअमानी

........,.....................,.खे ..,...,.,..........................

सवाल (665) किताब "खाके करबला " के नाम लिखिये ?

जवाब :- साहबजादा इफ्तिखारुल हसन

सवाल (666) किताब "खाके करबला " को उर्दू से हिन्दी तहरीर में मुँतकिल करने वाले का नाम बताइये ?

जवाब :- मंजर सुबहानी

सवाल (667) किताब "खुतबाते मुहर्रम" के मुसन्निफ कौन हैं?  नाम लिखिये?

जवाब :- मुफ्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी

सवाल (668) किताब "खुतबाते मुहर्रम " नाम की एक और किताब है.उस के मुसन्निफ कौन हैं ?

जवाब :- हाफिज़ सय्यद अजीजुर्रहमान

सवाल (669) किताब "खानदाने मुस्तफा " (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) किस आलिमे दीन की तालीफ़ है?

जवाब :- अल्लामा सय्यद मुहम्मद सईदुल हसन कादरी की

..….…....................दाल...,.....,.....,.....,.........,,......

सवाल (670) किताब "दश्ते करबला " किस की तस्नीफ है?

जवाब :- मौलाना हसनैन रज़ा बरैल्वी की

सवाल (671) मौलाना हसनैन रज़ा बरैलवी की तारीखे विलादत व विसाल बताइये?

जवाब :- विलादत 1310 हिजरी में हुई और विसाल

 5 सफरूल मुजफ्फर 1401 हिजरी 14 दिसम्बर 1981 ईस्वी बरोज़ यक्शँबा को हुई

सवाल (672) हाल में एक और मुसन्निफ की किताब"दश्ते करबला " के नाम से शाए हुई है .उस मुसन्निफ का नाम लिखिये?  

जवाब :- मौलाना सिराजूल कादरी

सवाल (673)" दास्ताने करबला " के मुसन्निफ का नाम बताइये?  

जवाब :- मौलाना डाक्टर मुहम्मद आसिम आजमी.पी एच डी.

सवाल (674) किताब " दास्ताने करबला हक़ीक़त के आई ने में" किस की लिखी किताब है?  

जवाब :-अहमद हुसैन कमाल की

सवाल (675) इस किताब को पढ़ना चाहिए?  

जवाब :- नहीं !यह किताब इमाम आली मुक़ाम की मुखालिफत और यज़ीद परस्ती में लिखी गई है

...,....,....,....................ज़ाल ...,...,.....................

सवाल (676) किताब "जिकरूल हुसैन " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?  

जवाब :- अब्दुल अज़ीज़ जलोदी

सवाल (677) किताब "जिकरुशशहादतैन" के मुसन्निफ का नाम लिखिये ?

जवाब :- मोलवी अहमद खान सूफी अकबराबादी

.........................रा ...........................................

सवाल (678) किताब "रौज़तुशशोहदा " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?  

जवाब :- मुल्ला हुसैन वाईज़ काशफी

सवाल (679) इस किताब का तरजुमा किस ने किया?  

जवाब :- फज़ली ने

सवाल (680) फज़ली के इस तरजुमा वाली किताब का नाम किया है?

जवाब :- करबल कथा है

..............…............….सीन.........,.......................

सवाल (681) किताब "सिर्रुशशहादतैन " के मुसन्निफ का नाम बताइये?

जवाब :- हज़रत मौलाना शाह अब्दुल अज़ीज़ मुहद्दिस देहलवी

सवाल (682) हज़रत मौलाना शाह अब्दुल अज़ीज़ ? देहलवी का साले पैदाइश और साले विसाल बताइये?

जवाब :- साले पैदाइश 1159 हिजरी विसाल 1239 हिजरी 1824 ईस्वी है

सवाल (683) किताब "सवानेह करबला " के मुसन्निफ का नाम बताइये?  

जवाब :- अल्लामा सय्यद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादाबादी

सवाल (684) अल्लामा सय्यद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादाबादी  की तारीखे विलादत और विसाल बताइये?  

जवाब :- विलादत 12 सफरूल मुजफ्फर 1300 हिजरी

मुताबिक 24 सितंबर 1882 हिजरी वफात:- 18 ज़िल हज्जा 1367 हिजरी मुताबिक 23 अकतूबर 1948 ईस्वी

सवाल (685) किताब "सवानेह करबला " के मुसन्निफ के पीरो मुरशिद का नाम लिखिये ?

जवाब:- मुहम्मद गुल रहमतूल्लाह अलैह

सवाल (686)किताब "सय्यदुश शोहदा " के मु अल्लिफ का नाम बताइये?  

जवाब :- हज़रत मुहम्मद खादिम हसन शाह बाबा अजमेरी

सवाल (687) किताब " सय्यिदिना हुसैन और सय्यदा ज़ैनब " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?

जवाब :- मौलाना फखरे आलम शैदा कमाली

.....,taabita.,.....,............शीन ................................

सवाल (688) किताब "शरह अक़ाईद" के लिखने वाले बुज़रुग का नाम लिखिये?

जवाब :- अल्लामा सईदुद्दीन

सवाल (689) किताब " शामे करबला " किस की तस्नी है?

जवाttaaiyeaaiबया  y:-(6( मौलाना शफीअ औकाड़वी कीई

सवाल (690) किताब "शहीद इब्ने शहीद " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?

जवाब :- मौलाना साईम चिश्ती

सवाल (691) किताब " शहीदे करबला " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?

जवाब :- कारी मुहम्मद तय्यब साबिक़ मोहतमिम देवबंद

सवाल (692) किताब " शहीदे करबला "नाम की एक दूसरे मुअल्लिफ की एक और किताब है उस मुअल्लिफ का नाम लिखिये?  

जवाब :- मौलाना मुहम्मद शरीफ नूरी

सवाल (69के 3) किताब शामनाम ए करबला " (मनजूम ) के शायर का नाम या तखल्लुस बताईये?

जवाब :-  तखल्लूस परवाना रूदौलवी

सवाल (694) किताब " शहीदे मुअज्जम " के मुसन्निफ का नाम तहरीर कीजिये?  

जवाब :-अल्लामा मुहम्मद मुबीनुद्दीन साहब मुहद्दिस अमरोहवी

......................................ऐन..............................

सवाल (695) किताब "आशूरा नामा " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?  

जवाब :- रोशन अली

सवाल (696) मज़कूरह किताब नजम में या नसर में?

जवाब:- मज़कूरह किताब नजम में है

सवाल (697)मज़कूरह किताब में कितने अशआर हैं?

जवाब:-तीन हज़ार छे सौ उन्तालिस अशआर हैं

सवाल (698)  मज़कूरह किताब किस सन की तस्नीफ है?

जवाब:- 1100 हिजरी 1688 ईस्वी की तस्नीफ है

सवाल (699) किताब "अनासिरुशशहादतैन " के लिखने वाले का नाम लिखिये?

जवाब :- मोलवी मुहम्मद नासिर अली बिन हैदर अली ग़यासपूरी मुनेरी

सवाल (700) किताब "अनासिरुशशहादतैन " सब से पहले किस सन में छपी थी?

जवाब:- जून 1925 ईस्वी में

सवाल (701) किताब "अज़मते मुहर्रम और इमाम हुसैन " के लेखक का नाम बताइय़े?  

जवाब :- मौलाना शाकिर नूरी

.............................गैन....................................

सवाल (702) उस गैर मुस्लिम गो का नाम बताइये जो पहले ग़ज़ल गो शाईर थे.इमाम आली मुक़ाम की शहादत से मु त अस्सिर हो कर मरसिया कहने लगे?

जवाब :- लाला छुन्नू लाल

सवाल (703) लाला छुन्नू लाल जब ग़ज़ल कहते थे तो उन का तखल्लुस किया था?  

जवाब :-तरब

सवाल (704) जब लाला छुन्नू लाल मरसिया लिखने लगे तो अपना तखल्लुस तरब से बदल कर किया रखा?

जवाब:- दिलगीर रखा

सवाल (705) लाला छुन्नू लाल ने इस्लाम क़बूल किया तो अपना नाम किया रखा ?

जवाब:- गुलाम हुसैन रखा

सवाल (706) लाला छुन्नू लाल ने किस सन में इस्लाम क़बूल किया?  

जवाब :-1914 ईस्वी

.....................................फा ........................

सवाल (707) किताब " फ़ज़ाईले फातु म तुज्जहरा " किस ने लिखी?  

जवाब:- मुफ्ती फैज़ अहमद अवैसी की

सवाल (708) किताब "फातमा का लाल " को किस ने लिखा है?

जवाब :-फरीद बुक डिपो.मटिया महल देहली" फातमा का लाल " शाय किया है. लेकिन मुसन्निफ या मुअल्लिफ का नाम नहीं दिया है

सवाल (709) किताब "फलसफा ए शहादते इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु" किस की काविश है?

जवाब :- डाक्टर ताहिरूल कादरी की

..................................क़ाफ़.............................

सवाल (710) क़ातिलाने हुसैन का इबरतनाक अंजाम " के मुअर्रिख का नाम लिखिये?  

जवाब: - परवाना .रूदौलवी

............................काफ ....................................

किताब(711) किताब"करबला का मंज़र" के मुसन्निफ का नाम बताइये?

जवाब:- मालिक मुहम्मद अशरफ़ नक्शबंदी

सवाल (712) किताब " करबला के बाद " के मुसन्निफ का नाम बताइये ?

जवाब :- मौलाना अब्दुत्तव्वाब सिद्दीकी

सवाल (713) किताब  "करबला का मुसाफिर " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?

जवाब:- खतीबे मशरिक़ हज़रत अल्लामा मुश्ताक़ अहमद निजामी

सवाल (714) किताब "करबला की बहादुर ख्वातीन " किस की तस्नीफ है?

 जवाब :- परवाना रूदौलवी की

सवाल (715) किताब " करबला  से कूफा तक " के मुसन्निफ का पूरा नाम या सिर्फ क़लमी नाम या दोनों नाम लिखिये?  

जवाब:- पूरा नाम सय्यद मीसम तमार परवाना रूदौलवी है

.........................मीम......................................

सवाल (716) किताब " मक़तल अबी अब्दुल्लाह अल हुसैन " किस की तालीफ़ है?

जवाब:- अबुल कासिम असबग़ बिन नबाता की

सवाल (718) मज़कूरह किताब के मुअल्लिफ का किस सन हिजरी में हुआ?

जवाब :- सन 100हिजरी में

सवाल (719) किताब " मक़तल

लुल हुसैन व अखबार यज़ीद" किस की तालीफ़ है?

जवाब :- इब्राहीम बिन सक़फी की

सवाल (720) मक़तल इब्न रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यह किस का रिसाला है?

जवाब :- अब्दुल्लाह मनसूर का - (यह रिसाला अब्दुल्लाह बिन मनसूर को हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु ने इमला कराया था-

सवाल (720) किताब " मक़तलुलहुसैन " नाम की मु त अद्दिद किताबें मुअल्लिफीन की हैं.बताइये पहली किताब "मक़तलुल हुसैन " किस की लिखी हुई है?

जवाब :- इब्राहीम बिन इसहाक़ अहसदी की -

सवाल (722) दूसरी किताब "मक़तलु हुसैन " किस ने लिखी है?  

जवाब :- अबी मुखफ्फफ लूत बिन यहया बिन सईद ने

सवाल (723) तीसरी किताब "मक़तलुल हुसैन" किस की तहरीर है?

जवाब :- अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन ज़करिया बिन यनार की

सवाल (724) चौथी किताब "मक़तलुल हुसैन" किस की तहरीर है?

जवाब :- अहमद बिन याकूब बिन वाज़ेह कातिब बग़दादी

मुतवफ्फी सन 278 हिजरी की

सवाल (725) पांचवीं  किताब "मक़तलुल हुसैन" किस की तहरीर है?

जवाब:- अब्दुल अज़ीज़ जलोदी की

सवाल (726) छटी  किताब "मक़तलुल हुसैन" किस की तहरीर है?

जवाब :- नसर बिन मज़ाहिम बिन सुलेमान मक़री की -

सवाल (727) सातवीं  किताब "मक़तलुल हुसैन" किस की तहरीर है?

जवाब :- जाबिर बिन यज़ीद जअफी सन 128 हिजरी

सवाल (728) आठवीं किताब "मक़तलुल हुसैन" किस की तहरीर है?

जवाब :- मुहम्मद बिन उमर वाक़दी सन 208 हिजरी

सवाल (729) नौवीं किताब "मक़तलुल हुसैन" किस की तहरीर है?

जवाब :- हशाम बिन साईब कलबी ने

सवाल (730)  किताब "मक़तल हुसैन बिन अली " किस ने लिखी है?

जवाब :- अबुल हुसैन उमर बिन हसन इब्न मालिक शेबानी ने सन 195 हिजरी

सवाल (731) किताब " मुहासिने इमाम हुसैन यानी मज़ालिमे यज़ीद " किस ने लिखी है?

जवाब :- हज़रत मुहम्मद खादिम हसन शाह बाबा अजमेरी

सवाल (732) किताब " मुहर्रम नामा " किस की तालीफ़ है?

जवाब :- ख्वाजा हसन निजामी देहलवी

सवाल (733) किताब "मार क ए करबला " के मुसन्निफ का नाम बताइये?

जवाब :- मुहम्मद सादिक़ सरधनवी

सवाल (734) किताब " मार क ए करबला " नाम की एक और किताब है.उस के मुसन्निफ का नाम लिखिये?  

जवाब :- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

सवाल (735) किताब "मा बादे करबला " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?  

जवाब :-मौलाना शैदा कमाली

सवाल (736) किताब "मुहर्रम में किया जायज़?किया नाजायज़ " किस ने लिखी?

जवाब :- मौलाना ततहीर रज़वी

...........................नून..............,....................

सवाल (737) किताब "नौ सर हार " के मुसन्निफ का नाम लिखिये?  

जवाब :- शाह अशरफ़ बयाबानी

सवाल (738) किताब का साले तस्नीफ बताइये?

जवाब :- सन 909 हिजरी मुताबिक़ 1503 ईस्वी

सवाल (739) वाक़िआते करबला पर यह किताब मरसिया है या मसनवी?

जवाब :- वाक़िआते करबला पर यह मसनवी है

सवाल (740) किताब "नूरुल अबसार फी मनाक़िब आले बैत नबिय्युल मुख्तार " के मुसन्निफ का नाम बताइये?

जवाब :- सय्यद मोमिन बिन हुसैन

सवाल (741)/किताब "नूरुल ऐन फिल मशहद अल हुसैन " के मुसन्निफ का नाम बताइये?

जवाब :- अल्लामा अबू इसहाक़ असफ़राईनी

सवाल (742) किताब "नक्शे करबला " किस मशहूर आलिम और कलम कार की तस्नीफ है? .

जवाब :- अल्लामा मुहम्मद अरशदुल क़ादरी की

सवाल (743) किताब "नक्शे करबला " को उर्दू से हिन्दी रसमुल खत में मुँतकिल करने वाले का नाम लिखिये?

जवाब :- गुलाम रब्बानी क़ादरी

...................................या ................................

सवाल (744) किताब "यज़ीद के गाज़ी " के मुसन्निफ कौन हैं?  

जवाब :- मौलाना फ़ैज़ अहमद अवेसी

सवाल (746) किताब "लश्करियों का अंजाम " किस की तालीफ़ है?

जवाब :- मुफ्ती फ़ैज़ अहमद अहमद अवेसी की

नोट :- इस किताब का उर्दू नाम "आईन ए करबला कूईज़" है.और इस किताब का  हिंदी नाम हम ने रखा है "रूदादे करबला*

             तस्नीफे लतीफ

अदीबे शहीर हज़रत मौलाना अलहाज मुहम्मद इदरीस रज़वी एम. ए सुन्नी जामा मस्जिद.पत्री पुल.कल्यान महाराष्ट्र 9869781566

उर्दू से हिन्दी :- तर्जुमा :- मुहम्मद अब्दुर्रहीम खान कादरी जमदा शाही बस्ती यू. पी खतीब व इमाम जामा मस्जिद राजगढ़ 454116 धार   मध्य प्रदेश 7415066579 -7860762579

हमारे सवालात उ-लमाए अहले सुन्नत के जवाबात

सवाल 1- ताजिया बनाना कैसा है ?

जवाब - सय्यदी आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत हजरत अल्लामा मौलाना अलहाज अल कारी मुफ्ती इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमह इरशाद फरमाते हैं ताजिया मासियत (गुनाह) है। ताज़िया बनाना देखना जाईज़ नहीं।

(हवाला- फतावा रज़विया शरीफ जदीद जिल्द 16 सफह 155 सफा 489)

सवाल 2 शरअ में ताजिए की असल (हकीकत) क्या है ? जवाब - फरमाने आला हजरत अलैहिर्रहमह : ताज़िया मम्नूअ है। शरअ (शरीअत) में कुछ असल नहीं और जो कुछ बिदआत उन के साथ की जाती है। सख्त नाजाईज़ हैं। (हवाला- फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द २४ स्वच्छ ४९०)

सवाल 03 - क्या ताज़िया बनाना कुफ व शिर्क है ?

जवाब- आला हजरत फरमाते हैं। ताज़िया ज़रूर नाजाईज़ व बिदअत है। (हवाला- फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 21 सफा 490)

सवाल 04- ताजीम करना ताजिए की शरअन कैसा है ? जवाब - आला हजरत फरमाते हैं ताज़िया बनाना देखना जाईज नहीं और ताज़ीम व अकीदत सख्त हराम व अशद (सख्त) बिदअत-अल्लाह तआला मुसलमान भाईयों को राहे हक़ की हिदायत फरमाए । (हवाला- फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24 सफा 489)

 सवाल 05- ताजिए पर मन्नत मानना कैसा है ?

जवाब - आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं ताजिए पर मन्नत बातिल व नाईज़ है ? (हवाला- फतावा रज़विया शरीफ जदीद जिल्द 24 501)

सवाल :- 06 - क्या ताज़िए के ज़रिए हाजतें पूरी होती हैं ?

जवाब- आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं ताज़िए को हाजत रवा यानी ज़रिए हाजत रवा समझना जिहालत पर जिहालत हैं। (हवाला फताया रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24499)

सवाल:- 07 - सुना है अगर किसी ने ताजिया बनाने की मन्नत मानी तो ज़रूर बनाना चाहिए वरना नुक्सान होगा क्या यह बात दुरुस्त है ? जवाब- आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं ताजिया बनाना बिदअत व गुनाह है (लिहाज़ा) न करने को बाईस नुक्सान ख्याल करना या जानना वहम है मुसलमान को ऐसी हरकात व ख्यालात से बाज़ आना चाहिए । (हवाला-फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24 सफा 499:503)

 सवाल 08 अगर कोई मुसलमान ताज़ियह बनाए तो कितना गुनाह है ?.

जवाब - आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं बिदअत का जो गुनाह है। गुनाह की नाप तौल दुनिया में नहीं ।

(हवाला फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24508510)

सवाल 09- ताजियह बनाने वालों को ताजिया बनाने के लिए चन्दा देना या ताजिया बनाने में मदद करना कैसा है ? जवाब - आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं ताजिया में किसी किस्म की इमदाद जाईज नहीं । अल्लाह तआला ने फरमाया है गुनाह और जियादती के मुआमलात में एक दूसरे की मदद न क्या करो । (पारा 6 सूरह माइदह 2) मजीद इरशाद फरमाते हैं। | अलम (इस्लामी झन्डा) ताजिए में जो कुछ सर्फ (खर्च) होता है। सब इस्राफ व हराम है। (हवाला- (फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24:505)

सवाल 10 ताजिए पर जो मिठाई चढ़ाई जाती है। कया इस को खा सकते हैं ?

जवाब-आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं ताजिया पर जो मिठाई चढ़ाई जाती है। अगर चे हराम नहीं हो जाती मगर इस के खाने में  जाहिलों की नज़र में एक अमर (हुक्म) नाजाईज शरई की वुकअत बढ़ाने और उस के तर्क (छोडने) में इस से नफरत दिलाती है। लिहाज़ा न खाई जाए। (फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24 499)

सवाल 11-अलम (झन्डा) ताजिया देखने के लिए घरों से निकलना कैसा है ?

जवाब आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं जो काम नाजाईज़ है। उसे तमाशे के तौर पर देखने जाना भी गुनाह है। (फतावा रज़विया सफा 499) मजीद एक मुकाम पर इरशाद फरमाते हैं अलम, ताजिए मेंहदी उनकी मन्नत, गश्त चढ़ावा, ढोल, ताशे, मरसिए मातम मस्नूइ करबला को जाना औरतों का ताज़िए देखने के लिए निकलना यह सब बातें हराम व गुनाह व नाजाईज़ व मना है। (फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24 498)

सवाल 12-शोहदाए करबला के रौज़ों की तस्वीरें और नक्शे घरों और दुकानों में आवीज़ां (लगाना) कर सकते हैं या नहीं ?

जवाब-शैखुल हदीस हज़रत अल्लामा मौलाना अब्दुल मुस्तफा आज़मी | रहमतुल्लाह अलैह इरशाद फरमाते हैं हजरत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु और शोहदाए करबला रदियल्लाहु तआला अन्हुम के मुकद्दस रौजों की तस्वीर नक्शा बना कर रखना और उन को देखना यह तो जाईज है। क्यिोंकि यह एक गैर जानदार चीज की तस्वीर या नक्शा है। लिहाजा | जिस तरह कअबा बैतुल मुकद्दस नअलैन शरीफैन वगैरह की तस्वीरें और उन के नक्शे बना कर रखने को शरीअत ने जाईज ठहराया है। इसी | तरह शोहदाए करबला के रोजों की तस्वीरें और नक्शे भी यकीनन जाईज ही रहेंगे। लेकिन हर साल सैंकड़ों हजारों रुपये के खर्च से रौजए। करबला का नक्शा बना कर उसको पानी में डुबू देना या जमीन में दफन कर देना या जंगलों में फेंक देना यह यकीनन हराम व नाजाईज़ है। क्योंकि यह अपने माल को बरबाद करना है और मुसलमान जानता है। कि माल को जाए और बरबाद करना हराम व नाजाईज है।

(जन्नती जेवर तखरीज शुदा सफा 155 156) हकीमुलउम्मत ताजदारे गुजरात मुफस्सिरे शहीर हजरत अल्लामा मौलाना मुफ्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह अलैह भी इरशाद फरमाते हैं। अगर (हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु के मजार शरीफ का ) सहीह नक्शा तय्यार किया जाए जिस की जियारत की जाए उसे दफन न किया जाए बल्कि महफूज रख्खा जाए बेला शुबहा जाईज है ।(फतवा नईमिया सफा 192)

सवाल 13- मुहर्रम शरीफ में किए जाने वाले खिलाफे शरअ कामों की निशानदेही फरमाएं ?

जवाब - शैखुल हदीस हज़रत अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आजमी रहमतुल्लाह अलैह इरशाद फरमाते हैं ढोल ताशा बजाना ताजियों को मातम करते हुए गली गली फिराना सीने को हाथों या जन्ज़ीरों या छुरयों से पीट पीट कर और मार मार कर और उछलते कूदते हुए मातम करना ताजियों की ताज़ीम के लिए ताजियों के सामने सजदा करना, ताजियाँ के धूल उठा उठा कर बतौरे तबक चेहरों सरों और सीनों पर मलना अपने बच्चों को फकीर बना कर मुहर्रम की नियाज के लिए भीक मंगवाना, सोग मनाने के लिए खास किस्म की लगविय्यात और खुराफात की रस्में जो मुसलमानों में फैली हुई हैं। यह सब मम्नूअ व नाजाईज है। और यह सब ज़मानए जाहिलियत और राफिजियों (शियों) की निकाली हुई रस्में हैं। जिन से तौबा करके खुद भी इन हराम रसमों से बचना और दूसरों को बचाना हर मुसलमान पर लाज़िम है। इस तरह ताजियों का जुलूस देखने के लिए औरतों का बे परदा घरों से निकलना और मर्दों के मजमे में जाना और ताजियों को झुक झुक कर सलाम करना यह सब काम भी शरीअत में मना और गुनाह है।

(जन्नती जेवर तखरीज शुदा सफा 156 157)

सवाल 14- मुहर्रम शरीफ में दस रोज तक करबला वालों की याद में सोगवार रहना, सोग मनाना, शरअन कैसा है ? जवाब:-आला हजरत फरमाते हैं मुहर्रम शरीफ में दस रोज तक सोगवार रहना मम्नूअ व नाजाईज है। फल दिया जिसफा ) मजीद आला हज़रत फरमाते हैं शरीअत ने औरत को शौहर की मौत पर चार महीने दस दिन सोग का हुक्म दिया है। औरों की मौत के तीसरे दिन तक इजाजत दी है। बाकी हराम है और हर साल सोग की तजदीद तो किसी के लिए असलन हलाल नहीं।

(फतावा रज़विय्या शरीफ जदीद जिल्द 24 सफा 495)

सवाल 15 मैदाने करबला में हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु और उन के रुफका पर जुल्म व सितम किए गए उन्हें पढ़ कर या सुन कर दिल गमगीन हो जाए आंखों से आंसू छलक पडें । तो क्या यह भी मना है ?

जवाब - आला हजरत रदियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं जी नहीं जैसा कि सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं । अरे सुनते नहीं हो बेशक अल्लाह न आँसुओं से रोने पर अजाब करे न किलके गम पर ( जवान की तरफ से इशारा करके फरमाया) हां उस पर अज़ाब है या रहम फरमाए । इस को बुखारी व मुस्लिम ने हजरत अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है।

(सही बुखारी किताबुल जनायज बाबुल का इन्दल मरीज जिल्द सफा 174) इसी तरह फतावा आलमगीरी में भी है। जामिउल मुज़मिरात से (बुलन्द आवाज से रोना ) और करना बीन करना (इस्लाम में) जायज नहीं लेकिन बिगैर आवाज़ के रोना और बहाना ममनूअ (मना) नही आला हज़रत इमाम अहमद रजा खान रदियल्लाहु अन्हु इरशाद फरमाते हैं कौन सा सुन्नी होगा जिसे वाकिए करबला का गम नही । या उस की याद से दिल महजून (मलाल) और आंखे पुरनम नहीं हां मसाएब में हम को सब्र का हुक्म फ़रमाया है। जजअ फज़अ (रोना, पीटना, सर पटकना, चिल्लाने) को शरीअत मना फरमाती है। और जिसे वाकई दिल में गम न हो उसे झूठा इजहारे गम (गम) रिया (दिखावा) है और क़सदन (जान बूझ कर ) गम आवरी और और गम परवरी खिलाफे रजा है। जिसे उस का गम न हो । उसे बे गम न रहना चाहिए बल्कि उसे गम न होने का गम होना चाहिए कि उस की मुहब्बत नाकिस है। और जिस की मुहब्बत नाकिस हो उस का ईमान नाकिस है। वल्लाहु तआला अलमु बिस्सवाब | (फतावा राजविया शरीफ जिल्ब 24 सफा 487 480)

 (16) सवाल:- शोहदाए करबला रदियल्लाहु अन्हुग की याद में मातम करना और नौहा पढ़ना कैसा है ? जवाब:-आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं। मातम करना छाती पीटना हराम है नीज (और) मातम व नौहा मुहर्रम हो गैरे मुहर्रम मुतलकन हराम है। (फतावा रज़विधा शरीफ जिल्द 23 सफ7407 ) रसूले अकरम स्वल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं मैं बे जार हूं उस से जो भदरा चिल्लाए और चिल्ला कर रोए और गिरेबान चाक (फाड़) करे (बुखारी व मुस्लिम ने हजरत अबू मूसा अशअरी रदियल्लाहु अन्हु के हवाले से उसे रिवायत किया ) (भदरा यानी किसी के मरने पर हिन्दुओं की तरह बतौरे सोग सर मुन्डाना) रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया अल्लाह अज्ज वजल्ल ने जहन्नम में नौहा करने वालों की दो सर्फ बनाएगा एक सफ जहन्निमयों के दाहिनी जानिब और दूसरी सफ जहन्नमियों के बाएं (उलटे ) जानिब वह जहन्नमिय्यों पर इस तरह भोंकते होंगे जैसे कुत्ते भोंकते हैं । (सरवरे खातिर तरजुमा कुर्रतुल उयून सफा 30 )

(17) सवाल :- सुना है 10 मुहर्रम को घर में चूल्हा जलाना रोटी पकाना झाडू लगाना नहीं चाहिए क्या यह बात दुरुस्त है ?

 जवाब :- आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं यह सब बातें सोग हैं। और सोग हराम है। (फतावा रजविया शरीफ जिल्द 24 सफा 488 ) तो मालूम हुआ 10 मुहर्रम आशूरा के रोज़ घर में चूल्हा जला कर रोटी, सालन वगैरा पका भी सकते हैं खा भी सकते हैं दूसरों को खिला भी सकते हैं और घर की सफाई भी कर सकते हैं झाडू व पोछा वगैरा भी लगा सकते हैं। हमारा इस्लाम 10 मुहर्रम को इन कामों से मना नहीं करता । अल्लाह गलत फहमियों से तमाम मुसलमानों को निजात अता फरमाए । आमीन ।

(18) सवालः मुहर्रम शरीफ के महीने में शादी व्याह कर सकते हैं यानहीं ?

जवाब :- आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं माहे मुहर्रम में निकाह करना जायज है। निकाह किसी भी महीने में मना नहीं। (फतावा रजविया शरीफ जिल्द 11 सफा 193)मुहतरम जनाब प्रोफेसर मुफ्ती मुनीबुर्रहमान साहब दामत बरकातहुमुल आलिया इरशाद फरमाते हैं। मुहर्रम या सफर या साल के किसी भी महीने में निकाह करना मना नहीं है। (फाजिल्द 240) |

(19) सवाल:- सुना है मुहर्रम में सिर्फ हजरत इमामे हुसैन और दिगैर शोहदाए करबला रदियल्लाहु अन्हुम अजमईन को ईसाले सवाब कर सकते हैं और किसी को नहीं । क्या यह बात दुरुस्त है ?

जवाब- जी नहीं । आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं मुहर्रम वगैरह हर वक्ते जमाना में तमाम अम्बिया अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम और औलियाए किराम की नियाज और हर मुसलमान की फातिहा जायज है। अगर चे खास आशूरा का दिन हो। (फतावा रजविया शरीफ जिल्द 24 सफा 499)

मजीद इरशाद फरमाते हैं इन अय्याम में सिवाए इमामे हसन व इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हुमा के सिवा किसी की नियाज़ फातिहा न दिलाना जेहालत है। हर महीना हर तारीख में हर वली की नियाज और हर मुसलमान की फातिहा हो सकती है । (फतावा रणविया शरीफ जिल्द 11 सफा 488)

(20) सवाल: मुहर्रम शरीफ में सुन्नी मुसलमानों को काले कपड़े पहनना कैसा है ?

जवाब- आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं मुसलमानों को चाहिए अशरए मुबारका में तीन रंगों को पहनने से बचे (1) सियाह (2) सब्ज (हरा) (3) सुर्ख लाल (फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24 सफा496)

हजरत अल्लामा मौलाना मुफ्ती मुहम्मद खलील खान बरकाती कादरी रहमतुल्लाह अलैह भी इरशाद फरमाते हैं अय्याने मुहर्रम यानी यकुम मुहर्रम से बारहवीं मुहर्रम तक सियाह रंग न पहना जाए। क्योंकि यह राफिजियों यानी शिय्यों का तरीका है। (माखुज अज सुन्नी बहश्ती जेवर हिस्सा पंजुम सफा 578) सगे अत्तार अर्ज करता है मुहर्रम शरीफ में काले कपड़े पहनना शिय्यों का तरीका है और सोग की अलामत है इस लिए उ-लमा फरमाते हैं कि सियाह लिबास पहनने से मुसलमान बचें ताकि कोई देख कर बद गुमानी न करे शिया न समझे। हां अशरए मुहर्रम के इलावह काला लिबास पहनने में हर्ज नही जैसा कि कानूने शरीअत मे लिखा है कि | सियाह कपड़े पहनना ज़ाहिर करने के लिए न हों तो मुतलकन जायज है। (शरीयत सफा 335)

( 21 ) सवाल :- मुहर्रम में अपने बच्चों को इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु का फकीर बना कर घर घर जा कर भीक मंगवाना कैसा है ?

 जवाब :- आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं बच्चों को सब्ज़ कपड़े पहनाना और उन के गलों में डोरियां बांध कर उन को हजरत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु का फकीर बनाना ममनूअ (मना) व नाजायज है। (फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24 सफा 508)

मजीद इरशाद फरमाते हैं फकीर बन कर बिला जरूरत व मजबूरी भीक मांगना हराम है और ऐसों को देना भी हराम (इस लिए कि यह गुनाह के काम पर दूसरे की इमदाद करना है)

(22) सवाल:- मुसलमानों का मुहर्रम शरीफ में पानी या शरबत की सबील लगाना कैसा है ?

जवाब:- आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं पानी या शरबत की सबील लगाया जब्कि यह निय्यत महमूद (यानी अच्छी निय्यत के साथ) और खालिसन लिवजहिल्लाह (अल्लाह की रजाके लिए ) सवाब रसाई अरवाहे तय्यबा अइम्मए अतहार (आइम्मए अतहार की पाक अरवाह को सवाब पहुंचाना) मकसूद हो बिला शुबहा बेहतर व मुस्तहब व कारे सवाब है। (फतावा रजविय्या शरीफ जदीद जिल्द24 सफा 520)

(23) सवाल: अहले तशीअ की लगाई हुई सबील से सुन्नी मुसलमानों को पानी शरबत वगैरा पीना चाहिए या नहीं ?

जवाब:-आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं मु-तवातिर सुना गया है। कि सुन्नियों को जो शरबत देते हैं इस में निजासत मिलाते हैं। और कुछ न हो तो अपने यहां के नापाक किल्लतैन का पानी मिलाते हैं । (फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24 सफा 526)

सवाल (24) :-इमामे हुसैन और दिगर शोहदाए करबला रदियल्लाहु अन्हुम की नियाज़ व फातिहा के बारे उलमाए केराम क्या फरमाते हैं ? जवाब:- आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं फातिहा जायज है रोटी, शीरीनी, शरबत जिस चीज़ पर हो मगर ताजिया पर रख कर या उस के सामने होना जेहालत है और उस पर चढ़ाने के सबब तबर्रक समझना हिमाकत है। हां ताज़िया से जुदा जो खालिस सच्ची निय्यत से हज़राते शोहदाए करबला रदियल्लाहु अन्हुम की नियाज़ हो वह जरूर तबक है।

वहाबी खबीस उसे खबीस कहता है खुद खबीस है। (जिल्द 24सफा498) मजीद इरशाद फरमाते हैं हज़रत इमामे हुसैन की नियाज़ खानी चाहिए और ताज़िया का चढ़ा हुआ खाना नहीं खाना चाहिए ताज़िया पर चढ़ाने से हजरत इमामे हुसैन की नियाज़ नहीं हो जाती और अगर नियाज़ दे कर चढ़ाएं या चढ़ा कर नियाज़ दिलाये तो उस के खाने से एहतेराज़ (यानी बचना) चाहिए । (जिल्द 24सफा524)

मुफ्ती मुहम्मद खलील खां बरकाती कादरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं माहे मुहर्रम में दस दिनों तक खुसूसन दसवीं को हजरत सय्यिदुना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व दिगर शोहदाए। करबला को ईसाले सवाब करते हैं । कोई शरबत पर फातिहा दिलाता है। कोई मिठाई पर, कोई रोटी गोश्त पर कोई खिचड़ा पकवाता है। बहुत से पानी और शरबत की सबील लगा देते हैं जाड़ों (यानी सरदियों) में चाय पिलाते हैं यह सब जायज हैं। इन को नाजायज नहीं कहा जा सकता । (सुन्नी बहश्ती जेवर हिस्सा सोम 318 319

शैखुल हदीस हजरत अल्लामा मौलाना अब्दुल मुस्तफा आज़मी रहमतुल्लाह अलैह इरशाद फरमाते हैं मुहर्रम के दस दिनों में खुसूसन आशूरा के दिन शरबत पिला कर खाना खिला कर, शीरीनी पर या खिचड़ा पका कर शोहदाए करबला की फातिहा दिलाना और उन की रूहों को सवाब पहोंचाना यह सब जायज़ और सवाब के काम हैं और सब चीजों का सवाब यकीनन शोहदाए करबला की रूहों को पहोंचता है। और उस फातिहा व ईसाले सवाब के मसअले में हन्फी शाफई मालेकी हम्बली अहले सुन्नत के चारों इमाम का इत्तेफाक है।(शरहुल अकाएद 172) पहले ज़मानों में फिरकए मोतजिला और इस जमाने में फिरकए वहाबिया इस मसअले में अहले सुन्नत के खिलाफ हैं और फातिहा व ईसाले सवाब से मना करते रहते हैं। तुम मुसलमानाने अहले सुन्नत को लाज़िम है कि हरगिज़ हरगिज़ न उन की बातें सुनो, न उन लोगों से | मेल जोल रखो वरना तुम खुद भी गुमराह हो जाओगे और दूसरों को भी गुमराह करोगे। (जन्नती जेवर तखरीज शुदा 159 )

( 25 ) सवाल:- अहले तशी (शिया) की मजलिसों में जाकर सुन्नी मुसलमानों को बयाने शहादत सुनना चाहिए या नहीं ?

 जवाब :- आला हजरत अलैहिर्रहमह फरमाते हैं अहले तशीअ की मरसिया ख्वानी की मजलिस में अहले सुन्नत वल जमाअत का शरीक व शामिल होना हराम है। वह बद ज़बान नापाक लोग अकसर तबरी (बुरा भला गाली देना ) बक जाते हैं इस तरह के जाहिल सुनने वालों को खबर भी नहीं होती (उन की मजलिस) रिवायत मौजूअह और कलमाते शनीअह (यानी मन घड़त बातों और बुरे अलफाज़ों) और मातम हराम से खाली नहीं होती और यह देखेंगे सुनेंगे और मना न कर सकेंगे ऐसी जगह जाना हराम है। (फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 23 सफा526)

 (26 ) सवालः शिया कहते हैं हम मुहर्रम में जो कुछ करते हैं सब अहले | ( बैत, शोहदाए करबला की मुहब्बत में करते हैं उसका क्या जवाब है?

जवाब:- खतीबे पाकिस्तान हजरत मौलाना मुहम्मद शफी औकाडवी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं। सियाह कपड़े पहनना, कपड़ों का फाड़ना ग्रिबान चाक चाक करना, बाल बिखेरना, सर पर खाक डालना, सीना कूबी करना और रानों पर हाथ मारना और घोड़ा और ताजिया वगैरह निकालना यह सब नाजाईज व हराम है और बातिल है। अगर यह बातें जायज़, दलीले मुहब्बत और बाईसे सवाब होती तो इमाम जैनुल आबिदीन या दिगर अइम्मए अहले बैत रदियल्लाहु अन्हुम उन को करते । कोई साबित नहीं कर सकता कि उन्होंने । ऐसा किया हो । बल्कि उन से इन (कामों) की मुमानिअत है।

(27) क्या मैदाने करबला में हज़रत कासिम रदियल्लाहु अन्हु की शादी हुई थी या नहीं ? जवाब: हज़रत इमाम अह रजा रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं । मैदाने करबला में यह शादी होना साबित नहीं।(फतावा रजविया 24 से 501)

(28) सवालः- इमामे हुसैन और दिगर शोहदाए करबला के हालात और शहादत के वाकियात बयान करना कैसा है ?.. जवाब :- आला हजरत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं जिकरे शहादत शरीफ जब्कि रिवायात मौजूअ (यानी मन घड़त रवायात) और कलिमाते ममनूआ न हो और निय्यत ना मश्रूअह (गलत अलफाज और नाजायज़ निय्यत) से खाली हो एैन सआदत है स्वालिहीन के जिक पर अल्लाह की रहमत नाजिल होती है। (फतावा रजविया24 स. 517)

मजीद इरशाद फरमाते हैं जो मज्लिस जिके शरीफ हजरत सय्यिदुना इमामे हुसैन व अहले बैत किराम रदियल्लाहु अन्हुम की हो । जिस में रिवायाते सहीहा मोअतबर से उन के फजाएल व मनाकिब और मदारिज बयान किए जायें और मातम व तजदीदे गम वगैरह उमूर मुखाइफा शरअ से यकसर (बिल्कुल) पाक हो फी नफसिही हसन व महमूद है। ख्वाह उस में नजम पढ़ें या नसर ।

(फतावा रजविय्या24523)

मुफ्ती मुहम्मद खलील खां बरकाती कादरी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं अश्रए मुहर्रम में मज्लिस मुनअक़िद करना और वाकियाते करबला बयान करना जायज है। जब्कि रिवायाते सहीहा बयान की जाए । और इन वाकियात में सब्र व तहम्मुल रजा व तस्लीम का बहुत मुकम्मल दर्स है। और पाबन्दिए अहकामे शरीअत और इत्तेबाए सुन्नत का जबर दस्त अमली सबूत है कि दीने हक़ की हिफाज़त में तमाम अज़ीज़ों, रफीकों और खुद अपने को राहे खुदा में कुरबान किया और जज़अ फज़अ का नाम न आने दिया. मगर इस मज्लिस में सहाबए किराम रिज़वानल्लाहि तआला अलैहिम अजमईन का जिके खैर होना चाहिए। ताकि अहले सुन्नत और शिय्यों की मज्लिस में यह फर्क और इम्तियाज़ रहे इन मजालिस में लोग इजहारे गम के लिए सर के बाल बिखेरते हैं कपड़े फाड़ते हैं सर पर खाक डालते हैं यह सब नाजायज़ और जाहिलियत के काम हैं सुन्नी मुसलमानों को इन से बचना निहायत जरूरी हैं। अहादीस में इनकी सख्त मुमानिअत आई है। मुसलमान | मर्दों और औरतों पर लाज़िम है कि ऐसे उमूर से बचें और ऐसे काम करें जिन से अल्लाह व रसूल अज्ज व जल्ल व स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम राजी हों कि यही निजात का रास्ता है। (सुन्नी बहश्ती जेवर हिस्सा चहारुम सफा 449550)

29 सवाल :- शाहेदाए करबला रदियल्लाहु अन्हो के ईसाले सवाब के लिए जो खिचड़ा पकाया जाता है। यह पकाना कहां से साबित है? क्या यह पकाना ज़रूरी है ?

जवाब:- आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं। जहां से शादी का पुलाउ, दअवत का ज़रदा साबित हुआ यह तखसीसात गर्जिया है न कि शरइय्या हां जो उसे (यानी खिचड़ा पकाने को) शरअन ज़रुरी जाने वह बातिल है। (फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 24 सफा 494) अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आजमी रहमतुल्लाहि अलैह फरमाते हैं आशूरा के दिन खिचड़ा पकाना फर्ज या वाजिब नहीं है। लेकिन उसके हराम व नाजाइज़ होने की भी कोई दलील शरई नहीं है। बल्कि एक रिवायत है कि ख़ास आशूरा के दिन खिचड़ा पकाना हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। चुनांचे मन्कूल है कि जब तूफान से निजात पाकर हजरते नूह अलैहिस्सलाम की कशती जूदी पहाड़ पर ठेहरी तो आशूरा का दिन था । आप ने कश्ती में से तमाम अनाजों को बाहर निकाला तो फोल (बड़ी मटर) गेहूं, जौ, मसूर, चना, चावल, प्याज सात किस्म के गल्ले मौजूद थे । आप ने सातों अनाजों को एक ही हांडी में मिलाकर पकाया । चुनांचे अल्लामा शहाबुद्दीन कलयूबी ने फरमाया कि मिस्र में जो खाना आशूरा के दिन तबीखुल हुबूब (खिचड़ा) के नाम से पकाया जाता है। उस की असल दलील यही हज़रत नूह अलैहिस्सलाम का अमल है।

(30) सवालः-सुना है खिचड़े को हलीम नही कहना चाहिए क्या यह बात दुरूस्त है ?

जवाब :- शैखे तरीक्त अमीरे अहले सुन्नत मौलाना इलियास अत्तार कादरी इरशाद फरमाते हैं। अवामुन्नास खिचड़े को हलीम कहते हैं लेकिन मुझे हलीम कहने में मज़ा नहीं आता । मैं अल्लाह तआला के अदब के तौर पर खिचड़ा को हलीम कहना पसन्द नही करता तो उर्दू में इस गिज़ा को खिचड़ा ही कहते हैं तो खिचड़ा नाम होते हुए अल्लाह का नाम एक गिजा पर क्यूं इस्तेमाल क्या जाए खिचड़े को हलीम कहना नाजाईज़ नही लेकिन हलीम कहना वाजिब भी नही है। (माखूज़ अज बयान आडियो कैसिट मुहर्रम के फजाएल) हम इश्क के बन्दे हैं क्यों बात बढ़ाई है।

 31 सवाल: मुहर्रम शरीफ की दस तारीख को किया जाने वाला कोई खास अमल या वज़ीफा हो तो वह भी बता दें ! जवाब :- खास तौर से नवाफिल और दुआए आशूरा पढ़ें दुआ यह है

दुआए आशूरा बहुत ही मुजररब  है। हज़रते इमाम जैनुल आबेदीन रदियत्ताहु अन्हु से रिवायत है कि जो 10 मुहर्रम को तुलू अफताब से गुरूब् आफताब तक इस दुआ को पढ़ से या पड़वा कर सुन ले तो इंशाअल्लाह तआला यकीनन साल  भर  तक उसको हरगिज़ मौत न आएगी और अगर मौत आनी ही होगी तो अजीब इत्तफाक है इस दुआ को पढ़ने का उसे तोफ़ीक नहीं  होगी।

*दुआ लिखनी अरबी में*

अफ मिन अहलुल कुरा से खासिरुन तक उसकी बरकत व फजीलत शैखुल हदीस अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आजमी इरशाद फरमाते हैं मुहर्रम की पहली तारीख को इन तीनों आयतों को कागज पर लिख कर और पानी से धोकर जिस घर के गोशों मे छिड़क दिया जाए वह सांप बिच्छू और तमाम मूजी जानवरों से सलामत रहेगा।

(मसाइलुल कुरान सफा 272)

बानिए दावते इस्लामी मौलाना इलियास कादरी अत्तारी शम्सुल मआरिफ मुतरजिम सफा 74 के हवाले से इरशाद फरमाते हैं बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम, यकुम मुहर्रमुल हराम को 130 बार लिख कर या लिखवाकर जो कोई अपने पास रखे या प्लास्टिक कोटिंग करवा कर कपड़े या रेगजीन या चमड़े में सिलवाकर पहन ले इंशाअल्लाह उमर भर उसको या उसके घर में किसी को कोई बुराई न पहोंचे ।

अहम मसअलह :- सोने या चादी या किसी भी धात की डिब्या में तावीज पहनना मर्द को जाईज नहीं। इसी तरह किसी भी धात की जन्जीर ख्वाह इस में तावीज़ हो या न हो मर्द को पहनना नाजईज व गुनाह है। इसी तरह सोने चांदी और स्टील वगैरह किसी भी धात की तख्ती या कड़ा जिस पर कुछ लिखा हुआ हो या न हो अगरचे अल्लाह का मुबारक नाम या कलिमा वगैरह खुदाई किया हुआ हो उसका पहनना मर्द के लिए नाजाईज़ है। औरत सोने या चांदी की डिबिया में तावीज पहन सकती है।

नोट: एक और खास बात :- आयत या तस्मिया लिखने में जबर ज़ेर पेश लगाने की जरुरत नहीं जब भी पहनने या पीने या लटकाने के लिए बतौर तावीज़ कोई आयत या इबारत लिखें तो दाएरे वाले हरुफ के दाएरे खुले रखने होंगे मसलन लफजे अल्लाह में हे का और रहमान और रहीम दोनों में भीम का दाएरा खुला रखें । जाने विरिंगल्लाह सफा 69 70 और 136 137)

(32) सवाल:- यजीद को पलीद कह सकते हैं ?

जवाब:- आला हजरत इमाम अहमद रजा रहमतुल्लाह अलैह ने फतावा रजविया शरीफ जदीद जिल्द 10 सफा 194 पर और जिल्द 28 सफा 52 पर यजीद को पलीद लिखा है। मजीद एक मुकाम पर आला हज़रत फरमाते हैं यजीद बे बाक पलीद था। उसे पलीद कहना और लिखना जाईज है। (फत्तावा रजविघ्या 14 स603) (तफसीली मालूमात के लिए मुसन्निफ आबे कौसर मुफ्ती मुहम्मद | अमीन साहब की किताब यजीद कौन था मुलाहिजा फरमाइए)

33 सवाल:- यज़ीद को काफिर कह सकते या नहीं ? जवाब:- आला हजरत फरमाते हैं यज़ीद के बारे में अइम्मए अहले सुन्नत के तीन क़ौल हैं।

(1) इमाम अहमद रदियल्लाहु अन्हु के नज़दीक काफिर है इस सूरत में उस की बख्शिश नहीं होगी । 2 इमाम गिजाली रदियल्लाहु अन्हु वगैरह उसे मुसलमान तस्लीम करते हैं तो उस पर कितना ही अज़ाब हो बिल आखिर बख्शिश ज़रुर होगी ।3 इमामे आज़म अबू हनीफा रदियल्लाहु अन्हु इस मुआमिले में सुकूत फरमाते हैं कि न हम मुसलमान कहें न काफिर लिहाज़ा इस में हम भी सुकूत करेंगे (माखूज अज फतावा रजबिया शरीफ जदीद जिल्द 14 सफा682)

(34) सवालः-सुना है कि इमाम ज़ैनुल आबिदीन ने यज़ीद को मगफिरत के वास्ते किसी ख़ास तरीके से नमाज़ पढ़ने की तालीम फरमाई थी ?

जवाब:-आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं यह रिवायत महज़ बे असल है हजरत ने कोई नमाज़ इस पलीद की मगफिरत के लिए उसको तालीम नहीं फरमाई (फतावा रजविय्या शरीफ जदीद 28 सफा 52)

35 सवाल:- यजीद पलीद को बुरा कहना जाइज़ है या नहीं,

जवाब:- मुफ्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहमतुल्लाहु अलैह फरमाते हैं बे बाक यजीद खबीस को बुरा कहना जाईज है। (फताया फैजुल हिस्सा अल सफा 120)

36 सवाल यजीद की मौत हालते कुफ पर हुई या हालते ईमान पर ?

जवाब:- मुफ्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहमतुल्लाहु अलैहि फरमाते हैं यजीद की मौत हालते कुफ पर हुई या हालते ईमान पर इसे अल्लाह व रसूल ही जानते हैं। (फतावा फैजुर्रसूल हिस्सा अब्बल सफ128)

37 सवाल वहाबी, देवबन्दी आम तौर पर कहते हैं कि यजीद ने | अगरचे हज़रत इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हो को शहीद करवाया मगर वह जन्नती है इस लिए कि बुखारी शरीफ में हदीस है हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मेरी उम्मत का पहला लश्कर जो कुस्तुन्तुन्या पर हमला करेगा वह बख्शा हुआ है और कुस्तुन्तुन्या पर पहला हमला करने वाला यज़ीद है लिहाजा वह | बख्शा बख्शाया हुआ पैदाईशी जन्नती है। तो वहाबियों देवबन्दियों की इस बकवास का जवाब क्या है ?

जवाब :- मुफ्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहमतुल्लाहि अलैह फरमाते हैं यज़ीद पलीद जिस ने मस्जिदे नबवी और बैतुल्लाह शरीफ की सख्त बे हुरमती की, जिस ने हज़ारों सहाबए किराम व ताबिईने इज़ाम रदियल्लाहु तआला अन्हुम का बे गुनाह क़त्ले आम किया और जिस ने मदीनए तय्यबा की पाक दामन ख्वातीन को तीन शबाना रोज़ अपने लश्कर पर हलाल किया और जिस ने फरज़दे रसूल जिगर गोशए बतूल हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु को तीन दिन बे आब व दाना रख कर पियासा जिबह किया ऐसे बद बख्त और मरदूद यजीद को जो लोग बख्शा बख्शाया हुआ पैदाइशी जन्नती कहते हैं और सबूत में बुखारी शरीफ की हदीस का हवाला देते हैं वह अहले बैते रिसालत के दुशमन खारजी और यज़ीदी हैं इन बातिल परस्त यज़ीदियों का मकसद यह है कि जब यजीद की बख्शिश और उस का जन्नती होना हदीस शरीफ से साबित है, तो इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हु का ऐसे शख्स की बैअत न करना और उस के खिलाफ अलमे जिहाद बुलंद करना बगावत है और सारे फितनए | व फसाद की जिम्मेदारी उन्हीं पर है, (नउजिबिल्लाहि मिन ज़ालिक ) वहाबी देवबन्दी यजीद पलीद के जन्नती होने के मुतअल्लिक जो हदीस पेश करते हैं उस के अस्ल अल्फाज यह हैं। नबीए अकरम स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मेरी उम्मत का पहला लश्कर जो कैंसर के शहर कुस्तुन्तुन्या पर हमला करेगा वह बख्शा हुआ है। (बुखारी शरीफ जिल्द अन्नल सफा 410 ) अल्लाह के महबूब दानाए गुयूब जनाब अहमदे मुज्तबा मुहम्मद मुस्तफा स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का यह फरमाने हक है। लेकिन कैंसर के शहर कुस्तुन्तुन्या पर पहला हमला करने वाला यजीद है। वहाबियों और देवबन्दियों का यह कहना गलत है इस लिए कि यजीद ने कुस्तुन्तुन्या पर कब हमला किया इस के बारे में चार अकवाल हैं सन49 हिजरी सन 52 हिजरी और 55 हिजरी जैसा कि कामिल इब्ने असीर जिल्द सोम सफा 131. हिदाया निहाया जिल्द हश्तुम 32 एैनी शरह बुखारी जिल्द चहारम दहुम और असावा जिल्द अव्वल सफा 405 में हैं। साबित हुआ कि यजीद सन 49 हिजरी से 55 हिजरी तक कुस्तुन्तुन्या की किसी जंग में शरीक हुआ। चाहे सिपह सालार वह रहा हो या हजरत सुफियान बिन औफ और वह मामूली सिपाही रहा हो मगर कुस्तुन्तुन्या पर इस से पहले हमला हो चुका था जिस के सिपह सालार हजरत अब्दुर्रहमान बिन खालिद बिन वलीद थे और उनके साथ हजरत अबू अय्यूब अन्सारी भी थे। (रदियल्लाहो अन्हुम) जैसा कि अबू दाउद शरीफ किताब अलजिहाद सफा 340 की हदीस से ज़ाहिर है और अब्दुर्रहमान बिन खालिद

रदियल्लाहु अन्हु का इन्तेकाल सन 46 सन 47 हिजरी में हुआ जैसा कि हिदाया निहाया जिल्द हश्तुम सफा 31, कामिल इब्ने असीर जिल्द सोम सफा 229 और असदुलगाबा जिल्द सोम 440 में है। मालूम हुआ कि आप का हमला कुस्तुन्तुन्या पर सन 46 हिजरी या 47 हिजरी से पहले हुआ और तारीख़ की मुअत्तबर किताबें शाहिद हैं। कि यजीद कुस्तुन्तुन्या की एक जंग के इलावह किसी में शरीक नही हुआ तो साबित हो गया कि हजरत अब्दुर्रहमान ने कुस्तुन्तुन्या पर जो पहला हमला किया था यज़ीद उस में शरीक नही था । तो फिर हदीसे अव्वल जै शे मिन उम्मती में यज़ीद दाख़िल नहीं हुआ और जब वह दाखिल नही तो इस हदीस की बशारत का भी वह मुस्तहिक नहीं और चूंकि अबू दाउद शरीफ सिहाहे सित्ता में से है | इस लिए आम कुतुब तारीख के मुकाबले में इसी की रिवायत को तरजीह दी जाएगी । रही यह बात कि हजरत अबू अय्यूब अन्सारी रदियल्लाहु अन्हो का इनतेकाल उस जंग में हुआ कि जिसका सिपहसालार यजीद था। तो उस में कोई ख़लजान नही इस लिए कि कुस्तुन्तुन्या का पहला हमला जो हजरत अब्दुर्रहमान रदियल्लहु अन्हु की सरकर्दगी में हुआ आप इस में शरीक रहे और फिर बअद में जब उस लशकर में शरीक हुए कि जिसका सिपहसालार यजीद था तो कुस्तुन्तुन्या में आप का इन्तेकाल हो गया, इस लिए कि कुस्तुन्तुन्या पर मुतअद्दिद बार इस्लामी लश्कर हमला आवर हुआ है। और अगर यह तस्लीम भी कर लिया जाए कि कुस्तुन्तुन्या पर हमला करने वाला जो लश्कर था। उस में यजीद मौजूद था फिर भी यह हरगिज़ साबित न होगा कि उस के सारे करतूत मआफ हो गए और वह जन्नती है। इस लिए कि हदीस शरीफ में भी है जब दो मुसलमान आपस में मुसाफहा करते हैं तो जुदा होने से दोनों को बख्श दिया जाता है।  (तिर्मिजी शरीफ जिल्द 2 सफा और हुजूर सय्यदे आलम स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है।

कि जो माहे रमजान में रोजेदार को इफ्तार करवाए उसके गुनाहों के लिए मगफिरत है। (निशकात सफा 147) और सरकारे अकदस वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हदीस यह भी है कि रोजे वगैरह के सबब माहे रमजान की आखिरी रात में इस उम्मत को बख्श दिया जाएगा। (निशकात सफा 174) लिहाजा अगर वहाबियों देवबन्दियों की बात मान ली जाए तो इन अहादीसे करीमा का यह मतलब होगा कि मुसलमान से मुसाफहा करने वाले रोजेदार को इफ्तार करवाने वाले और माहे रमजान मे रोजा रखने वाले सब बख्शे बख्शाए जन्नती हैं अब अगर वह हरमैन तय्यबैन की बेहुरमती करें मुआफ, कअबा शरीफ को (मआजल्लाह) खोद कर फेंक दें मुआफ, मस्जिदे नबवी में गिलाज़त डालें मआफ, हज़ारों बे गुनाह को क़त्ल कर डालें मुआफ, यहां तक कि अगर सय्यिदुल अम्बिया मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जिगर पारों को तीन दिन का भूका, पियासा रख कर ज़िबह कर डालें तो वह भी सुआफ, और जो चाहें करें सब मुआफ ।

(नउजुबिल्लाहि मिन ज़ालिक) खुदाए अज्जो वजल्ल यज़ीद नवाज़ वहाबियों देवबन्दियों को सही समझ अता फरमाए और गुमराही व बद मज़हबी से बचने की तौफीक रफीक बख्शे, आमीन (फतावा फैजुर्रसूल हिस्सा दोम सफा 710 से 712)

 38 सवालः यजीद पलीद के वालिदे मोहतरम जनाब हज़रते अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के बारे में उलमाए इस्लाम क्या फरमाते हैं ?

जवाब :- मुफ्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहमतुल्लाहि अलैह फरमाते हैं, आप का नाम मुआविया और कुन्नियत अबू अब्दुर्रहमान है। वालिद की तरफ से आपका सिलसिलए नसब यह है। मुआविया बिन अबू सुफियान सन्जर बिन हरब बिन उमय्या बिन अब्दे शम्स बिन अब्दे मुनाफ और वालिदा की तरफ से नसब यूं है, मुआविया बिन हिन्द बिन उत्बा बिन रबीआ बिन अब्दे शम्स बिन अब्दे मुनाफ नबीए करीम स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चौथे दादा है इस लिए कि हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का सिलसिलए नसब यह है इब्ने अब्दुल्ला बिन अब्दुल मुत्तलिब बिन हाशिम बिन अब्दे मुनाफ, खुलासा यह हुआ हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो वालिद की तरफ से पाचवी पुश्त में और वालिदह की तरफ से भी पांचवी | पुश्त में हुजूर अकदस स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सिलसिलए । नसब मे आपके चौथे दादा अब्दे मनाफ से मिल जाते हैं। जिस से जाहिर हुआ कि आप नसब के लिहाज से हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि | वसल्लम के क्रीबी अहले कराबत में से हैं और रिश्तेदार में रसूले करीम स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हकीकी साले हैं इस लिए कि उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे हबीबा बिन्त अबू सुफ्यान रदियल्लाहु अन्हा जो हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जौजए मोहतरमा हैं वह हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो की हकीकी बहन हैं। इसी लिए आरिफे बिल्लाह मौलाना रुमी रहमतुल्लाह अलैह ने अपनी मस्नवी शरीफ में आप को तमाम मोमिनों का मानूं तहरीर फरमाया है। (खुतबाते मुहर्रम स 283294)

शैखुल हदीस हज़रत अल्लामा अब्दुल मुस्तफा आजमी रहमतुल्लाहि अलैह फरमाते हैं। हजरत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो बहोत ही खूबसूरत गोरे रंग वाले और निहायत ही वजीह और रुआब वाले थे । चुनांचे अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हो फरमाया करते थे कि "मुआविया" अरब के 'किसरा हैं. हजरत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो चूंकि बहुत ही उमदा कातिब थे इस लिए दरबारे नबुव्वत में वही (कलामे इलाही) लिखने वालों की जमाअत में शामिल कर लिए गए. इस्लाम में बहरी (समुन्द्री) लड़ाई के ईजाद करने वाले आप है, जंगी बेड़ों की तामीर का कारखाना भी आप ने बनवाया खुश्की और समुन्द्री फौजों को बेहतरीन तन्ज़ीम फरमाई और जिहादों की बदौलत इस्लामी हुकूमत हुदूद वसीअ तर करते रहे और इशाअते इस्लाम का दाएरा बराबर बढ़ता रहा। जा बजा मसाजिद की तामीर और दर्सगाहों का क्याम फरमाते रहे। (करामते सहाबा सफर 184 185) हकीमुल उम्मत ताजदारे गुजरात मुफस्सिरे शहीर हजरत अल्लामा मौलाना मुफ्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह अलैह इरशाद फरमाते हैं हजरत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु खास सुलह हुदैबिया के दिन सात हिजरी में इस्लाम लाए, मगर मक्का वालों के खौफ से अपना इस्लाम छुपाए रहे फिर फत्हे मक्का के दिन अपना इस्लाम जाहिर फरमाया जिन लोगों ने कहा है कि वह फत्हे मक्का के दिन ईमान लाए वह जुहूरे ईमान के लिहाज़ से कहा, जैसे हजरते अब्बास रदियल्लाहु अन्हो दरे परदा जेंगे बद्र के दिन ही ईमान ला चुके थे। मगर एहतियातन अपना ईमान छुपाए रहे और फत्हे मक्का में ज़ाहिर फरमाया तो लोगों ने उन्हें भी फहे मक्का के मोमिनों में शुमार कर दिया हालांकि आप क़दीमुलइस्लाम थे।

हजरते अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो निहायत दियानतदार सखी सियासतदान काबिल हुकमरां वजीह सहाबी थे। आप ने अहदे फारुकी व अहदे उस्मानी में निहायत काबिलियत से हुकमरानी की, हजरत उमर फारुक व उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हुमा आप से निहायत खुश रहे, हजरते अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो नबीए करीम स्वल्लाहु अलैहि वसल्लम के कातिबे वही भी और कातिबे खुतूत भी थे यानी जो नामा व प्यामा सलातीन वगैरह से हुजूर नबीए करीम स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते | थे वह अमीर मुआवियह से लिखवाते थे, हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हो ने अमीर मुआवियह रदियल्लाहु अन्हो की बहुत मौके पर तारीफें फरमाई हैं जैसे कि दमिश्क का हाकिम मुकर्रर किया और | माजूल न फरमाया अगर आप थोड़ी सी भी लगज़िश मुलाहेजा फरमाते तो फौरन माजूल फरमा देते, जैसे कि मामूली शिकायत पर सअद इब्न अबी वकास या खालिद बिन वलीद जैसी बुजुर्ग हस्तियों को माजूल फरमा दिया । इसी तरह हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हो ने अपने ज़मानए

खिलाफत में हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो को हुकूमत के उहदे पर बहाल रखा यह उन बुजुर्ग सहाबा की तरफ से हजरते अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हो की इन्तेहाई अज़मत व अमानत का इकरार व एलान है। इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हो ने सात माह खिलाफत फरमाकर हजरते अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो के हक में खिलाफत से दस्तबदारी फरमाई और उनका सालाना वज़ीफा और नज़राने कबूल फरमाए, अगर अमीरे मुआविया में मामूली फिस्क (गुनाह) भी होता तो इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हो सर दे देते मगर उनके हाथ में हाथ न देते, नबिए करीम स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भी (गैब की ख़बर देते हुए) इमाम हसन रदियल्लाहु अन्हो के इस फेअल शरीफ (अच्छे काम) की तारीफ फरमाई थी कि मेरा बेटा सय्यद है। अल्लाह तआला इसके जरिये मुसलमानों की दो बड़ी जमाअतों में सुलह फरमाएगा इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हो इस सुलह के वक्त आकिल बालिग समझदार थे, मगर उन्होंने इस सुलह पर एतेराज़ न फरमाया, अगर अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हो की निगाह में कुछ ऐब रखते होते तो यजीद मर्दूद की तरह आप उस वक्त अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हों के मुकाबले में आ जाते, मालूम हुआ कि निगाहे इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हो में यज़ीद फासिक फाजिर ज़ालिम वगैरह था, अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो आदिल सिकह, मुत्तकी बैअते अमारत थे। अब किसी को क्या हक है कि इन पर ज़बान तअन दराज़ करे । हजरत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो को यह शर्फ हासिल है कि आपने बड़े जलीलुल कद्र सहाबा से अहादीस रिवायत की जो तमाम मुहद्दिसीन ने कबूल की और अपनी कुतुब में लिखीं और बड़े बड़े सहाबा किराम अलैहिमुर्रिजवान ने हजरत अमीर से रिवायत लीं और अहादीस नकल कीं, ख़्याल रहे कि फासिक की रिवायत ज़ईफ (कम्ज़ोर ) होती है। यानी काबिले कबूल नहीं होती, बवक्ते वफात हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने वसिय्यत फरमाई कि मेरे पास नबीए करीम स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के कुछ नाखून शरीफ हैं वह बअदे गुस्ले कफन के अन्दर मेरी आंखों पर रख दिए जाएं और कुछ बाल मुबारक और हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का तहबंद हुजूर की चादर और कमीज़ शरीफ है। मुझे हुजूर की कमीज में कफन देना, हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की चादर लपेटना, हुजूर की चादर लपेटना, हुजूर का तहबंद मुझे बांध देना और मेरी नाक, कान वगैरह पर हुजूर के बाल शरीफ रख देना फिर मुझे अरहमुर्राहिमीन के सुपुर्द कर देना। हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो के दिल में अल्लाह का खौफ, हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अजमत, अहले बैत अत्हार की मुहब्बत कमाल दरजा थी। अल्लाह अज्जो वजल्ल की उन पर रहमत हो और उनके सदके हमारी मगफिरत हो आमीन। (हजरत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो पर एक नजर सफा 40, 57 )

 39 सवाल:- जो लोग यजीद पलीद की वजह से हजरत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो को बुरा कहते हैं उनके बारे में उलमाए इस्लाम क्या फरमाते हैं ?

 जवाब:- मुफ्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं कहीं से साबित नहीं होता कि अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो की हयात में यज़ीद फासिक व फाजिर था या ये जानते हुए अपना जानशीन किया । यज़ीद का फिस्क व फुजूर हजरत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो (की वफात) के बाद ज़ाहिर हुआ और अगर कोई ऐसी रिवायत मिल भी जाए जिस से मालूम हुआ कि अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो ने यज़ीद के फिस्क फुजूर से ख़बरदार होते हुए उसे अपना ख़लीफा मुर्झार फरमाया तो वह रिवायत झोठी हैं। और रावी शिय्या है या कोई दुशमने असहाब जो रिवायत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो या किसी सहाबी का फिस्क साबित करे वह मर्दूद है क्योंकि कुर्बान के खिलाफ है। तमाम सहाबा बहुक्मे कुरआनी मुत्तकी हैं । बहर हाल जब अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो का वक्ते वफात क़रीब आया तो यजीद ने पूछा कि अब्बा जान! आप के बाद खलीफा कौन होगा तो आप ने कहा कि खलीफा तो तू ही बनेगा मगर जो कुछ मैं कहता हूं उसे गौर से सुन कोई भी काम इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हों के मशवरह के बगैर न करना (यानी वह तेरे वजीरे आजम हैं), उन्हें खिलाए बिगैर न खाना उन्हें पिलाए बगैर न पीना, सब से पहले उन पर खर्च करना फिर किसी और पर, पहले उन्हें पहनाना फिर खुद पहन्ना तुझे इमामे हुसैन और उनके घर वालों, उनके कुबे बल्कि सारे बनि हाशिम के लिए अच्छे सुलूक की वसिय्यत करता ऐ बेटे! खिलाफत में हमारा हक़ नहीं वह इमामे हुसैन उनके वालिद और उन के अहले बैत का है। तो तू चंद रोज़ खलीफा रहना तू फिर जब इमामे हुसैन पूरे कमाल को पहुंच जाएं तो फिर वही खलीफा होंगे या जिसे वह चाहें ताकि खिलाफत अपनी जगह पहुंच | जाए। हम सब इमाम हुसैन और उनके नाना के गुलाम हैं । उन्हें | नाराज़ न करना वरना तुझ पर अल्लाह व रसूल नाराज़ होंगे और फिर तेरी शफाअत कौन करेगा बल्कि हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने दुआ की कि मौला अगर यज़ीद उस का अहल न हो तो उस की सलतनत कामिल न फरमा फिर ऐसा ही हुआ यजीद मर्दूद हज़रत अमीर मुआविया के बाद दो साल कुछ माह | ज़िन्दा रहा और उस की सलतनत पाए तकमील को न पहोंच सकी। (हजरत अमीर मुआविया पर एक नज़र 60,74,76)

तो मालूम हुआ अमीर मुआविया जब तक जिन्दा रहे यजीद बड़ा नेक परहेज़गार था बाद वफाते वालिद उस ने गुनाहों का बाज़ार | गरम किया जुल्म व सितम किए लिहाज़ा अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो हरगिज़ हरगिज़ मोरिदे इल्ज़ाम नही ठेहराये जा सकते । तो अब जो उन पर जबाने तअन दराज करे उस के बारे में फरमाते हैं वह जहन्नमी है  वह जहन्नगी कुत्तों में से कुत्ता है। (फतावा फैजुर्रसूल हिस्सा अब्बल खफा 128)

नोट:- हजरत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो के बारे में तफ्सीली मालूमात हासिल करने के लिए मुफ्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह अलैह की किताब अमीर मुआविया पर एक नज़र का मुतालआ फरमाएं।

 (40 )सवाल:- बअज सय्यद साहेबान भी कम इल्मी की वजह से हजरत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो को अच्छा नहीं समझते, उन्हें किस तरह समझाया जाए?

जवाब:- उलमा फरमाते हैं जो सय्यद साहेबान सुन्नी उलमा के बयानात सुनने के बजाए, सुन्नी उलमा की सोहबत में बैठने के बजाए शिया हज़रात के साथ उठना बैठना, मेल जोल रखते हैं वह हजरात अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो पर ज़बाने एतेराज दराज़ करते हैं ऐसे सय्यद साहेबान तक हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो के बारे में सही मालूमात पहुंचाई जाए तो अपने आबा व अजदाद की तरह यह भी इन्शाअल्लाह उन की तारीफ व तौसीफ करेंगे एक वाकिया पेशे खिदमत है इस से भी कुछ दर्स मिलेगा ।

एक सय्यद साहब का बयान है कि मुझे हजरत अलीए मुर्तजा शेरे खुदा रदियल्लाहु अन्हों से जंग करने वालों से और खुसूसन हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो से बहोत एतेराज़ था। एक रात हजरत मुजिद्दद अलफेसानी कुत्बे रब्बानी शैख सरहन्दी रदियल्लाहु अन्हो के मकतूबात शरीफ का मुतालआ कर रहा था। दौराने मुताला यह इबारत पढ़ी इमाम मालिक रहमतुल्लाह अलैह ने हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो को बुरा कहने को हज़रत अबू बकर सिद्दीक और हज़रत उमर फारुक् (रदियल्लाहु तआला अन्हुम) को बुरा कहने के बराबर करार दिया है। इस इबारत से मैं आजुदा हो गया और मैं ने मक्तूबात शरीफ को ज़मीन पर डाल दिया और सो गया ख्वाब (सपने) में किया देखा कि हज़रत मुजद्दिद अलिफ सानी रहमतुल्लाह अलैह बहुत गुस्से की हालात में तश्रीफ लाए और मेरे दोनो कान अपने हाथों से पकड़ कर फरमाया, ऐ बच्चे! तू हमारी तहरीर पर एतराज करता है। और हमारे कलाम को ज़मीन पर फेंकता है अगर तुझे हमारी बात पर यकीन नहीं है तो चल तुझे हजरत अली रदियल्लाहु अन्हो की खिदमत में ले चलते हैं। हजरत मुजद्दिद अलफेसानी रहमतुल्लाह अलैह मुझे एक बाग में ले गए, मैं ने देखा कि ऐक बुजुर्ग वहां एक इमारत में तशरीफ रखते हैं हजरत मुजद्दिद अलिफ सानी रहमतुल्लाह अलैह ने उन बर्जुग के आगे तवज्जो की तो उन बुजरुग ने बहोत खुशी का इज़हार फरमाया हज़रत मुजद्दिद अलफेसानी रहमतुल्लाह अलैह ने मेरी बात उन बुजरुग को बताई फिर मुझ से फरमाया कि यह हजरत अली रदियल्लाहु अन्हो हैं सुनो आप क्या फरमाते हैं।

मैंने सलाम अर्ज किया हज़रत अली शेरे खुदा रदियल्लाहु अन्हो ने फरमाया खबरदार खबरदार! कभी भी हुजूर स्वल्लल्लाहो अलैही व सल्लम के सहाबा से अपने दिल में बुग्ज ना रखना और उनकी ऐब जोई ना करना क्योंकि हम जानते हैं और हमारे भाई (सहाबए किराम) भी जानते हैं की हम लोग किस बात को हक समझ कर एतिराज कर रहे थे फिर इज़रत मजद्दिद अलिफ सानी रहमतुल्लाह अलैह की तरफ इशारा कर के फरमाया की इनकी बात को हर कीमत पर तसलीम करना । (खजीनए करामाते औलिया सफा 301,302)

 सवाल:- जो ये कहे की हजरत अली रदिअल्लाहु अन्हो के बराबर किसी सहाबी का मरतबा नही, हजरते अली रदिअल्लाहु अन्हो सब सहाबा रदिअल्लाहु अन्हुम से अफज़ल हैं उसके बारे में शरीअत का क्या फैसला है?

जवाब:- आला हजरत इमाम अहमद रजा खान रहमतुल्लाह अलैह | फरमाते हैं जो ये अकीदा रखे वो अहले सुन्नत से खारिज और एक | गुमराह फिरके तफजीलिया में दाखिल हैं जिनका अइम्मएदीन ने सफिजियों (शिय्यों) का छोटा भाई कहा है।

मुसन्निफ बहारे शरिअत खलीफए आला हजरत फरमाते है। बादे अम्बिया वा मुरसलीन तमाम मख्लुकाते इलाही इन्स व जिन्न व मलक से अफजल सिद्दीके अकबर हैं फिर उमर फारूक फिर उसमाने सिद्दीक या फारूक या उस्माने गनी से अफज़ल बताये वो गुमराह बद मज़हब है (बहारे शरीअत सफा 124,125)

मरकजुल औलिया लाहौर के ताजदार दाता गंजबख्श अली हिजवेरी रहमतुल्लाह अलैह अपनी मशहूर व मारूफ किताब कशफुल महजूब में इरशाद फरमाते हैं सय्यिदुना सिद्दीके अकबर रदिअल्लाहु अन्हु का रूतबा अम्बिया अलैहिमुस्सलाम के बाद सारी मखलूक से अफज़ल व मुकद्दम है (कशफुल महजुब सफा 116)

तवज्जोह फरमाएं जो तमाम सहाबाए किराम को खैर यानी भलाई से याद करता हो खुलफाए अरबअ (4) की इमामत बरहक़ जानता हो सिर्फ मौला अली को हजराते शैखैन यानी अबू बकर सिद्दीक और हजरत उमर फारूके आजम से अफज़ल मानता हो तो ऐसा शख्स बद मज़हब ज़रूर है लेकिन काफिर नहीं ।(फतावह रज़विया शरीफ जिल्द 11 सफा 346)

42 सवाल:- जो हजरत अली शेरे खुदा को किसी नबी से अफज़ल या बराबर कहे उसके बारे में शरई हुक्म क्या है?

जवाब:- आला हजरत फरमाते हैं जो किसी गैर नबी को किसी नबी से अफज़ल बताऐ वो काफिर है (फतावह रज़विया शरीफ जिल्द 11 सफा245) अबू स्वालेह मुफ्ती मुहम्मद कासिम साहब कादरी अत्तारी मद्द जिल्लहु फरमाते हैं जो किसी भी) गैरे नबी को नबी से अफजल या उसके बराबर माने वह काफिर है। लिहाजा जो हजरत अली को नबियों से अफजल माने या बराबर मानने वाला हो काफिर है। (किताब ईमान की हिफाजत सफा 56,57)

43 सवाल:- जो यह अकीदह रखे कि कुरआन जिस तरह नाजिल हुआ था अब वैसा नही है इस में कमी बेशी तब्दीली हो चुकी है उसके बारे में शरीअत का क्या हुक्म है ?

जवाब:-आला हज़रत रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं जो कुरआने अजीम के एक लफ्ज एक हर्फ एक नुक्ते की निस्बत गुमान करे कि मआजल्लाह सहाबए किराम या अहले सुन्नत ने घटा या बढ़ा दिया, बदल दिया वह कतअल काफिर है। (माज अज फतावा रजविया शरीफ सफाजिलद11 सफा69 मुफ्ती कासिम कादरी बरकाती दामत बरकातहुमुल आलिया किताब ईमान की हिफाज़त में तहरीर फरमाते हैं। अगर कोई यह दावा करे कि जो कुरआने पाक नबीए करीम स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाज़िल किया गया है वह हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हो और उन की औलाद होने वाले इमामों के पास महफूज़ है और यह कुरआन जो हमारे पास है तहरीफ शुदह है जिस को अनकरीब इमाम | मुन्तज़िर आ कर जला देगा तो वह काफिर है। कुरआने मजीद में जो एक लफ्ज़, एक हर्फ और एक नुक्ते की कमी बेशी का काएल है

यक़ीनन वह काफिर व मुर्तद है। (ईमान की हिफाजत स 7374) मुफ्ती अमजद अली फरमाते हैं जो शख्स कुरआन मजीद को नाकिस कहे वह काफिर है।

 44 सवालः उलमाए इस्लाम ने आशूरा (मुहर्रम की दस्वी रात) की क्या खुसूसियत बयान फरमाई है ?

जवाब:-शैखे तरीक्त अमीरे अहले सुन्नत हजरत अल्लामा मौलाना इलियास अत्तार क़ादरी दामत बरकातहुमुल आलिया "या शहीदे करबला हो दूर हर रंज व बला “के पच्चीस हुरुफ की निस्बत से | आशूरा की पचीस खुसूसियत बयान फरमाई है।

(1) 10 मुहर्रमुल हराम आशुरा के रोज़ हज़रत सय्यिदुना आदम अलैहिस्सलाम की तौबा कबूल हुई (2) उसी दिन उन्हें पैदा किया गया (3) उसी दिन उन्हें जन्नत में दाखिल किया गया (4) उसी दिन अर्श (5) कुर्सी (6) आस्मान (7) ज़मीन (8) सूरज चांद (10) सितारे और (11) जन्नत पैदा किए गए (12) उसी दिन हजरत सय्यिदुना इब्राहीम खलीलुल्लाह अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम पैदा हुए (13) उसी दिन उन्हें आग से निजात मिली (14) उसी दिन मूसा अलैहिस्सलाम और आप की उम्मत को निजात मिली और फिरऔन अपनी क़ौम समेत गर्क हुआ (15) उसी दिन हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम पैदा किए गए (16) उसी दिन उन्हें आस्मानों की तरफ उठाया गया (17) उसी दिन नूह अलैहिस्सलाम की किश्ती जूदी पहाड़ पर ठेहरी (18) उसी दिन सुलैमान अलैहिस्सलाम को मुल्के अज़ीम अता किया गया (19) उसी दिन हज़रत सय्यिदुना यूनुस अलैहिमुस्सलाम मछली के पेट से निकाले गए (20) उसी दिन हजरत सय्यिदुना याकूब अलैहिमुस्सलातो वस्सलाम की बीनाई की कमज़ोरी दूर हो गई (21) उसी दिन हज़रत सय्यिदुना यूसुफ अलैहिमुस्सलातो वस्सलाम गहरे कुए से निकाले गए (22) उसी दिन हजरत अय्यूब अलैहिमुस्सलातो वस्सलाम की तकलीफ रफअ (दूर) की गई (23) आस्मान से ज़मीन पर सब से पहली बारिश इसी दिन नाज़िल हुई और (24) उसी दिन का रोजा उम्मतों में मशहूर था यहां तक कि यह भी कहा गया कि उस दिन का रोज़ा माहे रमजानुल मुबारक से पहले फर्ज था फिर मन्सूख कर दिया गया ।

(मुकाशिफतुल कुलूब सफा 311 ) ( 25 ) इमामुल हुमाम इमामे आली मुकाम इमामे अर्श मुकाम इमामे | तिश्नए काम सय्यिदुना इमामे हुसैन रदियल्लाहु अन्हो को ब मअ शहज़ादगान व रुफकाअ तीन दिन भूका रखने के बाद उसी आशूरा के रोज दश्ते करबला में इन्तेहाई सपफाकी के साथ शहीद किया गया । (फैजाने रमजान सफा 509,510)

 45 सवाल:- मुहर्रमुल हराम शरीफ और आशूरा के रोजों के फजाएल क्या हैं ?

जवाब :- हजरत सय्यिदुना अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है। कि हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इशाद फरमाते हैं रमज़ान के बाद मुहर्रम का रोज़ा अफज़ल है और फर्ज़ के बाद नमाज़ सलातुल्लैल (यानी रात के

नवाफिल) है । (सही मुस्लिम सफा 891 हदीस1163) अल्लाह के हबीब स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमाने रहमते निशान है मुहर्रम के हर दिन का रोजा एक महीनो के रोज़ों के बराबर है । (तिब्रानी फिस्सगीर जिल्द 2 सफा 87 हदीस 1580) हजरत सय्यिदुना अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हो का इरशादे गिरामी है। रसूलुल्लाह स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब मदीना शरीफ में तशरीफ लाए तो यहूद को आशूरा के दिन रोज़ादार पाया तो इरशाद फरमाया यह क्या दिन है कि तुम रोज़ा रखते हो ? अर्ज की यह अजमत वाला दिन है कि इस में मूसा वस्सलाम और उन की कौम को अल्लाह तआला ने निजात दी और फिरऔन और उस की कौम को डुबो दिया । लिहाज़ा मूसा अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने बतौर शुकराना इस दिन का रोज़ा रखा। तो हम भी रोज़ा रखते हैं । इरशाद फरमाया मूसा | अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम की मुवाफिकत करने में ब निस्बत तुम्हारे हम ज्यादा हकदार और ज़्यादा करीब हैं तो सरकारे मदीना स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद भी रोजा रखा और उस का हुक्म भी फरमाया हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया यौमे आशूरा का रोज़ा रखो और इस में यहूदियों की मुखालिफत करो । इस से पहले या बअद में भी एक दिन का रोज़ा रखो । (मसनद इमाम अहमद जिल्द 1 सफा 518, हदीस 2154) आशूरा का रोज़ा जब भी रखें तो साथ ही नवीं या ग्यारहवीं महर्रमुलहराम का रोज़ा भी रख लेन देहतर है। हजरत सय्यिदुना अबू कतादा रदियल्लाहु अन्हो से रिवायत है कि हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं मुझे अल्लाह पर गुमान है कि आशूरा का रोज़ा एक साल क़ब्ल के गुनाह मिटा देता है । (सही मुस्लिम सफा 590 हदीस 1162)

46 सवाल :- आशूरा के रोज़ मजीद क्या क्या करना चाहिए ?

जवाब:- मुफिस्सरे शहीर हकीमुल उम्मत ताजदारे गुजरात हजरत | अल्लामा मौलाना मुफ्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह अलैहि फरमाते हैं जो बाल बच्चों के लिए दसवीं मुहर्रम को खूब अच्छे अच्छे खाने पकाए तो इन्शाअल्लाह अज्ज वजल्ल साल भर तक घर में बरकत रहेगी । जो 10 मुहर्रमुल हराम को गुस्ल करे तो तमाम साल इन्शाअल्लाह अज्जो वजल्ल बीमारियों से अमन में रहेगा क्यिोंकि इस दिन आबे ज़मज़म तमाम पानियों में पहोंचता है। (तपसिर रूहुल बयान खंड 4 सफा 142 इस्लामी जीवन सफा 93)हुजूर स्वल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो शख्स यौमे • आशूरा इस्मद सुर्मा (एक खास सुर्मा) आंखों में लगाए तो उस की आंखें कभी भी न दुखेंगी (शेअबुल ईमान जिल्द 3 सफा 367 हदीस 3767) 1 रोज़ा रखना 2 सदका करना 3 नफ्ल नमाज़ पढ़ना 4 हज़ार बार सूरह इख्लास पढ़ना 5 उलमाए किराम की जियारत करना 6 यतीम के सर पर हाथ फेरना 7 अपने घर वालों के रिज़्क में बढ़ोतरी करना 8 गुस्ल |करना 9 सुर्मा लगाना नाखून तराशना 10 मरीजों की बीमार पुर्सी करना| और दुशमनों से मिलाप करना दुआए आशूरा पढ़ना । नोट:- दुआए आशूरा नमाज़ की हिन्दी किताब अज़कारे नमाज़ में मिलेगा और पाकिस्तानी पन्जसुरह में भी मिलेगा ।

 47 सवाल:- आशूरा की रात नफ्ल नमाज़ें पढ़ने की फजीलत और तरीका क्या है?

जवाब: आशूरा की रात में चार रकात नमाज़ नफ्ल इस तरकीब से पढ़े कि हर रकात में अल्हम्दु के बाद आयतल कुर्सी एक बार और सूरह इख्लास (कुल हुअल्लाहु अहद) तीन तीन बार पढ़े और नमाज से फारिग होकर एक सौ मर्तबा कुल हुवल्लाहु अ-हद की सूरत पढ़े गुनाहों से पाक होगा और बहिश्त में बे इन्तेहा नेअमतें मिलेंगी (इन्शाअल्लाह) (जन्नती जेवर तख़रीज शुदा सफा 157)

सवाल:- (48) आशूरा के रोज़ सदका व खैरात करने से क्या सवाब हैं ?

जवाब:-सय्यिदुना इमाम मुहम्मद गिज़ाली रदियल्लाहु अन्हो इरशाद  फरमाते हैं तिब्रानी की रिवायत है। उस दिन एक दिरहम का सदका करना सात लाख दिरहम के सदका से अफज़ल है।

 49 सवाल :- दस मुहर्रम को दुआए आशूरा पढ़ने की क्या फजीलत है ? नीज दुआए आशूरा और उसको पढ़ने का तरीका भी बताएं ?

जवाब:- शैखुल हदीस हज़रत अल्लामा मौलाना अब्दुल मुस्तफा अमी रहमतुल्लाहि अलैह इरशाद फरमाते हैं दसवीं मुहर्रम को दुआए आशूरा पढ़ने से उमर में खैर व बरकत और जिन्दगी में फलाह व नेअमत हासिल होती है। (जन्नती जेवर तखरीज शुदा सफा 159) कारी रज़ाउल मुस्तफा दामत बरकातहुमुल आलिया इरशाद फरमाते हैं एक साल तक ज़िन्दगी का बीमा हो जाता है । | दुआए आशूरा: यह दुआ बहुत मुजर्रब है। हज़रत इमाम जैनुल आबिदीन रदियल्लाहु अन्हो से रिवायत है कि जो शख्स आशूरए मुहर्रम को तुलूए आफताब के बाद से गुरूब आफताब से पहले तक इस दुआ को पढ़ ले या किसी से पढ़वाकर सुन ले तो इन्शाअल्लाह यकीनन साल भर तक उस की जिन्दगी का बीमा हो जाएगा हरगिज़ मौत न आएगी और मौत आनी ही है तो अजीब इत्तिफाक है। कि पढ़ने की तौफीक न होगी (मजमूअए वजाएफ सफा 106 107)

50 सवाल:- अहले तशीअ (शियों) के बारे में उलमाए किराम किया फरमाते हैं ?

जवाब :- आला हजरत इमामे अहले सुन्नत मुजद्दिदे दीन व मिल्लत हज़रत अल्लामा मौलाना अल्हाज अल्हाफिज अल्कारी मुफ्ती इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरैलवी रदियल्लाहु अन्हो इरशाद फरमाते हैं शिया हज़रात कुरआन मजीद को नाक्सि व ना मुकम्मल कहते हैं और हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हो और बाकी अइम्मए अतहार को तमाम साबिका अम्बिया अलैहिमुस्सलाम से अफज़ल समझते हैं (यह दोनो अकीदे कुफ है ) लिहाजा किसी मुसलमान के लिए जाइज़ नहीं कि वह इन पलीद और गलीज़ (गन्दा) लोगों के कुफ में शक करे और यह कतअन बिल इजमाअ काफिर व मुर्तद हैं। इन से निकाह महज़ बातिल और औलाद, औलादे जिना।

(माखूज अज फतावा रजविय्या शरीफ जदीद जिल्द 26 सफा 78 ता 81) फकीहे मिल्लत हज़रत मौलाना मुफ्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी रहमतुल्लाहि अलैहि इरशाद फरमाते हैं शिया हज़रात काफिर व मुर्तद हैं। उन के हाथ का ज़बीहा मुदीर है उन के साथ मुनाकिहत यानी निकाह न सिर्फ हराम बल्कि खालिस जिना है उनके मर्द व औरत आलिम जाहिल किसी से मेल जोल सलाम कलाम सख्त

कबीरा अशद हराम है।

(मखुज अज कटावा फैजुर्सुल पार्ट डोम सफा ६१३ पार्ट अब्बुल सफा ६०४ टा ६०६)

मुफ्तिए आज़म पाकिस्तान मुफ्ती मुहम्मद वकारुद्दीन कादरी रज़वी रहमतुल्लाहि अलैहि इरशाद फरमाते हैं शिया हज़रात उम्मुल मोमिनीन हज़रत बीबी आयशा सिद्दीका तय्यबा ताहिरा रदियल्लाहु तआला अन्हा पर तोहमतें लगाते हैं । हज़रत अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हो और हज़रत उमर फारुक रदियल्लाहु अन्हो की ख़िलाफत को न सिर्फ इनकार करते हैं बल्कि मआज़ल्लाह उन्हें खाइन (यानी खियानत करने वाला ) और ग़ासिब (यानी गसब करने वाला) कहते हैं इस लिए उनका इस्लाम से कोई तअल्लुक नहीं उन्होंने अपना कलमा भी इलाहिदा कर लिया है और अज़ान मे भी तबदीली कर ली है किसी मुसलमान का निकाह किसी शिया से नही हो सकता है शिया . मजहब मे तकिया फर्ज़ है और तकिया का माना झूठ बोलने और धोखा देने के हैं इस लिए शियों की कोई बात काबिले कबूल नही मुसलमानों को उन के धोखे में नहीं आना चाहिए ।

(माखुज अज फतावा वकाल फतावा जिल्द सोम सफा 30 ता 32 ) नोट : शिया फिरके के अकाइद की तफसीली मालूमात ब हवाला जानने के लिए शैखुल इस्लाम ख्वाजा कमरुद्दीन सियालवी रहमतुल्लाह अलैह की तस्नीफ किताब "मज़हबे शिया "या अल्लामा मुहम्म्द अली रहमतुल्लाह अलैहि की "अकाईदे जाफरिया " या अल्लामा मुहम्मद उमर अछरवी रहमतुल्लाह अलैह की "मक्यासुल खिलाफत "और 'अल्लामा मुहम्मद अशरफ सियालवी की तोहफए हुसैनिया का मुतालेआ कीजिए ।

मुसन्निक - अबुलहसन सय्यद एहसानुल्लाह शाह बुखारी अत्तारी (कोरंगी केराची पाकिस्तान ) 0312.2546026

उर्दू से हिन्दी :- तर्जुमा :- मुहम्मद अब्दुर्रहीम खान कादरी जमदा शाही बस्ती यू. पी खतीब व इमाम जामा मस्जिद राजगढ़ 454116 धार   मध्य प्रदेश 7415066579 -7860762579

रूदादे करबला. सवाल व जवाब